अगर आपका CIBIL स्कोर कमजोर है तो अब सावधान हो जाइए, क्योंकि हाईकोर्ट के एक बड़े फैसले ने साफ कर दिया है कि जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर खराब है, उनके लिए कई सेक्टर्स में नौकरी के दरवाजे बंद हो सकते हैं। इस फैसले ने लाखों लोगों को अलर्ट कर दिया है जो बैंक लोन की EMI चुकाने में लापरवाही बरतते हैं।
क्या है CIBIL स्कोर और क्यों है जरूरी?
CIBIL स्कोर एक क्रेडिट स्कोर होता है जो बताता है कि आपने बैंक से लिए गए लोन या क्रेडिट कार्ड की किस्तें कितनी ईमानदारी से चुकाई हैं। भारत में CIBIL स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। अगर आपका स्कोर 750 या उससे ऊपर है तो आपको अच्छा माना जाता है।
खराब CIBIL स्कोर का मतलब है कि आप बैंक या वित्तीय संस्थान की नजर में भरोसेमंद नहीं हैं। अभी तक यह स्कोर सिर्फ लोन और क्रेडिट कार्ड की सुविधा पाने के लिए जरूरी माना जाता था, लेकिन अब यह नौकरी पाने में भी बड़ी भूमिका निभाएगा।
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला क्यों आया?
हाल ही में एक सरकारी बैंक कर्मचारी के केस में हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी कर्मचारी का क्रेडिट स्कोर बार-बार खराब पाया जाता है और वह डिफॉल्टर बनता है, तो उस व्यक्ति को सरकारी या बैंकिंग सेक्टर की जॉब के लिए अयोग्य माना जा सकता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि बैंकिंग सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों का खुद वित्तीय लेनदेन दुरुस्त न हो तो यह संस्थान की छवि खराब करता है।
कौन-कौन सी नौकरियों पर पड़ेगा असर?
बैंक और वित्तीय संस्थान:
बैंकों और NBFC में नई भर्ती या प्रमोशन के दौरान अब CIBIL स्कोर की जांच हो सकती है।
सरकारी सेक्टर:
कुछ सरकारी विभागों में भी वित्तीय जिम्मेदारी की भूमिका निभाने वाले पदों पर नियुक्ति में यह शर्त लागू की जा सकती है।
फाइनेंस, अकाउंट और ऑडिट सेक्टर:
जहां भी पैसे का लेनदेन या अकाउंट्स का काम है, वहां मजबूत CIBIL स्कोर जरूरी माना जाएगा।
कमजोर CIBIL वालों के लिए खतरे की घंटी
अगर आपका CIBIL स्कोर कम है तो इसका मतलब है कि आपने लोन या क्रेडिट कार्ड की किश्तें ठीक से नहीं चुकाईं। इससे न केवल लोन लेना मुश्किल होगा बल्कि अब नौकरी में भी दिक्कत आ सकती है।
बैंकिंग, सरकारी बैंक, बीमा कंपनी, क्रेडिट कार्ड कंपनी या फाइनेंशियल सेक्टर में करियर बनाने वालों को इस फैसले के बाद ज्यादा सावधान रहना होगा।
कमजोर CIBIL स्कोर को कैसे सुधारें?
अगर आपका स्कोर कम है तो घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ आसान उपाय हैं जिनसे आप अपने CIBIL स्कोर को सुधार सकते हैं:
लोन की EMI समय पर चुकाएं: सबसे जरूरी है कि बैंक लोन या क्रेडिट कार्ड की किश्त समय पर जमा करें।
क्रेडिट कार्ड लिमिट का दुरुपयोग न करें: लिमिट के अंदर ही खर्च करें।
पुराने बकाया क्लियर करें: किसी भी लोन या कार्ड का बकाया तुरंत चुकता करें।
ज्यादा लोन एक साथ न लें: कई लोन लेने से स्कोर प्रभावित होता है।
साल में एक बार अपना CIBIL स्कोर जरूर चेक करें: इससे आप समय रहते सुधार कर सकते हैं।
नौकरी देने वाली कंपनियां कैसे चेक करती हैं CIBIL?
आजकल बड़ी कंपनियां या बैंक भर्ती प्रक्रिया में बैकग्राउंड वेरिफिकेशन के दौरान कैंडिडेट का CIBIL स्कोर भी देखती हैं। इसके लिए आपसे सहमति ली जाती है और फिर CIBIL से आपका स्कोर रिपोर्ट निकाली जाती है।
अगर स्कोर खराब पाया जाता है तो नौकरी देने से इनकार किया जा सकता है या इंटरव्यू में नेगेटिव प्वाइंट बन जाता है।
हाईकोर्ट का यह फैसला क्यों जरूरी माना जा रहा है?
इस फैसले को बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और जिम्मेदारी से जोड़कर देखा जा रहा है। जब बैंक कर्मचारी खुद अपने लोन या EMI में डिफॉल्टर बनता है तो वो संस्थान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
अब इस फैसले से साफ संकेत गया है कि जिस पर फाइनेंस की जिम्मेदारी है, उसका खुद का रिकॉर्ड भी बेदाग होना चाहिए।
क्या आम लोगों पर भी होगा असर?
सीधे तौर पर आम नौकरीपेशा लोगों पर यह लागू नहीं होगा, लेकिन अगर आप बैंकिंग या फाइनेंस सेक्टर में करियर बना रहे हैं तो जरूर असर पड़ेगा। इसके अलावा प्राइवेट कंपनियां भी इसे अपनी HR पॉलिसी में शामिल कर सकती हैं।
निष्कर्ष
अगर आप नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, खासकर बैंकिंग या वित्तीय सेक्टर में, तो तुरंत अपने CIBIL स्कोर की जांच करें। कमजोर स्कोर को सही करने के लिए समय रहते कदम उठाएं ताकि नौकरी के मौके हाथ से न निकल जाएं।
CIBIL स्कोर अब सिर्फ लोन की सुविधा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह अब आपकी जॉब सिक्योरिटी से भी जुड़ गया है। इसलिए आज से ही अपने फाइनेंशियल व्यवहार को दुरुस्त रखें और जिम्मेदार कर्जदार बनें।