उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है जहां लाखों लोग रोजाना बाजारों में खरीदारी करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि यूपी में एक ऐसा शहर है जहां हर दिन 200-300 करोड़ रुपये तक की शॉपिंग होती है। इसी वजह से इसे यूपी का सबसे महंगा शहर कहा जाता है। इस शहर का नाम है लखनऊ, जिसे नवाबों का शहर कहा जाता है।
लखनऊ क्यों कहलाता है सबसे महंगा शहर?
लखनऊ सिर्फ अपनी तहजीब और ऐतिहासिक इमारतों के लिए नहीं बल्कि महंगे बाजारों और बड़े मॉल्स के लिए भी जाना जाता है। गोमती नगर, हजरतगंज, चौक, अलीगंज और अमीनाबाद जैसे इलाके यहां के सबसे बड़े शॉपिंग हब हैं। यहां रोजाना हजारों लोग खरीदारी करने आते हैं। यही वजह है कि हर दिन करोड़ों रुपये खर्च होते हैं।
इतनी खरीदारी क्यों होती है?
लखनऊ में खर्च बढ़ने के पीछे कई वजहें हैं। सबसे पहले तो यह टूरिस्ट हब है। हर साल लाखों पर्यटक इमामबाड़ा, रूमी गेट, चिकनकारी बाजार और अवधी खाने का स्वाद लेने आते हैं। इसके अलावा लखनऊ का फैशन मार्केट, ज्वैलरी शॉप्स और बड़े-बड़े मॉल भी लोगों को खूब लुभाते हैं।
शादी-ब्याह के सीजन में लखनऊ की मार्केट में तो पैर रखने की जगह नहीं होती। लोग लाखों रुपये के कपड़े, ज्वैलरी, गिफ्ट और डेकोरेशन का सामान खरीदते हैं। इसके अलावा खानपान पर भी लोग खुलकर खर्च करते हैं।
लखनऊ में सबसे ज्यादा बिकता क्या है?
लखनऊ की चिकनकारी देश-विदेश में फेमस है। लोग चिकनकारी कुर्ते, साड़ियां और दुपट्टे खूब खरीदते हैं। इसके अलावा ज्वैलरी, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, होम डेकोर, फर्नीचर और महंगे ब्रांड्स के कपड़े भी यहां खूब बिकते हैं।
नोएडा और कानपुर भी पीछे नहीं
लखनऊ भले ही खर्च के मामले में सबसे आगे हो लेकिन नोएडा और कानपुर भी पीछे नहीं हैं। नोएडा आईटी हब है और वहां के बड़े-बड़े मॉल्स और ब्रांड शोरूम में भी रोजाना करोड़ों की शॉपिंग होती है। कानपुर का लेदर मार्केट और टेक्सटाइल बाजार भी बड़े पैमाने पर कारोबार करते हैं।
इतनी खरीदारी से किसे फायदा?
लखनऊ जैसे शहर में हर दिन करोड़ों की खरीदारी से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। दुकानदार, वेंडर, ऑटो चालक, होटल कर्मचारी, मॉल स्टाफ – सभी की रोजी-रोटी इससे जुड़ी होती है। सरकार को टैक्स के रूप में ज्यादा रेवेन्यू भी मिलता है।
महंगाई की मार
जितनी तेजी से लखनऊ में खरीदारी बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से महंगाई भी लोगों को परेशान कर रही है। किराना, सब्जी, दूध, पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी से मिडिल क्लास और गरीब लोगों का बजट बिगड़ रहा है।
कितनी बढ़ जाती है खरीदारी त्योहारों में
फेस्टिव सीजन में लखनऊ की मार्केट में खर्च और भी बढ़ जाता है। शादी का सीजन, दिवाली, ईद, होली जैसे मौके पर लखनऊ में रोजाना 500-600 करोड़ रुपये तक की खरीदारी होती है। लोग नए कपड़े, सजावट का सामान, मिठाई, तोहफे, इलेक्ट्रॉनिक्स और फर्नीचर पर जमकर खर्च करते हैं।
लखनऊ में खर्च का असर किन पर ज्यादा?
महंगे शहर में सबसे ज्यादा असर मिडिल क्लास और गरीब परिवारों पर पड़ता है। किराया बढ़ रहा है, PG और हॉस्टल महंगे हो रहे हैं। छात्र भी बढ़े खर्चों से परेशान हैं। नौकरीपेशा लोग महंगाई से परेशान हैं लेकिन शहर की चकाचौंध उन्हें शॉपिंग करने से रोक भी नहीं पाती।
क्या कहती हैं रिपोर्ट्स
कई रिपोर्ट्स के मुताबिक लखनऊ में बड़ी-बड़ी कंपनियां, ब्रांडेड शोरूम, मॉल्स और बाजार में हर दिन लाखों लोग आते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग का ट्रेंड बढ़ने के बावजूद लखनऊ के लोग आज भी बाजारों में खरीदारी करना ज्यादा पसंद करते हैं।
लखनऊ की मशहूर मार्केट
अमीनाबाद – यहां पुराने समय से कपड़े, साड़ियां, ज्वैलरी और घरेलू सामान मिलता है।
चौक – चिकनकारी कपड़ों और पारंपरिक सामान का हब।
हजरतगंज – लखनऊ का सबसे हाईफाई मार्केट, ब्रांडेड शोरूम, कैफे और मॉल्स का गढ़।
गोमती नगर – नए मॉल्स और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के लिए जाना जाता है।
क्यों जरूरी है लखनऊ की ये मार्केट
लखनऊ सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि आस-पास के जिलों और कस्बों के लिए भी बड़ा बाजार है। गांव के लोग बड़ी शॉपिंग के लिए लखनऊ आते हैं। यही वजह है कि यहां हर दिन करोड़ों रुपये का कारोबार होता है।
निष्कर्ष
लखनऊ को नवाबों का शहर यूं ही नहीं कहते। यहां की रौनक, तहजीब, चिकनकारी और बाजार की चमक इसे उत्तर प्रदेश का सबसे महंगा शहर बना देती है। रोजाना 200-300 करोड़ रुपये खर्च होना इस बात का सबूत है कि लोग यहां दिल खोलकर खर्च करते हैं। अगर आप भी लखनऊ जाएं तो इसकी बाजारों की रौनक जरूर देखें और नवाबी ठाठ का मजा लें।