अब बैंक नहीं डरा सकेगा! लोन डिफॉल्टर को सुप्रीम कोर्ट ने दी कानूनी सुरक्षा

देश के करोड़ों कर्जदारों के लिए राहत की खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है जो लोन लेने वाले आम लोगों के लिए एक कानूनी सुरक्षा कवच की तरह है। अब अगर कोई व्यक्ति अपनी EMI (किस्त) समय पर नहीं चुका पाता, तो बैंक उसे सीधे जमीन, घर या वाहन जब्त करने की धमकी नहीं दे सकेगा।

इस फैसले से न सिर्फ आम लोगों को राहत मिली है बल्कि यह बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता और इंसाफ को भी मजबूती देगा।

मामला क्या था?

यह मामला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा था, जिसने गाड़ी लोन लिया था लेकिन आर्थिक परेशानी के चलते कुछ समय तक किस्त नहीं चुका सका। बैंक ने उसकी गाड़ी जब्त कर ली। उसने कोर्ट में गुहार लगाई कि बिना नोटिस या प्रक्रिया के उसकी संपत्ति क्यों छीनी गई।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि:

कर्जदार को कानूनी प्रक्रिया के तहत पूरा मौका मिलना चाहिए। सिर्फ EMI नहीं चुकाने पर फौरन कब्जा करना अवैध है।

 सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को फटकार लगाते हुए कहा कि:

  • EMI चूकने पर बिना पूर्व सूचना और उचित प्रक्रिया के संपत्ति जब्त नहीं की जा सकती

  • ग्राहक को अपनी बात रखने का मौका देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकार है

  • सरफेसी एक्ट (SARFAESI Act) और अन्य कानूनी प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है।

SARFAESI एक्ट क्या है?

SARFAESI Act, 2002 (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act) के तहत:

  • बैंक और NBFC किसी संपत्ति पर कब्जा तभी कर सकते हैं जब

    1. लोन अकाउंट NPA (Non-Performing Asset) घोषित हो गया हो

    2. 60 दिन का नोटिस दिया गया हो

    3. ग्राहक को अपील और पुनर्विचार का अवसर मिला हो

सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई और बैंकों को सावधानी बरतने की सलाह दी।

आम जनता को क्या फायदा?

इस फैसले से अब बैंक या लोन एजेंट आपको डराकर सीधी संपत्ति कब्जा करने का प्रयास नहीं कर सकेंगे।
आपके पास होंगे:

  • नोटिस प्राप्त करने का अधिकार

  • अपनी बात रखने का अवसर

  • कानूनी उपायों का विकल्प

क्या करें अगर आप EMI नहीं चुका पा रहे हैं?

यदि आप किसी कारणवश समय पर लोन नहीं चुका पा रहे हैं, तो घबराएं नहीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार आप इन कदमों पर चल सकते हैं:

  1. बैंक को लिखित रूप से सूचित करें और अपनी स्थिति स्पष्ट करें।

  2. री-पेमेंट प्लान के लिए निवेदन करें।

  3. EMI मोरेटोरियम या टेनेयर बढ़ाने की सुविधा मांग सकते हैं।

  4. ग्रेवाल्स रिड्रेसल फोरम या बैंकिंग लोकपाल में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

  5. कोर्ट में अपील का अधिकार हमेशा खुला रहता है।

 गलत तरीके अपनाने वाले बैंकों के लिए चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि यदि कोई बैंक या वित्तीय संस्था बिना कानूनी प्रक्रिया के फोर्सफुल रिकवरी या कब्जा करती है, तो वह अवैध मानी जाएगी। ऐसे मामलों में:

  • ग्राहक कोर्ट में जा सकता है

  • बैंक के खिलाफ हर्जाना या जुर्माना भी लगाया जा सकता है

  • यहां तक कि रिकवरी एजेंट्स पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है

 क्या अब कोई भी लोन न चुकाए?

बिलकुल नहीं। यह फैसला उन लोगों के लिए है जो:

  • वास्तव में आर्थिक संकट में हैं

  • अपनी स्थिति बैंक को बताते हैं

  • समय मांगते हैं, लेकिन उन्हें सुनवाई नहीं मिलती

अगर कोई जानबूझकर लोन नहीं चुकाता या फ्रॉड करता है, तो कानून उसके खिलाफ भी सख्त है

EMI ना चुकाने की कानूनी स्थिति

  • पहली EMI ना देने पर लेटलतीफ शुल्क (Late Payment Fee) लगती है

  • लगातार 3 EMI ना देने पर अकाउंट को NPA घोषित किया जाता है

  • इसके बाद बैंक SARFAESI एक्ट के तहत 60 दिन का नोटिस भेजते हैं

  • फिर भी समाधान न होने पर संपत्ति की जब्ती की प्रक्रिया शुरू होती है

इस पूरी प्रक्रिया में आपको कई अवसर मिलते हैं, जो अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद और भी ज्यादा स्पष्ट और मजबूत हो गए हैं।

निष्कर्ष

अब बैंक नहीं डरा सकेगा!
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले से आम नागरिक को राहत दी है। यह फैसला खासकर उन लोगों के लिए है जो परिस्थितियोंवश लोन चुकाने में असमर्थ हैं, लेकिन बैंक की धमकी या ज़बरदस्ती के डर से परेशान रहते हैं।

अब आपके पास हैं कानूनी अधिकार, वक्त और इंसाफ की उम्मीद। लेकिन साथ ही, जिम्मेदारी से कर्ज चुकाना हर नागरिक का दायित्व भी है।

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