Supreme Court का बड़ा खुलासा, इतने साल में कब्जा करने वाला बन सकता है प्रॉपर्टी का मालिक

भारत में ज़मीन और प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। कई बार ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति किसी ज़मीन या संपत्ति पर लंबे समय से रह रहा होता है, लेकिन वो उसका कानूनी मालिक नहीं होता। ऐसे में सवाल उठता है—क्या सिर्फ लंबे समय तक कब्जा रखने से कोई ज़मीन का मालिक बन सकता है? इस पर हाल ही में Supreme Court ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिससे लाखों लोगों को सीधे तौर पर फायदा या असर हो सकता है।

क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी ज़मीन पर लगातार 12 साल या उससे अधिक समय तक बिना किसी कानूनी बाधा या विरोध के कब्जा किए बैठा है, और असली मालिक ने इस पर कोई दावा नहीं किया, तो उस व्यक्ति को उस ज़मीन का कानूनी मालिक माना जा सकता है। इसे Adverse Possession कहा जाता है।

Adverse Possession क्या है?

‘Adverse Possession’ एक कानूनी अवधारणा है, जिसके तहत यदि कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी पर लगातार, खुलकर और बगैर मालिक की अनुमति के कब्जा करता है और असली मालिक लंबे समय तक चुप रहता है, तो कब्जेदार व्यक्ति संपत्ति का कानूनी मालिक बन सकता है।

इस अवधारणा के लिए आवश्यक शर्तें:

  • कब्जा खुले तौर पर और जाहिर रूप से होना चाहिए।

  • लगातार 12 साल या उससे अधिक समय तक कब्जा बरकरार रहना चाहिए।

  • असली मालिक ने उस अवधि में कोई कानूनी आपत्ति या मुकदमा नहीं किया हो।

  • कब्जा स्वेच्छा से और जानबूझकर किया गया हो।

किसे होगा फायदा?

इस फैसले से उन लोगों को राहत मिलेगी जो वर्षों से किसी खाली ज़मीन या छोड़ी गई संपत्ति पर रह रहे हैं और उन्हें हर समय बेदखल होने का डर रहता है। अगर उनके कब्जे की अवधि 12 साल से अधिक हो चुकी है और उस पर कोई केस नहीं हुआ है, तो अब वे Adverse Possession के तहत मालिकाना हक का दावा कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा,

“अगर किसी संपत्ति का असली मालिक लापरवाह है और अपनी संपत्ति की रक्षा नहीं करता, तो कब्जेदार को मालिकाना हक मिल सकता है।”

इस फैसले से यह भी स्पष्ट हो गया है कि अदालतें अब ऐसे मामलों में कब्जेदारों के अधिकारों को भी मान्यता देंगी, बशर्ते कि सभी कानूनी शर्तें पूरी की गई हों।

असली मालिकों के लिए चेतावनी

यह फैसला भले ही कब्जेदारों के लिए राहत लेकर आया हो, लेकिन प्रॉपर्टी के असली मालिकों के लिए यह चेतावनी भी है। यदि आपने अपनी संपत्ति पर लंबे समय तक ध्यान नहीं दिया और किसी ने उस पर कब्जा कर लिया, तो आप मालिकाना हक खो सकते हैं

जरूरी सावधानियां:

  • समय-समय पर अपनी प्रॉपर्टी की जांच करें।

  • यदि किसी ने कब्जा कर लिया है, तो 12 साल के भीतर कानूनी कार्रवाई करें।

  • बिजली का बिल, पानी का बिल या टैक्स की रसीद अपने नाम पर रखें, ताकि आपकी मालिकाना स्थिति स्पष्ट हो।

अदालत में कैसे करें Adverse Possession का दावा?

यदि आप किसी ज़मीन या प्रॉपर्टी पर 12 साल से अधिक समय से रह रहे हैं और आपके पास कोई दस्तावेज़ नहीं है, तो आप अदालत में जाकर Adverse Possession के आधार पर मालिकाना हक का केस दायर कर सकते हैं।

जरूरी दस्तावेज़:

  • कब्जे की फोटो या वीडियो सबूत

  • गवाहों का बयान

  • स्थानीय स्तर पर पहचान पत्र या बिजली-बिल, पानी-बिल की रसीदें

प्रक्रिया:

  1. सिविल कोर्ट में केस दाखिल करें।

  2. कब्जे की पूरी जानकारी और समय अवधि का प्रमाण दें।

  3. कोर्ट में यह साबित करें कि कब्जा खुले तौर पर और बिना आपत्ति के हुआ है।

  4. कोर्ट द्वारा सत्यापन के बाद निर्णय दिया जाएगा।

निष्कर्ष

Supreme Court का यह फैसला भारत में प्रॉपर्टी से जुड़े कानूनों में एक बड़ा बदलाव है। अब कोई भी व्यक्ति अगर किसी ज़मीन पर 12 साल से अधिक समय से लगातार रह रहा है और असली मालिक ने उस पर कोई दावा नहीं किया है, तो वह उस ज़मीन का कानूनी मालिक बन सकता है।

यह फैसला न सिर्फ कब्जेदारों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि असली मालिकों के लिए एक सावधानी का संकेत भी है कि वे अपनी संपत्तियों को समय पर संभालें, वरना वो उन्हें खो सकते हैं।

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