सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला: अब बच्चे नहीं कर पाएंगे माँ-बाप की संपत्ति पर कब्जा

भारत में पारिवारिक संपत्ति और माता-पिता की देखभाल का मुद्दा हमेशा से संवेदनशील रहा है। कई मामलों में देखा गया है कि बुजुर्ग माता-पिता को उनकी ही संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है या जबरन कब्जा कर लिया जाता है। अब इस समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिससे लाखों वरिष्ठ नागरिकों को राहत मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि माता-पिता यदि अपनी मर्ज़ी से बच्चों को प्रॉपर्टी से बेदखल करना चाहें, तो उन्हें ऐसा करने का पूरा हक है। कोर्ट ने कहा कि:

“बच्चों को माता-पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है, जब तक माता-पिता स्वयं उसे देना न चाहें।”

यह फैसला उन बुजुर्गों के लिए एक बड़ी राहत है जिन्हें अपने ही बच्चे प्रॉपर्टी से बाहर निकालने या मानसिक उत्पीड़न के ज़रिए संपत्ति हड़पने की कोशिश करते हैं।

कौन-सी संपत्ति पर लागू होगा यह नियम?

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश में दो प्रकार की संपत्तियों का ज़िक्र किया गया है:

  1. स्वअर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property):
    माता-पिता द्वारा कमाई या खरीदी गई संपत्ति पर केवल उन्हीं का अधिकार होता है। वे इसे किसी को भी दे सकते हैं या किसी को भी बेदखल कर सकते हैं।

  2. पैतृक संपत्ति (Ancestral Property):
    इस पर बच्चों का कुछ हद तक दावा होता है, लेकिन वह भी तब जब मालिक की मृत्यु हो जाए और वसीयत (Will) न हो।

फैसले का कानूनी आधार

इस फैसले की बुनियाद “Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007” पर आधारित है, जिसके तहत:

  • माता-पिता यदि अपनी संपत्ति बच्चों के नाम करते हैं इस शर्त पर कि वे उनकी देखभाल करेंगे, और यदि बच्चे ऐसा नहीं करते, तो माता-पिता वह संपत्ति वापस ले सकते हैं।

  • यदि बच्चे घर से निकालते हैं या उत्पीड़न करते हैं, तो माता-पिता उन्हें अपने घर से कानूनी रूप से बाहर कर सकते हैं।

ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही थी

देशभर में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जहाँ बुजुर्ग माता-पिता ने शिकायत की कि उनके बच्चे उन्हें मानसिक व आर्थिक शोषण का शिकार बना रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब ऐसे मामलों में न्याय मिलना आसान होगा।

कोर्ट के बयान की मुख्य बातें

बिंदु विवरण
अधिकार बच्चों को संपत्ति पर तभी अधिकार है जब माता-पिता खुद दें
बेदखली माता-पिता बच्चों को अपनी संपत्ति से निकाल सकते हैं
कानून Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007 लागू होगा
केस यदि देखभाल नहीं होती, तो माता-पिता ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं

बुजुर्गों को कैसे मिलेगा लाभ?

इस फैसले के बाद अब कोई भी बुजुर्ग माता-पिता अपने बच्चों के खिलाफ इन अधिकारों के लिए नीचे दिए गए कदम उठा सकते हैं:

  1. स्थानीय ट्राइब्यूनल में आवेदन करें
    Maintenance Tribunal में जाकर शिकायत दर्ज करें और अपनी संपत्ति को बच्चों से रिकवर करने की मांग करें।

  2. वसीयत तैयार करवाएं
    अपनी संपत्ति को लेकर स्पष्ट वसीयत तैयार करें ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।

  3. पुलिस में शिकायत
    यदि बच्चे मानसिक या शारीरिक शोषण करें तो पुलिस से मदद लें।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला क्यों अहम है?

  • यह फैसला उन लाखों वरिष्ठ नागरिकों को अधिकार देता है जो शोषण का शिकार हैं।

  • इससे बच्चों को यह संदेश जाता है कि माता-पिता कोई बोझ नहीं हैं।

  • संपत्ति को लेकर होने वाले पारिवारिक झगड़ों में कमी आएगी।

आम लोगों की प्रतिक्रिया

इस फैसले के बाद सोशल मीडिया और आम जनता में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली है:

“अब बच्चों को सोच समझकर चलना होगा, वरना माता-पिता संपत्ति से निकाल सकते हैं।”

“बहुत अच्छा फैसला है, इससे बुजुर्गों को सम्मान और सुरक्षा दोनों मिलेगा।”

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त फैसला समाज के उस पक्ष को मजबूत करता है, जो अक्सर सबसे अधिक उपेक्षित रहता है – हमारे बुजुर्ग। अब माता-पिता यह तय कर सकते हैं कि वे अपनी मेहनत की कमाई किसे दें और किसे नहीं। यह कदम केवल संपत्ति से जुड़ा नहीं है, बल्कि माता-पिता के आत्मसम्मान और अधिकारों की रक्षा से भी जुड़ा है।

यदि आप या आपके परिवार में कोई वरिष्ठ नागरिक ऐसी परिस्थिति से गुजर रहा है, तो इस फैसले के बारे में ज़रूर जानकारी दें और ज़रूरत पड़े तो कानूनी मदद लें।

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