भारत में पारिवारिक संपत्ति विवाद कोई नई बात नहीं है। अक्सर माता-पिता अपनी जिंदगी में ही अपनी मेहनत से कमाई संपत्ति की वसीयत बना देते हैं और उसे अपने बच्चों के नाम कर देते हैं। लेकिन कई बार हालात बदलने पर माता-पिता को लगता है कि बच्चों को दी गई संपत्ति वापस लेनी चाहिए। ऐसे में क्या माता-पिता अपनी वसीयत बदल सकते हैं? इसका जवाब है — हाँ!
आइए विस्तार से जानते हैं कि वसीयत क्या है, उसे बदलने का कानून क्या कहता है और माता-पिता अपनी संपत्ति को दोबारा अपने नाम पर कैसे ले सकते हैं।
वसीयत क्या होती है?
वसीयत (Will) एक ऐसा कानूनी दस्तावेज होता है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति की इच्छा मृत्यु के बाद जाहिर करता है। यानी आप अपनी जिंदगी में ही तय कर सकते हैं कि आपकी संपत्ति किसे मिलेगी।
भारत में वसीयत बनाना बेहद आसान है और इसके लिए Indian Succession Act, 1925 लागू होता है।
क्या वसीयत फाइनल होती है?
बहुत से लोग यह सोचते हैं कि एक बार वसीयत बना दी तो वह अंतिम होती है और फिर उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपनी वसीयत को जब चाहे बदल सकता है। इसके लिए कोई रोक नहीं है। आप चाहे तो पुरानी वसीयत को कैंसिल कर सकते हैं या नई वसीयत बना सकते हैं।
वसीयत बदलने का कानूनी तरीका
1. वसीयत में संशोधन (Codicil)
अगर आप पूरी वसीयत को नहीं बदलना चाहते हैं तो आप केवल कुछ शर्तों या हिस्सों को बदलने के लिए एक नया दस्तावेज जोड़ सकते हैं जिसे Codicil कहते हैं। इसे पुरानी वसीयत से जोड़ दिया जाता है।
2. नई वसीयत बनाना
अगर आप चाहते हैं कि पूरी वसीयत बदल जाए तो आप पुरानी वसीयत को रद्द कर एक नई वसीयत बना सकते हैं। नई वसीयत में साफ लिखना जरूरी है कि पुरानी वसीयत को निरस्त किया जा रहा है।
3. रजिस्ट्री जरूरी नहीं
वसीयत को रजिस्ट्री कराना जरूरी नहीं है, लेकिन अगर आप इसे रजिस्टर्ड कराते हैं तो बाद में विवाद की स्थिति में यह कोर्ट में मजबूत सबूत बनती है।
वसीयत को बदलने के लिए जरूरी शर्तें
व्यक्ति जीवित होना चाहिए।
व्यक्ति पूरी तरह से मानसिक रूप से सक्षम हो।
वसीयत बदलते वक्त उस पर दो गवाहों के साइन होने चाहिए।
नई वसीयत में यह लिखना जरूरी है कि पिछली वसीयत रद्द की जा रही है।
क्यों बदलते हैं लोग वसीयत?
बहुत बार माता-पिता अपने बच्चों को संपत्ति सौंपने के बाद महसूस करते हैं कि औलाद उनका ख्याल नहीं रख रही या घर से निकालने की कोशिश कर रही है। ऐसे में माता-पिता को कानून यह अधिकार देता है कि वे अपनी वसीयत बदल सकते हैं और अपनी संपत्ति वापस ले सकते हैं या किसी और के नाम कर सकते हैं।
कई मामलों में माता-पिता ने वसीयत बदलकर धर्मार्थ संस्था, बेटी या किसी जरूरतमंद रिश्तेदार के नाम संपत्ति कर दी।
कोर्ट के फैसले क्या कहते हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने भी कई मामलों में साफ किया है कि अगर वसीयत बनाने वाला व्यक्ति जिंदा है तो उसे अपनी संपत्ति पर पूरा हक है और वह वसीयत बदल सकता है।
अगर कोई जबरदस्ती वसीयत बदलवाने की कोशिश करता है या धोखे से संपत्ति हड़पने की कोशिश करता है तो ऐसे मामलों में भी कोर्ट से राहत ली जा सकती है।
बिना वसीयत के क्या होता है?
अगर कोई व्यक्ति वसीयत के बिना गुजर जाता है तो उसकी संपत्ति के बंटवारे में Hindu Succession Act लागू होता है और संपत्ति उसके कानूनी वारिसों में बराबर बंट जाती है।
वसीयत बदलते वक्त ध्यान रखें ये बातें
दो गवाह जरूर रखें।
वसीयत की कॉपी सुरक्षित रखें।
वसीयत को रजिस्ट्री कराने से बाद में विवाद नहीं होता।
नई वसीयत में पुरानी वसीयत को रद्द करने का जिक्र जरूर करें।
किसी भी दबाव में वसीयत न बदलें।
वसीयत बदलने का खर्चा कितना आता है?
वसीयत बदलने में कोई बड़ा खर्चा नहीं आता। आप इसे नोटरी या रजिस्ट्रार ऑफिस से रजिस्ट्री कराना चाहें तो मामूली रजिस्ट्रेशन फीस लगती है। वकील की फीस अलग से होती है।
माता-पिता के लिए सलाह
अगर आपके बच्चों ने आपके साथ सही व्यवहार नहीं किया तो आप अपनी संपत्ति वापस लेने का अधिकार रखते हैं।
किसी भी दबाव में वसीयत न बनाएं।
जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह जरूर लें।
अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड सुरक्षित रखें ताकि कोई जालसाजी न कर सके।
निष्कर्ष
कानून माता-पिता को पूरा अधिकार देता है कि वे अपनी वसीयत में बदलाव कर सकते हैं। अगर आपने अपनी मेहनत की कमाई औलाद के नाम कर दी है और बाद में हालात बदल गए हैं तो घबराएं नहीं। आप कानूनी तरीके से अपनी संपत्ति वापस ले सकते हैं। बस सही सलाह लें, गवाह रखें और दस्तावेज पूरे रखें।