नोट की छपाई में RBI उड़ाता है करोड़ों! जानिए किस नोट पर कितना खर्च होता है

भारत में करेंसी नोट सिर्फ लेन-देन का माध्यम ही नहीं हैं, बल्कि ये भारतीय अर्थव्यवस्था की नब्ज हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर एक नोट को छापने में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को कितना खर्च आता है? ₹10 के नोट से लेकर ₹2000 तक के नोट की छपाई में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानें कि कौन-सा नोट RBI को सबसे महंगा पड़ता है और इसकी लागत कितनी होती है।

नोट छपाई की जिम्मेदारी किसकी होती है?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश में करेंसी नोटों की छपाई और सप्लाई की जिम्मेदारी निभाता है। RBI के अंतर्गत चार प्रेस काम करती हैं:

  • भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (BRBNMPL) – मैसूर और सालबोनी में स्थित

  • सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) – नासिक और देवास में स्थित

करेंसी नोट छापने में लगने वाली सामग्री

एक नोट को छापने के लिए सिर्फ कागज और स्याही नहीं लगती, बल्कि इसमें कई सुरक्षा फीचर्स, वाटरमार्क, सिक्योरिटी थ्रेड, माइक्रोप्रिंटिंग, और रंगीन धागे शामिल होते हैं। इन सबकी वजह से नोट छापने की लागत बढ़ जाती है।

₹10 से ₹2000 तक के नोट पर खर्च कितना होता है?

RBI की रिपोर्ट और विशेषज्ञों के अनुसार, अलग-अलग मूल्य के नोटों की छपाई लागत कुछ इस प्रकार है:

नोट का मूल्य अनुमानित छपाई लागत (₹ में)
₹10 ₹0.96 से ₹1.10
₹20 ₹1.10 से ₹1.20
₹50 ₹1.70 से ₹1.80
₹100 ₹1.90 से ₹2.00
₹200 ₹2.50 से ₹2.70
₹500 ₹2.90 से ₹3.10
₹2000 ₹3.50 से ₹3.70

ध्यान दें: ये आंकड़े समय के साथ बदल सकते हैं, क्योंकि इनपुट सामग्री, तकनीक और सुरक्षा फीचर्स के बदलाव के अनुसार लागत बढ़ती या घटती है।

नोट छपाई पर हर साल कितना खर्च होता है?

RBI हर साल करोड़ों नोट छापता है। उदाहरण के तौर पर, अगर RBI ने एक वित्तीय वर्ष में 500 करोड़ ₹500 के नोट छापे, तो केवल इन नोटों की छपाई पर ही लगभग ₹1500 करोड़ खर्च हो सकता है।

इसके अलावा, खराब हो चुके या पुराने नोटों को हटाने और नए नोटों को सप्लाई करने की लागत अलग से होती है। पूरी प्रक्रिया में करोड़ों का बजट खर्च होता है।

RBI नोट छपाई पर इतना खर्च क्यों करता है?

RBI को अपने नोटों की सुरक्षा और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए कई एडवांस तकनीकों का उपयोग करना होता है। इसमें शामिल हैं:

  • सिक्योरिटी थ्रेड

  • वॉटरमार्क

  • माइक्रोलेटरिंग

  • लैटेंट इमेज

  • इंटैग्लियो प्रिंटिंग

  • ऑप्टिकल वेरिएबल इंक

इन सभी फीचर्स का उद्देश्य नकली नोटों से बचाव करना और नोट की गिनती में आसानी लाना होता है।

क्या ₹2000 का नोट बंद हो गया है?

RBI ने 2023 में ₹2000 के नोटों को चरणबद्ध तरीके से प्रचलन से बाहर करने की घोषणा की थी। हालांकि ये लीगल टेंडर हैं, लेकिन अब इनकी छपाई बंद कर दी गई है। इसका मकसद था छोटे मूल्यवर्ग के नोटों का उपयोग बढ़ाना और नकली नोटों पर रोक लगाना।

क्या सिक्के भी इतने महंगे पड़ते हैं?

नोटों की तुलना में सिक्कों की छपाई और ढलाई प्रक्रिया अलग होती है। एक ₹1 का सिक्का बनाने में ₹1.50 से ₹1.78 तक खर्च आ सकता है, यानी ये घाटे का सौदा होता है। फिर भी सरकार छोटे लेन-देन के लिए सिक्कों को बनाए रखती है।

क्या डिजिटल पेमेंट से नोट छपाई का खर्च कम हुआ है?

हाँ, UPI, नेट बैंकिंग और कार्ड ट्रांजैक्शन जैसे डिजिटल विकल्पों के बढ़ने से नकद लेन-देन में गिरावट आई है। इसका सीधा असर नोटों की छपाई संख्या और लागत पर पड़ा है। फिर भी भारत जैसे देश में अब भी करोड़ों लोग नकदी पर निर्भर हैं, इसलिए नोट छपाई की जरूरत पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।

निष्कर्ष 

नोट छपाई की प्रक्रिया जितनी आसान दिखती है, उतनी है नहीं। इसके पीछे एक व्यापक व्यवस्था, सुरक्षा मानक और करोड़ों का खर्च जुड़ा होता है। भारतीय रिजर्व बैंक सुनिश्चित करता है कि नोट न केवल दिखने में प्रामाणिक हों, बल्कि उन्हें नकली बनाना भी असंभव हो। ₹10 से ₹2000 तक के हर नोट के पीछे की लागत यह दिखाती है कि हमारे पास जो करेंसी है, वह केवल कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक महंगी और संवेदनशील जिम्मेदारी है।

Leave a Comment

Join Whatsapp Group