अगर आप भी मकान या जमीन बेचने की सोच रहे हैं तो पहले यह खबर जरूर पढ़ लें। इनकम टैक्स विभाग ने घर बेचने पर टैक्स को लेकर नया फॉर्म्युला जारी कर दिया है। अब आप मकान बेचकर जो रकम कमाएंगे, उस पर आपको टैक्स चुकाना ही होगा। अगर आपने नियम नहीं समझे तो नोटिस भी आ सकता है और भारी पेनाल्टी भी लग सकती है।
इसलिए घर बेचने से पहले यह जान लें कि घर बेचने पर कितना टैक्स देना होगा, कौन सा टैक्स लगेगा और कैसे आप इसे बचा भी सकते हैं।
घर बेचने पर कौन सा टैक्स लगता है?
भारत में जब आप कोई प्रॉपर्टी बेचते हैं तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) लगता है। इसका मतलब है कि आप जिस कीमत पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं और जिस कीमत पर बेचते हैं, उसके बीच के मुनाफे पर टैक्स देना होता है।
कितने प्रकार का होता है कैपिटल गेन टैक्स?
कैपिटल गेन टैक्स दो प्रकार का होता है:
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG):
अगर आपने मकान या जमीन को खरीदने के 24 महीने के भीतर बेच दिया तो यह शॉर्ट टर्म माना जाएगा। इस पर आपकी टैक्स स्लैब के मुताबिक नॉर्मल इनकम टैक्स लगता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG):
अगर आपने मकान 2 साल से ज्यादा रखा और फिर बेचा तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इसमें सरकार ने 20% की टैक्स दर तय की है। हालांकि इंडेक्सेशन बेनिफिट भी मिलता है जिससे टैक्स थोड़ा कम हो सकता है।
इंडेक्सेशन बेनिफिट क्या होता है?
इंडेक्सेशन बेनिफिट के तहत महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए आपकी खरीद कीमत को बढ़ा दिया जाता है। इससे आपका मुनाफा कम दिखता है और टैक्स भी कम देना पड़ता है।
उदाहरण:
मान लीजिए आपने 2010 में एक फ्लैट 30 लाख में खरीदा था और 2024 में उसे 70 लाख में बेच दिया। सीधा मुनाफा तो 40 लाख होगा। लेकिन इंडेक्सेशन से यह मुनाफा घटकर 20-25 लाख रह सकता है। उस पर फिर 20% टैक्स लगेगा।
घर बेचने पर टैक्स कैसे कैलकुलेट होगा? नया फॉर्म्युला
इनकम टैक्स विभाग ने इसके लिए सीधा फॉर्म्युला दिया है:
कैपिटल गेन = बिक्री मूल्य – (खरीद मूल्य + इंडेक्सेशन + रजिस्ट्रेशन खर्च + सुधार खर्च)
यानी आपने मकान को रेनोवेट करवाया हो या रजिस्ट्रेशन में जो भी खर्चा किया हो, वो भी घटा सकते हैं।
टैक्स बचाने के तरीके
सरकार ने कुछ राहतें भी दी हैं जिससे आप टैक्स से बच सकते हैं:
सेक्शन 54 के तहत:
अगर आपने मकान बेचकर वही पैसा दूसरे घर में लगाया तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा। शर्त ये है कि नया घर बेचने के 1 साल पहले या 2 साल बाद तक खरीदना होगा। निर्माण है तो 3 साल के भीतर बनाना होगा।
कैपिटल गेन बॉन्ड:
आप चाहें तो सरकारी 54EC बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। इसमें 50 लाख रुपये तक की राशि आप निवेश कर सकते हैं। इससे आपको टैक्स छूट मिलती है।
मकान बेचने पर TDS भी कटता है
अगर प्रॉपर्टी की वैल्यू 50 लाख रुपये से ज्यादा है तो खरीददार को 1% TDS काटना होगा। यह TDS रजिस्ट्री के वक्त ही काट लिया जाता है और इसे इनकम टैक्स रिटर्न में एडजस्ट करना होता है।
बेनामी संपत्ति पर सख्त कानून
ध्यान रखें कि बेनामी संपत्ति पर सख्त कार्रवाई होती है। अगर आपने प्रॉपर्टी बेचने के बाद उसे इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं दिखाया तो इनकम टैक्स विभाग भारी पेनाल्टी लगा सकता है और जेल तक हो सकती है।
क्या किराए पर दिया मकान बेचने पर टैक्स अलग होगा?
नहीं, अगर आप किराए पर दिए मकान को बेचते हैं तो वही कैपिटल गेन टैक्स नियम लागू होंगे। किराए से जो इनकम होती है वो अलग से आपके सालाना टैक्स में जुड़ती है।
घर बेचने से पहले इन बातों का ध्यान रखें
सभी दस्तावेज तैयार रखें – पुरानी रजिस्ट्री, खरीदने का एग्रीमेंट, स्टांप ड्यूटी रसीद आदि।
TDS की जानकारी खरीददार को जरूर दें।
कैपिटल गेन को सही से कैल्कुलेट करें।
इनकम टैक्स रिटर्न में इसे सही से दिखाएं।
अगर टैक्स छूट चाहते हैं तो नया घर जरूर खरीदें या कैपिटल गेन बॉन्ड में निवेश करें।
किसे देना होगा टैक्स?
मकान बेचने वाला व्यक्ति टैक्स देने के लिए जिम्मेदार होता है। अगर कई को-ओनर हैं तो सबको अपने हिस्से के हिसाब से टैक्स देना होगा।
क्या NRIs को भी देना होगा टैक्स?
अगर कोई NRI अपनी भारतीय प्रॉपर्टी बेचता है तो उसे भी कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। साथ ही 20% TDS भी काटा जाएगा।
निष्कर्ष
अगर आप भी मकान बेचने की सोच रहे हैं तो नया इनकम टैक्स फॉर्म्युला समझकर ही डील फाइनल करें। सही कैलकुलेशन और टैक्स प्लानिंग से आप लाखों रुपये की पेनाल्टी से बच सकते हैं। जरूरत हो तो टैक्स एडवाइजर की मदद लें और तय सीमा में टैक्स जमा कराएं।