जमीन-जायदाद विवाद में अब माता-पिता की सुनी जाएगी पहले! – कोर्ट का नया आदेश

भारतीय समाज में संपत्ति विवाद लंबे समय से पारिवारिक तनाव का मुख्य कारण रहे हैं। खासकर जब माता-पिता अपनी ही संतान से न्याय की उम्मीद में कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं, तब मामला और भी संवेदनशील हो जाता है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हाल ही में कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें माता-पिता को संपत्ति विवादों में प्राथमिकता देने की बात कही गई है। यह फैसला न केवल सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से भी एक नई दिशा प्रदान करता है।

कोर्ट का फैसला क्या है?

देश के विभिन्न हाईकोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में कई मामलों में यह देखा गया कि वृद्ध माता-पिता को संपत्ति से बेदखल कर दिया गया या उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। ऐसे मामलों को तेजी से निपटाने और माता-पिता को प्राथमिकता देने के लिए कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं:

  • वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से ऊपर) की संपत्ति से जुड़े मामलों की सुनवाई जल्द होगी।

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  • बच्चों या रिश्तेदारों द्वारा अगर माता-पिता को उनकी संपत्ति से बेदखल किया गया हो, तो उन्हें तत्काल राहत दी जाएगी।

  • यदि कोई बुजुर्ग अपने बच्चों को संपत्ति देकर बाद में प्रताड़ित होता है, तो वो उसे वापस लेने का अधिकार रखता है।

क्यों लिया गया ये फैसला?

भारत में तेजी से बदलते पारिवारिक ढांचे और बुजुर्गों की बढ़ती उपेक्षा को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। खासकर शहरी इलाकों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है जहां:

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इन परिस्थितियों में Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007 के तहत उन्हें कानूनी सुरक्षा दी गई है।

माता-पिता के अधिकार

कोर्ट के इस निर्णय के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि:

वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत संरक्षण

Senior Citizens Act 2007 के तहत अब निम्न अधिकार प्रभावी रूप से लागू होंगे:

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संपत्ति विवाद में कोर्ट की सख्ती

हाल के मामलों में कोर्ट ने निम्न कदम उठाए हैं:

आम जनता को क्या समझना चाहिए?

  • अगर आप माता-पिता हैं और आपने अपनी मेहनत की संपत्ति अपने बच्चों को दी है, तो आप यह सोचकर न रहें कि अब आपके पास कोई अधिकार नहीं।

  • अगर आपको घर से निकाला गया है या आपकी देखभाल नहीं हो रही है, तो आप कानूनी रूप से न्याय पा सकते हैं।

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  • बिना डर के अपने नजदीकी जिला कार्यालय, थाना या कोर्ट में जाकर शिकायत करें।

सरकार की ओर से क्या प्रयास हो रहे हैं?

निष्कर्ष

यह नया फैसला देश में एक सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करता है। माता-पिता जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपने बच्चों और परिवार के लिए समर्पित कर दी, अब उन्हें सम्मान और अधिकार दोनों मिलने की दिशा में न्यायपालिका ने एक मजबूत कदम उठाया है। यदि आप या आपके किसी जानने वाले बुजुर्ग के साथ भी संपत्ति विवाद या उपेक्षा हो रही है, तो अब समय है आवाज उठाने का – कानून आपके साथ है।

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