सावधान! अब जमीन की रजिस्ट्री से नहीं बनेंगे मालिक – कानून में बड़ा फेरबदल

अगर आप जमीन खरीदने की सोच रहे हैं या हाल ही में आपने प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाई है, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सरकार ने जमीन के मालिकाना हक को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अब केवल रजिस्ट्री से आप जमीन के मालिक नहीं माने जाएंगे। इसके लिए एक और महत्वपूर्ण प्रक्रिया जरूरी कर दी गई है – म्यूटेशन।

क्या है रजिस्ट्री और म्यूटेशन का फर्क?

  • रजिस्ट्री (Registry): जब आप कोई जमीन खरीदते हैं, तो आपको सरकारी रिकॉर्ड में मालिकाना हक दर्ज कराने के लिए रजिस्ट्री करवानी होती है। यह प्रक्रिया बिक्री समझौते (Sale Deed) के तहत की जाती है।

  • म्यूटेशन (Mutation): म्यूटेशन का मतलब है कि नई खरीद के बाद आपके नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव होना। यह प्रक्रिया आपके मालिकाना हक को सरकारी रिकॉर्ड में दर्शाती है और आपको कानूनी रूप से ज़मीन का वास्तविक मालिक बनाती है।

नया बदलाव क्या है?

अब सरकार ने साफ कर दिया है कि सिर्फ रजिस्ट्री से जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलेगा। यदि आपने रजिस्ट्री तो करवा ली है, लेकिन म्यूटेशन नहीं करवाया, तो सरकारी दस्तावेजों में आप मालिक नहीं माने जाएंगे। इसका असर खासतौर पर राजस्व रिकॉर्ड, जमीन की बिक्री, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने और कोर्ट के मामलों में पड़ेगा।

प्रमुख राज्य जहां यह नियम सख्ती से लागू

  • उत्तर प्रदेश

  • बिहार

  • मध्य प्रदेश

  • हरियाणा

  • राजस्थान

इन राज्यों में राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया है कि म्यूटेशन के बिना जमीन पर दावा मान्य नहीं होगा।

म्यूटेशन क्यों है ज़रूरी?

  1. सरकारी रिकॉर्ड में मालिकाना हक पक्का होता है।

  2. भविष्य में जमीन बेचने में कोई रुकावट नहीं आती।

  3. कोर्ट केस से बचने में मदद मिलती है।

  4. सरकारी योजनाओं (PM-Kisan, भूमि सुधार, आदि) का लाभ लेने में आसानी होती है।

  5. कर्ज या लोन लेने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ के रूप में म्यूटेशन काम आता है।

म्यूटेशन न होने से क्या हो सकता है नुकसान?

  • जमीन पर किसी और का दावा हो सकता है

  • बैंक लोन नहीं मिलेगा

  • सरकारी मुआवज़ा या सहायता नहीं मिलेगी

  • जमीन को वैध तरीके से आगे नहीं बेचा जा सकेगा

  • कोर्ट में मालिकाना अधिकार साबित करना मुश्किल हो जाएगा

म्यूटेशन कैसे कराएं? (स्टेप बाय स्टेप प्रक्रिया)

  1. रजिस्ट्री दस्तावेज तैयार रखें

    • Sale Deed, रजिस्ट्री की कॉपी

    • खसरा-खतौनी नंबर

    • पहचान पत्र (Aadhaar, PAN आदि)

  2. निकटतम तहसील या नगर पालिका कार्यालय जाएं

  3. Mutation फॉर्म भरें

    • आप ऑनलाइन पोर्टल से भी फॉर्म भर सकते हैं (राज्य सरकार की वेबसाइट से)

  4. प्रमाण पत्र और शुल्क जमा करें

  5. जांच अधिकारी द्वारा सत्यापन के बाद रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो जाएगा

  6. आपका नाम खतौनी/जमाबंदी में शामिल हो जाएगा

ऑनलाइन म्यूटेशन कैसे करें? (राज्य अनुसार)

रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन कितने दिनों में कराना चाहिए?

विशेषज्ञों के अनुसार, रजिस्ट्री के 30 दिनों के अंदर म्यूटेशन करा लेना सबसे बेहतर होता है। अगर इसमें देरी होती है, तो भविष्य में दिक्कतें आ सकती हैं, विशेषकर विवाद की स्थिति में।

सरकार की तरफ से सख्ती क्यों?

सरकार का कहना है कि बिना म्यूटेशन के जमीन की हेरा-फेरी और फर्जीवाड़ा बहुत बढ़ गया है। कई बार एक ही जमीन दो बार बेची जाती है या किसी और के नाम पर सरकारी योजनाओं का फायदा ले लिया जाता है। म्यूटेशन अनिवार्य होने से ये सभी दिक्कतें दूर होंगी।

निष्कर्ष

अब जमीन की रजिस्ट्री करवाने के साथ-साथ म्यूटेशन कराना अनिवार्य हो गया है। केवल रजिस्ट्री होने से आप कानूनी रूप से ज़मीन के मालिक नहीं माने जाएंगे। यदि आपने जमीन खरीदी है या खरीदने की सोच रहे हैं, तो म्यूटेशन की प्रक्रिया को नजरअंदाज बिल्कुल न करें।

 सलाह:

  • अपनी जमीन के कागजात को दोबारा जांचें

  • यदि म्यूटेशन नहीं हुआ है, तो जल्द से जल्द कराएं

  • अपने राज्य की भूलेख वेबसाइट से जानकारी लें या नजदीकी CSC केंद्र पर जाएं

Leave a Comment

Join Whatsapp Group