घर या जमीन खरीदना हर किसी का सपना होता है। लोग अपनी जिंदगी की जमा पूंजी लगाकर प्लॉट या फ्लैट खरीदते हैं और फिर रजिस्ट्री करवा लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब सिर्फ रजिस्ट्री कराने से ही आप संपत्ति के मालिक नहीं बन जाते? सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन कानून में बड़ा बदलाव किया है, जिससे रजिस्ट्री के बावजूद संपत्ति की मिल्कियत (Ownership) मिलने में दिक्कत आ सकती है।
आइए विस्तार से समझते हैं कि नया नियम क्या कहता है, इसके पीछे वजह क्या है और आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पहले क्या होता था?
अब तक प्रॉपर्टी खरीदने पर रजिस्ट्री ही मालिकाना हक का सबसे बड़ा सबूत मानी जाती थी। जमीन या मकान बेचने वाला और खरीदने वाला रजिस्ट्री ऑफिस जाकर दस्तावेजों पर साइन करते थे, रजिस्ट्री फीस भरते थे और खसरा-खतौनी में नाम बदल जाता था। लेकिन कई बार फर्जी दस्तावेजों और पुराने मालिकों के दावों की वजह से विवाद होते रहते थे।
क्या है नया बदलाव?
अब कई राज्य सरकारें और केंद्र सरकार भी प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को और मजबूत बनाने के लिए नया सिस्टम लागू कर रही हैं। इसके तहत:
सिर्फ रजिस्ट्री कराने से संपत्ति की पूरी मिल्कियत नहीं मानी जाएगी।
रजिस्ट्री के बाद मालिकाना हक पाने के लिए आपको म्युटेशन (नामांतरण) और दाखिल-खारिज भी कराना जरूरी होगा।
अगर दाखिल-खारिज नहीं होता तो सरकारी रिकॉर्ड में असली मालिकाना हक साफ नहीं होगा।
कई राज्यों में अब डिजिटल प्रॉपर्टी रिकॉर्ड से रजिस्ट्री लिंक की जा रही है।
म्युटेशन क्यों जरूरी है?
म्युटेशन (नामांतरण) का मतलब होता है — सरकारी रिकॉर्ड में पुराने मालिक के नाम से हटाकर नए मालिक का नाम दर्ज करना। यह काम पटवारी या तहसीलदार के ऑफिस में होता है।
अगर आपने रजिस्ट्री करा ली लेकिन म्युटेशन नहीं कराया तो जमीन या मकान पर आपका मालिकाना हक अधूरा रहेगा। भविष्य में:
आपको लोन लेने में दिक्कत आएगी।
संपत्ति बेचने या ट्रांसफर करने में परेशानी होगी।
सरकारी रिकॉर्ड में पुराना मालिक ही मालिक बना रहेगा।
विवाद होने पर कोर्ट में मुश्किल होगी।
रजिस्ट्री के बाद म्युटेशन नहीं तो क्या होगा?
अगर आपने प्रॉपर्टी खरीदने के बाद दाखिल-खारिज नहीं कराया तो आपकी रजिस्ट्री होते हुए भी कोई दूसरा व्यक्ति या पुराने मालिक के वारिस उस पर दावा कर सकते हैं। ऐसे में कोर्ट-कचहरी के चक्कर लग सकते हैं।
इसलिए सरकार ने साफ किया है कि अब रजिस्ट्री के बाद दाखिल-खारिज कराना अनिवार्य होगा।
नए नियम से किसे होगा फायदा?
सरकारी रिकॉर्ड क्लियर होंगे।
फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी के केस कम होंगे।
जमीन पर बार-बार कब्जा विवाद नहीं होगा।
बैंक से लोन लेना आसान होगा क्योंकि बैंक भी साफ रिकॉर्ड मांगते हैं।
संपत्ति बेचते वक्त नया खरीदार भी निश्चिंत होगा कि प्रॉपर्टी क्लियर है।
नए नियम से किसे होगा नुकसान?
जो लोग कागजों में गड़बड़ी कर प्रॉपर्टी बेचते या खरीदते थे, उन्हें अब फायदा नहीं होगा। पुराने समय में एक ही जमीन कई लोगों को बेच दी जाती थी। अब डिजिटल रिकॉर्ड से ऐसी गड़बड़ी पकड़ में आ जाएगी।
दाखिल-खारिज के लिए क्या जरूरी है?
रजिस्ट्री के बाद आपको इन डॉक्युमेंट्स के साथ पटवारी या तहसील ऑफिस जाना होगा:
Sale Deed (रजिस्ट्री पेपर)
Stamp Duty Receipt
पुराने मालिक की खसरा-खतौनी कॉपी
अपना पहचान पत्र (Aadhaar/PAN)
आवेदन पत्र और फीस
कब तक कराना होता है म्युटेशन?
अक्सर रजिस्ट्री के तुरंत बाद 3 से 6 महीने में म्युटेशन कराना जरूरी होता है। राज्य के हिसाब से यह समय अलग हो सकता है। देर करने पर पेनल्टी भी लग सकती है।
क्या म्युटेशन का मतलब मालिकाना हक ही है?
म्युटेशन सिर्फ सरकारी रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराता है, लेकिन मालिकाना हक का असली सबूत Sale Deed यानी रजिस्ट्री ही होती है। दोनों मिलकर ही मिल्कियत को पूरी तरह सुरक्षित बनाते हैं।
रजिस्ट्री + म्युटेशन = पूरा मालिकाना हक
क्या ऑनलाइन भी हो सकता है म्युटेशन?
अब कई राज्यों में दाखिल-खारिज प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है। जैसे:
यूपी में Bhulekh Portal
बिहार में Bhu-Naksha
हरियाणा में Jamabandi
राजस्थान में Apna Khata
इन पोर्टल्स पर आप घर बैठे आवेदन कर सकते हैं और Status भी देख सकते हैं।
घर या फ्लैट खरीदते वक्त क्या ध्यान रखें?
बिल्डर या प्रॉपर्टी डीलर से पूछें कि रजिस्ट्री के बाद दाखिल-खारिज कब और कैसे होगा।
पुरानी जमीन हो तो खसरा-खतौनी चेक करें कि कोई केस तो नहीं चल रहा।
Payment और रजिस्ट्री के बाद Mutation Slip जरूर लें।
अगर Mutation Pending है तो तुरंत करा लें।
क्या पुराने मालिक को भी बुलाना पड़ता है?
हां, कई जगह दाखिल-खारिज के लिए पुराने मालिक या उसका वारिस मौजूद रहना जरूरी होता है ताकि कोई झूठा दावा न हो। इसके बिना आवेदन अधूरा माना जा सकता है।
निष्कर्ष
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में बड़ा बदलाव! अब रजिस्ट्री के बाद भी फंसेगी मिल्कियत — इस आर्टिकल से साफ है कि अब सिर्फ रजिस्ट्री कराकर निश्चिंत बैठना खतरनाक हो सकता है। अगर आपने म्युटेशन नहीं कराया तो संपत्ति पर आपका अधिकार अधूरा रहेगा और भविष्य में विवाद की आशंका बनी रहेगी।
इसलिए जैसे ही रजिस्ट्री हो, वैसे ही दाखिल-खारिज कराएं और सरकारी रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराएं। तभी आप बिना किसी झंझट के अपनी जमीन या मकान के सही मालिक कहे जाएंगे।