अगर आप भी कोई मकान, प्लॉट या फ्लैट खरीदने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। हाल ही में सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से जुड़े कानूनों में बड़ा बदलाव किया है। नए नियमों के मुताबिक अब रजिस्ट्री का पैसा वापस पाना आसान नहीं होगा। अगर आप थोड़ी सी भी लापरवाही करते हैं तो आपकी मेहनत की कमाई डूब सकती है।
आइए जानते हैं क्या है नया कानून, रजिस्ट्री के पैसे कैसे फंस सकते हैं और कैसे आप इस नुकसान से बच सकते हैं।
रजिस्ट्री में बदलाव क्यों जरूरी हुआ?
देशभर में प्रॉपर्टी खरीद-फरोख्त के दौरान कई बार लोगों को धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता है। लोग बिना पूरी जानकारी के प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं और बाद में पता चलता है कि जमीन विवादित है या उस पर पहले से केस चल रहा है। ऐसे मामलों में कई लोग रजिस्ट्री रद्द करवा कर पैसे वापस चाहते हैं, लेकिन कानून में पहले इसकी कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी।
अब सरकार ने इस पर सख्ती बरतते हुए नया नियम लागू किया है ताकि गलत तरीके से रजिस्ट्री कराने वालों को सबक मिले और बिचौलिए इस प्रक्रिया का गलत फायदा न उठा सकें।
नया रजिस्ट्री कानून क्या कहता है?
नए नियमों के मुताबिक, अगर आपने किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवा ली है और बाद में कोई विवाद निकल आता है तो अब रजिस्ट्री फीस वापस नहीं मिलेगी। यानी आपकी पूरी रजिस्ट्री फीस सरकारी खजाने में ही जमा हो जाएगी।
इसके अलावा, अगर रजिस्ट्री कैंसिल होती है तो रिफंड के लिए सख्त शर्तें लागू की गई हैं। बहुत खास परिस्थितियों में ही पैसा वापस मिलेगा।
कौन-कौन सी स्थितियों में पैसा वापस नहीं मिलेगा?
अगर आपने किसी विवादित जमीन की रजिस्ट्री करवा ली है।
अगर डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट्स के कारण रजिस्ट्री कैंसिल होती है।
अगर खरीदार बाद में डील कैंसिल करता है तो।
अगर कोर्ट के आदेश से रजिस्ट्री रद्द होती है।
इन मामलों में रजिस्ट्री फीस या स्टांप ड्यूटी वापस नहीं दी जाएगी।
किन शर्तों में मिल सकता है रिफंड?
कुछ विशेष मामलों में सरकार ने छूट भी दी है, जैसे:
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अगर रजिस्ट्री तकनीकी गलती के कारण निरस्त होती है।
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अगर प्रॉपर्टी का पूरा ट्रांजैक्शन नहीं हुआ हो।
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अगर सरकारी आदेश से रजिस्ट्री अमान्य होती है।
इन मामलों में भी केवल आवेदन और कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद ही फीस वापस मिलेगी।
कितनी होती है रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी?
भारत के अलग-अलग राज्यों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की फीस अलग-अलग होती है। सामान्यतः प्रॉपर्टी के कुल मूल्य का 5% से 8% तक स्टांप ड्यूटी और 1% से 2% रजिस्ट्री फीस देनी पड़ती है। अगर प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रुपये है तो 3 से 5 लाख रुपये तक की रकम सिर्फ रजिस्ट्री में चली जाती है।
अगर यह रकम वापस न मिले तो नुकसान का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।
कैसे बचें इस नुकसान से?
खरीदने से पहले प्रॉपर्टी की पूरी जांच कराएं।
जमीन के सारे पुराने कागज, म्युटेशन और खतौनी चेक करें।
विवादित या कोर्ट केस वाली प्रॉपर्टी न खरीदें।
बिचौलियों के भरोसे रजिस्ट्री न कराएं।
स्थानीय वकील या रजिस्ट्री ऑफिस से सलाह जरूर लें।
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले ये डॉक्यूमेंट्स चेक करें
बिक्री अनुबंध (Sale Deed)
एनओसी (No Objection Certificate)
म्युटेशन पेपर
कब्जा प्रमाण पत्र
बिल्डर अप्रूवल (अगर फ्लैट है)
बिजली-पानी के कनेक्शन के कागज
अगर धोखाधड़ी हो जाए तो क्या करें?
अगर आपसे धोखे से प्रॉपर्टी रजिस्ट्री करवा ली गई है तो सबसे पहले:
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नजदीकी रजिस्ट्री ऑफिस में शिकायत करें।
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FIR दर्ज कराएं।
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कोर्ट में केस दाखिल करें।
हालांकि, ध्यान रहे कि कोर्ट से रजिस्ट्री निरस्त होने पर भी फीस वापस मिलना मुश्किल है।
नया कानून किसे करेगा फायदा?
इस नए प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन कानून से असली फायदा उन खरीदारों को होगा जो पूरी जांच-पड़ताल करके प्रॉपर्टी खरीदते हैं। इससे फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलेगी और मकान मालिक व खरीदार दोनों को सही सुरक्षा मिलेगी।
निष्कर्ष
अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो सावधानी बेहद जरूरी है। नया कानून साफ कहता है कि बिना सही जांच-पड़ताल के रजिस्ट्री करवाना भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
रजिस्ट्री का पैसा अब आसानी से वापस नहीं मिलेगा, इसलिए कोई भी डील फाइनल करने से पहले वकील से सलाह लें और सभी कागजात ठीक से जांचें।