अगर आप दिल्ली में प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने की योजना बना रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। दिल्ली सरकार ने प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री प्रक्रिया को पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए एक नया नियम लागू किया है। अब से प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के लिए कुछ दस्तावेज अनिवार्य कर दिए गए हैं। बिना इन दस्तावेजों के अब प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री नहीं हो पाएगी।
नया नियम क्यों लाया गया?
दिल्ली में हर साल हजारों प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री होती है। कई बार जाली दस्तावेजों के जरिये प्रॉपर्टी की धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आती रही हैं। इसे रोकने और खरीदार-बेचने वाले दोनों को कानूनी सुरक्षा देने के लिए यह नया नियम लागू किया गया है। इससे न केवल रजिस्ट्री प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी बल्कि फर्जीवाड़े पर भी लगाम लगेगी।
रजिस्ट्री के लिए अब कौन सा दस्तावेज होगा जरूरी?
दिल्ली सरकार ने अब प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के लिए ओरिजिनल पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) या ओरिजिनल सेल डीड को अनिवार्य कर दिया है। यानी अगर आप किसी और के द्वारा अधिकृत होकर प्रॉपर्टी बेच या खरीद रहे हैं तो आपको ओरिजिनल पावर ऑफ अटॉर्नी दिखाना होगा। इसके अलावा अगर प्रॉपर्टी पहले से खरीदी गई है और अब उसका पुनः विक्रय हो रहा है तो ओरिजिनल सेल डीड अनिवार्य होगी।
दस्तावेज क्यों जरूरी हैं?
अभी तक कई बार देखा गया था कि पुराने या नकली दस्तावेजों के आधार पर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कर दी जाती थी। इससे असली मालिक को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता था। नया नियम इसी कुप्रथा को रोकने के लिए लागू हुआ है। अब बिना ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के न तो विक्रेताओं को प्रॉपर्टी बेचने की अनुमति मिलेगी और न ही खरीदार रजिस्ट्री करा पाएंगे।
कौन से लोग होंगे प्रभावित?
यह नियम उन सभी लोगों पर लागू होगा जो दिल्ली में प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री करना चाहते हैं। खासकर जिन मामलों में पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए प्रॉपर्टी का सौदा होता है, वहां यह नियम सख्ती से लागू होगा। अगर किसी ने पावर ऑफ अटॉर्नी दी है तो उसे ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के साथ रजिस्ट्री ऑफिस में हाजिर होना होगा।
क्या बदलेगा रजिस्ट्री का प्रोसेस?
अब रजिस्ट्री के दौरान उप-पंजीयक (Sub-Registrar) दस्तावेजों की जांच करेगा। दस्तावेज असली पाए जाने पर ही रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी होगी। अगर दस्तावेज में कोई गड़बड़ी पाई गई तो रजिस्ट्री रोक दी जाएगी और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। इससे प्रॉपर्टी लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
किन दस्तावेजों को रखें तैयार?
अगर आप दिल्ली में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने जा रहे हैं तो इन जरूरी दस्तावेजों को पहले से तैयार रखें:
ओरिजिनल सेल डीड
पावर ऑफ अटॉर्नी (अगर लागू हो)
पिछली रजिस्ट्री की प्रति
पहचान पत्र (आधार कार्ड, पैन कार्ड)
एड्रेस प्रूफ
पासपोर्ट साइज फोटो
NOC या लीगल क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (यदि आवश्यक हो)
इन दस्तावेजों के बिना अब रजिस्ट्री संभव नहीं होगी।
क्या इससे अवैध कब्जे रुकेंगे?
दिल्ली में अवैध कब्जे और जाली दस्तावेजों के चलते कई सालों से प्रॉपर्टी विवाद आम बात रहे हैं। नया नियम अवैध कब्जों और फर्जी रजिस्ट्री पर रोक लगाने में मदद करेगा। ओरिजिनल दस्तावेजों के बिना रजिस्ट्री नहीं होने से फर्जीवाड़े की गुंजाइश काफी हद तक खत्म हो जाएगी।
प्रॉपर्टी खरीदारों के लिए राहत
नया नियम उन खरीदारों के लिए राहत की खबर है जो अपनी गाढ़ी कमाई से प्रॉपर्टी खरीदते हैं। उन्हें अब बेफिक्र होकर सौदा करने में मदद मिलेगी क्योंकि रजिस्ट्री तभी होगी जब सभी दस्तावेज असली पाए जाएंगे। इससे भविष्य में कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी कम लगेंगे।
रियल एस्टेट एजेंट्स को क्या करना होगा?
रियल एस्टेट एजेंट्स को भी अब अपने ग्राहकों को नए नियम की जानकारी देनी होगी। उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि विक्रेता के पास सभी ओरिजिनल दस्तावेज मौजूद हों। इससे एजेंट्स की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है।
क्या पुराने सौदों पर होगा असर?
यह नियम फिलहाल नई रजिस्ट्री पर लागू होगा। पुराने मामलों में यदि कोई विवाद है तो कोर्ट के माध्यम से ही समाधान होगा। लेकिन भविष्य में सभी नए सौदों के लिए यह दस्तावेज अनिवार्य होंगे।
निष्कर्ष
दिल्ली में प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए यह बड़ा कदम है। अगर आप भी दिल्ली में प्रॉपर्टी बेचने या खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो जरूरी दस्तावेजों को पहले से तैयार रखें। कोई भी कागज अधूरा न छोड़े वरना रजिस्ट्री अटक सकती है। सरकार के इस कदम से जाली रजिस्ट्री और अवैध कब्जे की समस्या पर काफी हद तक रोक लगेगी।