अगर आप मकान मालिक हैं और अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देने की सोच रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। एक छोटी सी लापरवाही आपके सपनों के घर को आपसे छीन सकती है। कई बार मकान मालिक जरूरी कानूनी बातें ध्यान नहीं रखते और किराएदार इसका पूरा फायदा उठा लेते हैं। आइए जानते हैं कि ऐसी कौन सी गलतियां हैं जो आपको कभी नहीं करनी चाहिए।
किराएदारी विवाद क्यों बढ़ रहे हैं?
आजकल हर शहर में किराएदार और मकान मालिक के बीच विवाद आम बात है। खासकर मेट्रो शहरों में कई केस सामने आते हैं जहां किराएदार सालों तक मकान खाली नहीं करते। कई बार मामला कोर्ट तक चला जाता है और मकान मालिक को अपनी ही प्रॉपर्टी से बेदखल होना पड़ता है।
मकान मालिक की सबसे बड़ी गलती
ज्यादातर मामलों में एक गलती सबसे कॉमन रहती है – रेंट एग्रीमेंट ना बनाना या सही तरीके से रजिस्ट्रेशन ना कराना। लोग अक्सर भरोसे के नाम पर बिना कागज के किराएदार रख लेते हैं। यही गलती बाद में भारी पड़ जाती है। बिना एग्रीमेंट के किराएदार के पास प्रूफ नहीं होता कि वह कब तक रहेगा या कब मकान खाली करेगा।
बिना रेंट एग्रीमेंट क्या होता है खतरा?
किराएदार मना कर सकता है मकान खाली करने से।
आप जबरदस्ती नहीं निकाल सकते – मामला कोर्ट तक जाएगा।
केस सालों साल चल सकता है।
कोर्ट में किराएदार खुद को ‘परमानेंट टेनेंट’ साबित करने की कोशिश करता है।
कई बार पुराने किराएदार मामूली किराया देकर दशकों तक रह जाते हैं।
रेंट एग्रीमेंट क्यों जरूरी है?
रेंट एग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज है जो किराएदार और मकान मालिक दोनों के हक की सुरक्षा करता है। इसमें साफ लिखा होता है कि किराएदार कब से कब तक रहेगा, कितना किराया देगा, सिक्योरिटी कितनी है, और कब खाली करेगा। अगर किराएदार शर्तें तोड़ता है तो मकान मालिक के पास कोर्ट में पेश करने के लिए मजबूत सबूत रहता है।
रेंट एग्रीमेंट कैसे बनवाएं?
लिखित करार: हमेशा रेंट एग्रीमेंट लिखित बनवाएं।
स्टाम्प पेपर: इसे स्टाम्प पेपर पर बनवाएं ताकि कानूनी वैधता हो।
रजिस्ट्री: अगर एग्रीमेंट 11 महीने से ज्यादा का है तो रजिस्ट्री करवाना जरूरी है।
गवाह: एग्रीमेंट पर मकान मालिक, किराएदार और 2 गवाहों के सिग्नेचर जरूर हों।
पुलिस वेरिफिकेशन: किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन भी जरूरी है ताकि भविष्य में कोई झंझट न हो।
किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन क्यों जरूरी है?
कई बार किराएदार फर्जी डॉक्यूमेंट्स दिखाकर मकान किराए पर ले लेते हैं। बाद में आपराधिक गतिविधियों में नाम आने पर मालिक को भी पुलिस के सवालों का सामना करना पड़ता है। इसलिए किराएदार का पुलिस वेरिफिकेशन फॉर्म लोकल पुलिस स्टेशन में जमा कराना जरूरी है।
क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के अनुसार बिना रेंट एग्रीमेंट के अगर किराएदार लंबे समय तक रह जाता है तो उसे लीजहोल्ड राइट्स का दावा करने का मौका मिल सकता है। इससे मकान मालिक को बेदखल करना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि कोर्ट हमेशा लिखित करार और पुलिस वेरिफिकेशन पर जोर देती है।
किराएदार से कब मकान खाली करवाया जा सकता है?
अगर किराएदार तय समय के बाद भी मकान खाली नहीं करता तो मकान मालिक को कोर्ट जाना पड़ता है। अगर रेंट एग्रीमेंट पक्का है तो केस जल्दी सुलझ सकता है। नहीं तो सालों तक केस चल सकता है।
किराएदार को हटाने के लिए जरूरी बातें
रेंट एग्रीमेंट में ‘Notice Period’ जरूर लिखें।
Security Deposit, Rent Payment Date भी साफ लिखें।
एग्रीमेंट में Exit Clause रखें – कब और कैसे मकान खाली होगा।
किराएदार को किराया बैंक ट्रांसफर से देने को कहें – ताकि रिकॉर्ड रहे।
प्रॉपर्टी को सुरक्षित रखने के टिप्स
हर साल रेंट एग्रीमेंट रिन्यू करें।
किराएदार की हर जानकारी डॉक्यूमेंट में रखें।
मकान का समय-समय पर विजिट करें।
किराया समय पर न मिलने पर तुरंत नोटिस दें।
अगर किराएदार ज्यादा दिन नहीं निकाल रहा तो कानूनी सलाह जरूर लें।
निष्कर्ष
अगर आप चाहते हैं कि आपकी प्रॉपर्टी सुरक्षित रहे तो किराएदार रखते वक्त ये छोटी सी सावधानी जरूर बरतें – हमेशा लिखित एग्रीमेंट बनवाएं, रजिस्ट्री कराएं और पुलिस वेरिफिकेशन कराना ना भूलें। एक छोटी सी गलती आपके सपनों का घर किसी और के नाम करवा सकती है। इसलिए सतर्क रहें, सही जानकारी रखें और अपनी प्रॉपर्टी को सुरक्षित रखें।