आज के समय में बढ़ती महंगाई और शहरों में रहने की बढ़ती भीड़ के बीच किराए के मकान में रहना आम बात है। लेकिन कई बार मकान मालिक अचानक किराया बढ़ाकर किराएदार को मुश्किल में डाल देते हैं। क्या मकान मालिक को ऐसा करने का पूरा हक है? क्या किराएदार को हर बार मकान मालिक की बात माननी होगी? ऐसे कई सवालों का जवाब इस आर्टिकल में आपको मिलेगा।
भारत में किराया बढ़ोतरी से जुड़ा कानून क्या कहता है?
भारत में किराएदारी से जुड़ा कोई एक सेंट्रल एक्ट नहीं है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग Rent Control Acts लागू हैं। इन एक्ट्स के तहत मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकार और जिम्मेदारियां तय होती हैं।
सबसे जरूरी बात – मकान मालिक जब चाहे तब मनमर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकता। इसके लिए कुछ नियम और प्रक्रिया हैं, जिन्हें फॉलो करना जरूरी है।
Rent Agreement क्यों है जरूरी?
Rent Agreement यानी किराया समझौता वह दस्तावेज होता है, जिसमें किराए की राशि, बढ़ोतरी की शर्तें और नोटिस पीरियड साफ लिखा होता है।
अधिकतर Rent Agreement में हर साल 5% से 10% तक किराया बढ़ोतरी की शर्त होती है।
अगर आपके Agreement में यह नहीं लिखा तो मकान मालिक बिना आपसी सहमति किराया नहीं बढ़ा सकता।
इसलिए जब भी मकान किराए पर लें तो Rent Agreement को ध्यान से पढ़ें और उसमें किराया बढ़ोतरी से जुड़ी शर्त जरूर शामिल करें।
हर साल कितना बढ़ सकता है किराया?
भारत के ज्यादातर शहरों में मकान मालिक सालाना 5% से 10% तक किराया बढ़ा सकते हैं। कुछ शहरों में यह रेट 7% या 8% भी होता है।
Rent Control Acts के तहत पुराने किराएदारों के लिए कई राज्यों में Standard Rent तय होता है, जिससे मकान मालिक ज्यादा किराया नहीं वसूल सकते।
उदाहरण के लिए:
अगर आपका मासिक किराया ₹10,000 है तो अधिकतम 10% बढ़ोतरी पर अगले साल यह ₹11,000 हो सकता है।
बिना Rent Agreement के मकान मालिक आप पर मनमर्जी नहीं थोप सकता।
क्या बिना नोटिस के किराया बढ़ाया जा सकता है?
कानून कहता है कि मकान मालिक को किराया बढ़ाने से पहले लिखित नोटिस देना जरूरी है।
आमतौर पर यह नोटिस 1 से 3 महीने पहले देना होता है।
बिना नोटिस के बढ़ा किराया गैरकानूनी माना जाएगा।
किराएदार को यह हक है कि वह नोटिस का जवाब दे और आपत्ति दर्ज कराए।
कब-कब मकान मालिक किराया बढ़ा सकता है?
जब Rent Agreement में लिखा हो कि हर साल किराया बढ़ेगा।
जब आप नई Terms & Conditions पर सहमति दें।
जब मकान में मकान मालिक कोई बड़ा सुधार करे, जैसे नई मरम्मत, नया फर्निशिंग या कोई सुविधा जोड़े। इसके लिए भी उचित दस्तावेज और सहमति जरूरी है।
किराएदार के कानूनी अधिकार क्या कहते हैं?
बहुत से किराएदार नहीं जानते कि Rent Control Laws उन्हें मकान मालिक की मनमानी से बचाते हैं।
मकान मालिक जबरदस्ती Eviction नोटिस नहीं भेज सकता।
बिना कोर्ट के आदेश के किराएदार को मकान खाली करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
किराएदार Rent Controller के पास शिकायत दर्ज कर सकता है।
किराया बढ़ोतरी के खिलाफ कोर्ट में केस भी किया जा सकता है।
किराया चुकाने पर रसीद लेना अनिवार्य है।
अगर मकान मालिक मनमानी करे तो क्या करें?
मकान मालिक के नोटिस का जवाब लिखित में दें।
बिना वजह किराया बढ़ाने पर Rent Controller या लोकल तहसील में शिकायत करें।
Rent Agreement की कॉपी सुरक्षित रखें।
किसी भी समझौते को लिखित में ही करें, मौखिक सहमति बाद में मुकरने पर काम नहीं आती।
क्या बिना एग्रीमेंट के किराया वसूलना सही है?
कई किराएदार बिना Rent Agreement के ही रह रहे होते हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा मनमानी की संभावना होती है।
याद रखें – मकान मालिक और किराएदार दोनों के हित के लिए Rent Agreement जरूरी है।
कोर्ट में बिना Agreement के आपका पक्ष कमजोर पड़ सकता है।
पुराने किराएदारों के लिए क्या हैं नियम?
अगर आप सालों से एक ही मकान में रह रहे हैं और आपका मकान Rent Control Act के तहत आता है तो मकान मालिक ज्यादा किराया नहीं वसूल सकता। पुराने किराएदारों के लिए Standard Rent लागू होता है।
क्या किराया कभी भी घटाया जा सकता है?
किराया बढ़ाया तो जा सकता है लेकिन कम करने के लिए आपसी सहमति जरूरी है।
अगर मकान में कोई सुविधा छीन ली गई हो, मरम्मत न हो रही हो या मकान रहने लायक न रहे तो किराएदार Rent Controller के पास जाकर किराया घटाने की मांग कर सकता है।
निष्कर्ष
किराए पर रहने वाले लोगों को मकान मालिक की हर बात माननी जरूरी नहीं है। किराया बढ़ाना भी नियमों के दायरे में ही किया जा सकता है। अगर आप किराएदार हैं तो Rent Agreement को अच्छी तरह पढ़ें, हर साल कितना बढ़ सकता है किराया जानें और अपना हक पहचानें। किसी भी गलत बढ़ोतरी के खिलाफ कानून आपके साथ है — बस आपको अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए।