भारत में जमीन खरीदना आज भी सबसे बड़ी और महंगी डील मानी जाती है। लेकिन इसी डील में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी और झगड़े भी होते हैं। अगर आप भी जमीन या प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं तो सावधान रहें — बस रजिस्ट्री या पेमेंट करने से पहले कुछ जरूरी रिकॉर्ड चेक करना बेहद जरूरी है।
इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे:
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जमीन खरीदते वक्त कौन-कौन से रिकॉर्ड जरूर जांचें
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कैसे ऑनलाइन और ऑफलाइन वेरिफिकेशन करें
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किन बातों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है
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कैसे बचें धोखेबाज दलालों और बिचौलियों से
खतियान और खसरा – सबसे जरूरी दस्तावेज
खतियान (Record of Rights) और खसरा (Plot Number) जमीन की असली पहचान हैं।
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खतियान बताता है कि जमीन का मालिक असल में कौन है।
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खसरा नंबर से पता चलता है कि जमीन कहां स्थित है और उसका क्षेत्रफल कितना है।
कैसे चेक करें:
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अपने राज्य के भूलेख पोर्टल पर खतियान और खसरा नंबर डालकर डिटेल्स देखें।
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गांव के पटवारी से भी खतियान की नकल ली जा सकती है।
जमाबंदी नकल – मालिकाना हक का सबूत
जमाबंदी में पिछले कई सालों के रिकॉर्ड दर्ज होते हैं कि जमीन किसके नाम थी और कब ट्रांसफर हुई।
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जमाबंदी में मालिक का नाम, क्षेत्रफल, सीमाएं सब कुछ साफ लिखा होता है।
जरूर चेक करें:
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कहीं कागज में हेरफेर तो नहीं हुआ?
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पिछले मालिक कौन थे?
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किसी केस या विवाद में तो नहीं फंसी?
Mutation या नामांतरण सर्टिफिकेट
जब भी जमीन खरीदी-बेची जाती है तो उसका Mutation होना जरूरी है। Mutation यानी मालिकाना हक का सरकारी रिकॉर्ड में बदलाव।
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Mutation न होने पर आप असली मालिक नहीं माने जाएंगे।
कैसे चेक करें:
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तहसील या नगर निगम से Mutation Status चेक करें।
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नया Mutation सर्टिफिकेट जरूर लें।
Encumbrance Certificate – कहीं लोन या केस तो नहीं?
Encumbrance Certificate (EC) बताता है कि जमीन पर कोई पुराना लोन, बकाया या कोर्ट केस तो नहीं चल रहा।
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यह बैंक से लोन लेने या जमीन बेचने के लिए जरूरी दस्तावेज है।
कहां से मिलेगा:
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आपके राज्य के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से या ऑनलाइन सेवा पोर्टल से EC निकाला जा सकता है।
NOC – सभी विभागों से मंजूरी
कई बार जमीन खरीदने में NOC (No Objection Certificate) की जरूरत पड़ती है:
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अगर जमीन पर कोई कृषि लोन है तो बैंक से NOC जरूरी।
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नगर निगम, विकास प्राधिकरण से भी NOC लें कि जमीन Residential या Commercial Purpose के लिए सही है या नहीं।
Land Use और Master Plan चेक करें
कभी-कभी Residential कहकर Agricultural Land बेच दी जाती है। बाद में Buyer फंस जाता है।
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ज़मीन किस Zone में आती है — Residential, Commercial, Industrial या Agricultural — इसे Master Plan में देखें।
Court Cases और Dispute Record
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कई बार जमीन पर पुराना झगड़ा चल रहा होता है।
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हाईकोर्ट या लोकल कोर्ट में केस दर्ज होता है जो खरीदने के बाद सामने आता है।
इससे बचाव कैसे करें:
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जिला कोर्ट से जमीन के खिलाफ कोई केस है या नहीं, पता करें।
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लोकल तहसील या पंचायत से भी पेंडिंग विवाद का रिकॉर्ड लें।
Seller की पहचान और पावर ऑफ अटॉर्नी
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जमीन बेचने वाला सही मालिक है या नहीं, आधार कार्ड, PAN Card और Sale Deed से मैच करें।
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अगर कोई एजेंट या रिश्तेदार बेच रहा है तो Registered Power of Attorney जरूर देखें।
Sale Deed ड्राफ्ट सावधानी से पढ़ें
Sale Deed ही आखिरी दस्तावेज है जो आपकी Ownership साबित करता है।
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इसे रजिस्ट्री से पहले अच्छे वकील से पढ़वाएं।
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कहीं Seller ने Condition या Hidden Clause तो नहीं डाला?
सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में Verification
रजिस्ट्री कराने से पहले Sub Registrar Office में जाकर एक बार फिर रिकॉर्ड चेक करें।
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सभी पुराने दस्तावेज और IDs वहां फिर से Verify होते हैं।
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कोई गड़बड़ी हो तो तुरंत पकड़ में आ जाएगी।
इन बातों का रखें खास ध्यान
दलालों के चक्कर में न आएं।
खुद सरकारी पोर्टल पर रिकॉर्ड चेक करें।
वकील से Sale Agreement ड्राफ्ट कराएं।
पेमेंट पूरी तरह चेक के जरिए करें।
Registry के बाद Mutation कराना न भूलें।
फर्जीवाड़ा से बचने का सबसे बड़ा तरीका
भारत में हर साल हजारों लोग फर्जी जमीन सौदे का शिकार हो जाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी मेहनत की कमाई न फंसे तो ऊपर बताए गए सारे रिकॉर्ड खरीदने से पहले जरूर चेक करें।
याद रखें – सावधानी हटी, दुर्घटना घटी!
निष्कर्ष
जमीन खरीदना छोटा फैसला नहीं है। एक बार धोखा हो गया तो केस-कोर्ट में सालों लग जाते हैं। इसलिए खतियान, जमाबंदी, Mutation, Encumbrance Certificate और NOC – ये 5 सबसे जरूरी रिकॉर्ड कभी न छोड़ें। सही जानकारी और जांच ही आपकी प्रॉपर्टी को सुरक्षित बनाएगी।