भारत में जमीन या प्लॉट खरीदना हर परिवार का सपना होता है। लोग अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर प्लॉट या जमीन खरीदते हैं ताकि भविष्य में एक पक्का घर बना सकें या निवेश के तौर पर उसे सुरक्षित रख सकें। लेकिन कई बार जानकारी के अभाव में लोग ऐसे जाल में फंस जाते हैं जहां बाद में न तो जमीन मिलती है और न ही पैसा वापस आता है।
अगर आप भी जल्द प्लॉट या जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं तो सावधान हो जाएं। यहां हम आपको बताएंगे कि प्लॉट खरीदने से पहले कौन-कौन से जरूरी रिकॉर्ड जरूर चेक करने चाहिए ताकि बाद में किसी तरह का नुकसान न हो।
भारत में जमीन खरीद से जुड़े बढ़ते विवाद
हर साल हजारों लोग जमीन खरीदने के बाद धोखाधड़ी के शिकार होते हैं। फर्जी कागजात, डुप्लीकेट रजिस्ट्री, बैनामा या काबिजों के विवाद जैसी दिक्कतें आम हैं। खासकर शहरों और कस्बों में प्लॉट की बढ़ती कीमतों के कारण कई भू-माफिया नकली पेपर्स से भी प्लॉट बेच देते हैं। ऐसे में सबसे जरूरी है कि आप सही जांच-पड़ताल करें।
प्लॉट खरीदने से पहले ये रिकॉर्ड जरूर चेक करें
टाइटल डीड (Sale Deed)
सबसे पहले जमीन के असली मालिकाना हक की जांच करें। टाइटल डीड से पता चलता है कि जमीन किसके नाम पर दर्ज है और मालिकाना हक में कोई विवाद तो नहीं। इसके लिए पिछली 30 साल तक के रिकॉर्ड को वकील से जांचवाएं।
एनओसी (No Objection Certificate)
कई बार जमीन पर बैंक का लोन होता है या वो सरकारी अधिग्रहण में आती है। ऐसे में संबंधित प्राधिकरण, नगरपालिका, पर्यावरण विभाग और विकास प्राधिकरण से NOC जरूर लें।
सेल डीड रजिस्ट्री
देखें कि जमीन की सेल डीड रजिस्ट्री सही तरह से रजिस्ट्रार ऑफिस में दर्ज है या नहीं। रजिस्ट्री के बिना जमीन खरीदना कानूनी तौर पर सही नहीं माना जाता।
7/12 उतारा या खतौनी
गांवों में जमीन खरीदते वक्त 7/12 उतारा या खतौनी जरूर देखें। इसमें जमीन के मालिक, जमीन का क्षेत्रफल और किस्म की पूरी जानकारी होती है।
म्युटेशन रिकॉर्ड
म्युटेशन यानी नामांतरण रिकॉर्ड से पता चलता है कि जमीन किसके नाम ट्रांसफर हुई है। अगर म्युटेशन अपडेट नहीं है तो भविष्य में मालिकाना हक को लेकर परेशानी हो सकती है।
एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट
एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट से पता चलता है कि जमीन पर कोई कानूनी रोक या बकाया लोन तो नहीं है। यह सर्टिफिकेट सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से मिलता है।
अप्रूव्ड लेआउट प्लान
अगर आप प्लॉट किसी डेवलपर से ले रहे हैं तो उसका अप्रूव्ड लेआउट प्लान जरूर देखें। बिल्डर या कॉलोनाइजर को संबंधित विकास प्राधिकरण से प्लान पास कराना जरूरी होता है।
क्लियरेंस सर्टिफिकेट
अगर जमीन पर पहले कोई टैक्स बकाया था तो उसका क्लियरेंस सर्टिफिकेट जरूर लें। इससे पता चलता है कि जमीन पर कोई बकाया नहीं है।
जमीन खरीदने से पहले इन बातों का भी रखें ध्यान
पड़ोसियों से पूछताछ करें – जमीन के बारे में स्थानीय लोगों से पूछें। इससे आपको सही जानकारी मिल सकती है कि कोई पुराना विवाद तो नहीं।
भूमि निरीक्षण करें – खुद जाकर जमीन को देखें, सीमांकन करें और जमीन की बाउंड्री समझें।
क्वेरी ऑनलाइन भी चेक करें – अब राज्य सरकारों ने भूमि रिकॉर्ड ऑनलाइन कर दिए हैं। संबंधित राज्य के भूमि रिकॉर्ड पोर्टल पर Khasra Number डालकर भी जानकारी देखें।
किसी अनुभवी वकील से राय लें – सारे दस्तावेजों को वकील से जांचवाएं ताकि कोई लीगल झोल न रह जाए।
कैसे करें रजिस्ट्री सुरक्षित?
जमीन खरीदने के बाद पंजीकरण (रजिस्ट्री) कराना सबसे जरूरी कदम है। बिना रजिस्ट्री के आप कानूनी मालिक नहीं कहलाएंगे। रजिस्ट्री हमेशा सरकारी सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में ही कराएं। पैसे देकर फर्जी रजिस्ट्री कराने से बचें। रजिस्ट्री के बाद तुरंत म्युटेशन भी कराएं।
बैंक लोन से खरीद रहे हैं तो क्या करें?
अगर आप प्लॉट खरीदने के लिए बैंक से लोन ले रहे हैं तो बैंक खुद भी सारे रिकॉर्ड जांचेगा। इससे फर्जीवाड़े की संभावना कम हो जाती है। बैंक द्वारा मांगे जाने वाले सभी डॉक्यूमेंट तैयार रखें।
क्या होता है कब्जा विवाद?
कई बार लोग बिना सही कागज के भी प्लॉट पर कब्जा कर लेते हैं। बाद में ऐसे कब्जे को खाली कराना आसान नहीं होता। इसलिए बाउंड्रीवाल, बाड़ या बोर्ड लगवाएं ताकि आपकी जमीन पर कोई अवैध कब्जा न कर सके।
सरकार क्या सलाह देती है?
राज्य सरकारें बार-बार लोगों को जागरूक कर रही हैं कि जमीन खरीदते वक्त किसी बिचौलिए पर भरोसा न करें। हर कागज की जांच खुद करें या विशेषज्ञ से कराएं।
कई राज्यों ने अब ‘भूमि खतौनी पोर्टल’ भी शुरू किए हैं जहां आप खुद ऑनलाइन देख सकते हैं कि जमीन किसके नाम है।
निष्कर्ष
जमीन या प्लॉट खरीदना बड़ा निवेश होता है। इसलिए बिना पूरी जांच-पड़ताल के कभी भी जमीन की डील न करें। ऊपर बताए गए जरूरी रिकॉर्ड चेक करें, कानूनी सलाह लें और तभी पैसे दें। सही तैयारी से आप भविष्य के झंझटों से बच सकते हैं और आपका सपना सुरक्षित रहेगा।