माता-पिता की सेवा नहीं की तो संपत्ति भी नहीं मिलेगी – सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला!

भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने हाल ही में एक अहम और दूरगामी असर डालने वाला फैसला सुनाया है, जो माता-पिता की संपत्ति पर संतान के अधिकार से जुड़ा है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि यदि कोई बेटा या बेटी अपने माता-पिता की सेवा नहीं करता, तो वह उनकी संपत्ति पर कानूनी रूप से दावा नहीं कर सकता

इस फैसले से उन मामलों पर रोक लग सकती है, जहां बच्चे माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार तो चाहते हैं, लेकिन उनकी देखभाल और सेवा से कतराते हैं। आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का क्या मतलब है और आम लोगों पर इसका क्या असर होगा।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि:

“माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार सिर्फ खून का रिश्ता होने से तय नहीं होता, बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि संतान ने अपने माता-पिता की सेवा, देखभाल और भरण-पोषण किया है या नहीं।”

इस फैसले में कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि अगर कोई संतान माता-पिता को अवहेलना, उपेक्षा या दुर्व्यवहार का शिकार बनाती है, तो उन्हें संपत्ति से वंचित किया जा सकता है।

किस मामले पर आया यह फैसला?

यह फैसला एक ऐसे केस में आया, जहां बेटे ने पिता की संपत्ति पर अधिकार जताया, लेकिन कोर्ट में यह साबित हुआ कि उसने न तो पिता की सेवा की, न ही किसी तरह की सहायता दी। उल्टा, वह अपने पिता को मानसिक और भावनात्मक तनाव देता रहा।

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि संपत्ति का अधिकार कोई जन्मसिद्ध अधिकार नहीं, बल्कि यह आचरण पर आधारित है।

वसीयत और माता-पिता का अधिकार

यदि माता-पिता अपने जीवनकाल में ही वसीयत कर दें कि वे अपनी संपत्ति किसी ऐसे संतान को देना चाहते हैं, जो उनकी सेवा करता है, तो अन्य बच्चों को कोई आपत्ति करने का अधिकार नहीं होगा

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बुजुर्ग माता-पिता अपनी मर्जी से किसी भी संतान को संपत्ति दे सकते हैं, भले ही वह बेटा हो या बेटी, और बाकी को वे वंचित कर सकते हैं – यदि सेवा या देखभाल का भाव नहीं हो

‘Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007’

इस फैसले की पृष्ठभूमि में यह कानून भी अहम है। इस अधिनियम के तहत:

  • हर संतान पर यह कानूनी जिम्मेदारी है कि वह अपने वृद्ध माता-पिता की देखभाल और भरण-पोषण करे।

  • यदि कोई संतान यह जिम्मेदारी नहीं निभाती, तो माता-पिता स्थानीय प्राधिकरण में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

  • कोर्ट या ट्राइब्यूनल ऐसे संतान को मासिक भरण-पोषण देने का आदेश दे सकते हैं।

  • माता-पिता अपनी संपत्ति से उस संतान को वंचित करने का अधिकार रखते हैं, जो उनकी सेवा नहीं करता।

 आम लोगों पर असर

यह फैसला खासतौर पर उन परिवारों में बड़ा संदेश देता है जहां:

  • बुजुर्ग माता-पिता अकेले या दुखी रहते हैं

  • संपत्ति के नाम पर परिवार में झगड़े चलते हैं

  • संतान सिर्फ जमीन-जायदाद की लालच में रिश्ते निभाती है

  • बेटियों को संपत्ति से वंचित करने की मानसिकता होती है

अब माता-पिता को यह अधिकार मिल गया है कि वह सेवाभावी संतान को ही अपनी संपत्ति सौंपें, और स्वार्थी या उपेक्षित बच्चों को कानूनी रूप से वंचित करें।

संपत्ति विवादों में यह फैसला कैसे मदद करेगा?

  • माता-पिता अब साफ-साफ वसीयत लिख सकते हैं जिसमें सेवा करने वाली संतान को उत्तराधिकारी घोषित किया जा सकता है।

  • कोर्ट में ऐसे मामलों में अब सेवा, देखभाल, और संबंधों का व्यवहार भी सबूत के तौर पर देखा जाएगा।

  • फर्ज निभाने वाले बेटियों को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q. क्या बेटा होने मात्र से पिता की संपत्ति पर अधिकार मिल जाता है?
नहीं। अब सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, केवल बेटे या बेटी होने से संपत्ति का अधिकार नहीं मिलता, बल्कि माता-पिता की सेवा भी जरूरी है।

Q. क्या माता-पिता बेटियों को अपनी संपत्ति दे सकते हैं?
बिलकुल! बेटियां भी समान रूप से संपत्ति की हकदार हैं, और यदि वे माता-पिता की सेवा करती हैं, तो उन्हें प्राथमिकता दी जा सकती है।

Q. अगर कोई संतान सेवा नहीं कर रही, तो माता-पिता क्या कर सकते हैं?
माता-पिता सेवा न करने वाले बच्चों को अपनी संपत्ति से बाहर कर सकते हैं और चाहें तो “संपत्ति त्याग पत्र” या वसीयत में साफ उल्लेख कर सकते हैं।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला समाज में बढ़ती पारिवारिक उपेक्षा और बुजुर्गों की अनदेखी पर करारा प्रहार है। यह सिर्फ एक कानूनी फैसला नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है – कि संपत्ति पाने से पहले संबंध निभाना जरूरी है

अब माता-पिता को और अधिक आत्मनिर्भर और न्यायिक सुरक्षा मिल गई है। अगर आप अपने माता-पिता की सेवा करते हैं, तो ही आप उनकी संपत्ति के सच्चे हकदार हैं।

Leave a Comment

Join Whatsapp Group