अगर आप भी नया घर या जमीन खरीदने की तैयारी कर रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सरकार ने रजिस्ट्री टैक्स में बड़ा बदलाव किया है, जिससे जमीन खरीदना अब पहले के मुकाबले महंगा हो जाएगा। कई राज्यों में रियल एस्टेट सेक्टर पहले ही मंदी से जूझ रहा है और ऐसे में रजिस्ट्री टैक्स बढ़ने से आम लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह नया टैक्स क्या है, किस तरह लागू होगा और इसका सीधा असर किन लोगों पर होगा।
रजिस्ट्री टैक्स क्या होता है?
किसी भी संपत्ति को खरीदते वक्त रजिस्ट्री टैक्स देना पड़ता है। यह टैक्स उस रजिस्ट्री की सरकारी फीस होती है, जो जमीन या मकान की बिक्री को कानूनी मान्यता देती है। इसे स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज कहा जाता है।
देश के अलग-अलग राज्यों में रजिस्ट्री टैक्स की दरें अलग-अलग हैं। कुछ राज्य 5% लेते हैं, कुछ 7% तो कुछ 8% तक भी वसूलते हैं। इसके अलावा महिला खरीदारों को कई राज्यों में छूट भी मिलती है, लेकिन अब नए टैक्स से सभी पर सीधा असर होगा।
नया टैक्स क्यों लगाया गया?
राजस्व बढ़ाने के लिए सरकारें समय-समय पर संपत्ति पर लगने वाले टैक्स में बदलाव करती रहती हैं। इस बार कई राज्यों ने अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज में इजाफा किया है।
इसके पीछे तर्क दिया गया है कि रियल एस्टेट से होने वाली कमाई सरकार के लिए एक बड़ा स्रोत होती है। जब संपत्ति बाजार में तेजी होती है तो सरकार को टैक्स के रूप में अच्छा राजस्व मिलता है। लेकिन पिछले कुछ समय से बाजार में मंदी की वजह से यह राजस्व घट रहा था। इस घाटे को पूरा करने के लिए रजिस्ट्री टैक्स बढ़ाना सरकार के लिए आसान विकल्प बन गया।
किस राज्य में कितना बढ़ा टैक्स?
हाल ही में कुछ राज्यों ने अपने स्टांप ड्यूटी चार्ज और रजिस्ट्रेशन फीस में बदलाव किए हैं। जैसे –
उत्तर प्रदेश में कई जिलों में 6% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया है।
मध्य प्रदेश में रजिस्ट्री शुल्क को 5% से बढ़ाकर 6% कर दिया गया है।
दिल्ली NCR में पहले से ही स्टांप ड्यूटी 6% के करीब है, लेकिन महिलाओं को 1-2% की छूट मिलती है। अब इसमें कुछ राज्यों ने महिलाओं को मिलने वाली छूट को भी सीमित कर दिया है।
इन बदलावों का सीधा मतलब है कि अगर आप 50 लाख रुपये की प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो पहले आपको करीब 3 लाख रुपये स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज देना पड़ता था, अब यह रकम बढ़कर 3.5 लाख रुपये तक पहुंच सकती है।
आम आदमी पर सीधा असर
रजिस्ट्री टैक्स बढ़ने का सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा। मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास के लिए घर खरीदना पहले से ही बड़ी चुनौती है। महंगाई, बैंक लोन की ब्याज दरें और निर्माण लागत पहले ही बढ़ी हुई है।
ऐसे में अगर रजिस्ट्री टैक्स भी बढ़ जाता है तो घर खरीदना और मुश्किल हो जाएगा। कई लोग जो बजट के कारण छोटे घर में भी संतुष्ट हो जाते थे, अब उन्हें एडवांस पेमेंट के लिए और ज्यादा रकम जुटानी होगी।
रियल एस्टेट सेक्टर पर असर
रियल एस्टेट सेक्टर पहले ही नोटबंदी, RERA और GST के कारण कई बदलाव झेल चुका है। कोरोना महामारी के बाद धीरे-धीरे बाजार में सुधार हो रहा था लेकिन अब नया रजिस्ट्री टैक्स फिर से मंदी ला सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स बढ़ने से नए खरीदार कम होंगे, जिससे डेवलपर्स को अपनी प्रॉपर्टी बेचने में ज्यादा समय लगेगा। इसका सीधा असर नई परियोजनाओं पर भी पड़ेगा।
क्या महिलाओं को छूट मिलेगी?
कई राज्यों में महिलाओं को स्टांप ड्यूटी पर 1% से 2% तक की छूट मिलती थी ताकि उन्हें प्रॉपर्टी के अधिकारों में प्रोत्साहन मिल सके। लेकिन अब कुछ राज्यों ने इस छूट को सीमित कर दिया है या पूरी तरह से हटा दिया है।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई महिला खुद के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदती है तो उसे भी वही टैक्स देना होगा जो पुरुषों को देना पड़ता है। इससे महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने में झटका लग सकता है।
क्या बच सकते हैं इस टैक्स से?
रजिस्ट्री टैक्स से पूरी तरह बचा नहीं जा सकता क्योंकि यह सरकारी नियमों के तहत लागू होता है। हां, कुछ राहत पाने के लिए आप इन बातों का ध्यान रख सकते हैं –
पहले से प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू पता करें और सर्कल रेट से तुलना करें।
किसी भी ब्रोकर या बिल्डर से सही रेट नेगोसिएट करें।
महिला के नाम से प्रॉपर्टी रजिस्ट्री कराने पर छूट मिले तो उसका लाभ उठाएं।
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले नए नियमों की जानकारी जरूर लें।
निष्कर्ष
सरकार ने रजिस्ट्री टैक्स बढ़ाकर आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है। जमीन या मकान खरीदने से पहले अब ज्यादा रकम जुटानी होगी। ऐसे में हर खरीदार को प्रॉपर्टी खरीदने से पहले नए रजिस्ट्री टैक्स नियमों की जानकारी जरूर लेनी चाहिए ताकि कोई परेशानी न हो।
अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं तो अपनी योजना में रजिस्ट्री टैक्स के नए रेट को भी शामिल करें और उसी हिसाब से बजट बनाएं। सही जानकारी और सही योजना ही आपको अनावश्यक खर्च से बचा सकती है।