आज के डिजिटल और टैक्स-जागरूक युग में, बैंक में पैसे जमा करना जितना आम हो गया है, उतना ही संवेदनशील भी। अगर आप बड़ी रकम कैश के रूप में बैंक में जमा कर रहे हैं, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) ने कैश ट्रांजेक्शन को लेकर कुछ कड़े नियम बनाए हैं। यदि आप इन सीमाओं से अनजान हैं और इन्हें पार कर जाते हैं, तो इनकम टैक्स का नोटिस आना तय है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बैंक में कितनी रकम जमा करने पर इनकम टैक्स नोटिस आ सकता है, किन मामलों में ये नियम लागू होते हैं और इससे कैसे बचा जाए।
बैंक में पैसे जमा करने की सीमा क्या है?
इनकम टैक्स कानून के तहत, बैंक खातों में कैश जमा करने पर कुछ निश्चित लिमिट्स तय की गई हैं। अगर आप इन सीमाओं को पार करते हैं, तो आपकी गतिविधियों पर आयकर विभाग की नजर पड़ सकती है।
सेविंग अकाउंट की लिमिट:
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₹10 लाख सालाना से ज्यादा कैश अगर आप सेविंग अकाउंट में जमा करते हैं, तो बैंक इसे इनकम टैक्स विभाग को रिपोर्ट करता है।
करंट अकाउंट की लिमिट:
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करंट अकाउंट में ये सीमा और भी ज्यादा है। ₹50 लाख सालाना से ज्यादा कैश जमा करने पर भी रिपोर्टिंग जरूरी होती है।
FD में निवेश पर नजर:
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अगर आप एक वित्तीय वर्ष में ₹10 लाख या उससे ज्यादा की FD करते हैं, तो भी इनकम टैक्स विभाग को इसकी जानकारी जाती है।
PAN कार्ड की अनिवार्यता
अगर आप बैंक में एक तय सीमा से ज्यादा राशि जमा करते हैं, तो PAN कार्ड देना जरूरी हो जाता है। खासतौर पर:
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एक बार में ₹50,000 से ज्यादा कैश जमा करते हैं
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सालभर में कुल ₹10 लाख से ज्यादा कैश जमा करते हैं
अगर आपने PAN नहीं दिया और ट्रांजेक्शन बड़ी है, तो बैंक रिपोर्ट कर सकता है, जिससे टैक्स विभाग आप पर सवाल उठा सकता है।
ये ट्रांजेक्शन भी हो सकते हैं रेडार पर
इनकम टैक्स विभाग केवल पैसे जमा करने को ही नहीं देखता, बल्कि कुछ अन्य गतिविधियों पर भी नजर रखता है:
लेनदेन | रिपोर्टिंग सीमा |
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एक वित्तीय वर्ष में क्रेडिट कार्ड बिल का कैश में भुगतान | ₹1 लाख से ज्यादा |
प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री | ₹30 लाख या ज्यादा |
शेयर/म्यूचुअल फंड में निवेश | ₹10 लाख सालाना |
गोल्ड ज्वेलरी की खरीद | ₹2 लाख से ज्यादा कैश में |
इनकम टैक्स विभाग को रिपोर्ट कौन करता है?
बैंक, NBFCs, रजिस्ट्री विभाग और अन्य संस्थाएं Annual Information Return (AIR) या Statement of Financial Transactions (SFT) के तहत यह जानकारी विभाग को देती हैं।
आपका नाम जैसे ही रिपोर्ट में आता है, तो आपका PAN ऑटोमेटिकली इनकम टैक्स सिस्टम में ट्रैक हो जाता है। अगर आपकी इनकम डिक्लेयरेशन इससे मेल नहीं खाती, तो नोटिस भेजा जा सकता है।
इनकम टैक्स नोटिस क्यों आता है?
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आपकी डिक्लेयर्ड इनकम से ज्यादा ट्रांजेक्शन पाए जाते हैं
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आपने कैश जमा किया पर ITR नहीं फाइल किया
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आपके PAN से जुड़े बैंक खाते में संदिग्ध ट्रांजेक्शन हुए
बचने के लिए क्या करें?
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ITR नियमित रूप से फाइल करें
– अगर आपकी सालाना इनकम टैक्स स्लैब में आती है, तो टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य है। -
हर बड़ी ट्रांजेक्शन पर PAN दें
– ट्रांजेक्शन ट्रांसपेरेंट रखें, जिससे कोई संदेह न हो। -
बिना जरूरत के कैश जमा से बचें
– ज़रूरी न हो तो डिजिटल पेमेंट या बैंक ट्रांसफर का इस्तेमाल करें। -
डॉक्युमेंट्स तैयार रखें
– आपकी इनकम और जमा रकम से जुड़े दस्तावेज़ जैसे सैलरी स्लिप, बिज़नेस रसीदें या एग्रीमेंट्स तैयार रखें।
निष्कर्ष
आज के समय में बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह से डिजिटल और ट्रैकिंग आधारित हो गया है। ऐसे में अगर आप बड़ी रकम कैश में जमा करते हैं, तो उस पर इनकम टैक्स विभाग की नजर पड़ना स्वाभाविक है। इसलिए जरूरी है कि आप इन लेन-देन की सीमाओं को जानें, सावधानी बरतें और टैक्स नियमों का पालन करें।
अगर आपने सही दस्तावेज़, PAN और ITR के माध्यम से अपनी इनकम को डिक्लेयर किया है, तो किसी भी नोटिस से घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन बिना जानकारी के कैश जमा करने पर आप अनजाने में इनकम टैक्स जांच के दायरे में आ सकते हैं।