अगर प्रॉपर्टी में नहीं मिला बराबर का हक, तो ऐसे कराएं वसीयत को रद्द

भारत में संपत्ति को लेकर विवाद आम हैं, खासकर तब जब माता-पिता की वसीयत (Will) में किसी वारिस को कम या बिल्कुल भी हिस्सा न मिला हो। कई बार पिता या माता द्वारा बनाई गई वसीयत में एक या दो बच्चों को ज्यादा संपत्ति मिलती है जबकि अन्य को कम या कुछ नहीं दिया जाता। ऐसे में सवाल उठता है — क्या यह वसीयत मान्य है? और क्या इसे कानूनी रूप से रद्द कराया जा सकता है?

इस लेख में हम जानेंगे कि अगर किसी वारिस को प्रॉपर्टी में बराबर का हक नहीं मिलता, तो वह कैसे वसीयत को चुनौती दे सकता है और अपने कानूनी अधिकार पा सकता है।

 वसीयत क्या होती है?

वसीयत (Will) एक कानूनी दस्तावेज़ होता है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अपनी संपत्ति के वितरण का निर्धारण करता है। वसीयत केवल उस व्यक्ति की संपत्ति पर लागू होती है जो उसके नाम पर हो और वह अपनी मर्जी से जिसे चाहे दे सकता है।

लेकिन यह पूरी तरह निरंकुश नहीं है – यदि कोई वसीयत पक्षपातपूर्ण, धोखाधड़ी से बनी, या दबाव में तैयार की गई हो, तो उसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

क्या सभी वारिसों को बराबर हक मिलना जरूरी है?

विधिक रूप से वसीयतकर्ता को यह अधिकार है कि वह अपनी संपत्ति किसी को भी दे सकता है। लेकिन अगर कोई वारिस यह साबित कर दे कि:

  • वसीयत दबाव में बनाई गई थी

  • वसीयत में किसी प्रकार की धोखाधड़ी हुई है

  • वसीयत बुद्धि दोष (unsound mind) में बनाई गई थी

  • वसीयत गवाहों की उपस्थिति में नहीं बनी

  • वसीयत में किसी खास वारिस को जानबूझकर वंचित किया गया

तो ऐसी स्थिति में उस वसीयत को कोर्ट में चुनौती देकर रद्द कराया जा सकता है।

वसीयत को रद्द कराने की प्रक्रिया

अगर आपको लगता है कि वसीयत में आपके साथ अन्याय हुआ है, तो आप निम्नलिखित कानूनी कदम उठा सकते हैं:

1. सिविल कोर्ट में वाद दायर करें

आपको सिविल कोर्ट में वसीयत को चैलेंज करते हुए केस दायर करना होगा। इसमें आप यह दावा करेंगे कि वसीयत अवैध, मनमानी या दबाव में बनाई गई है।

2. प्रमाण एकत्र करें

आपको यह साबित करना होगा कि वसीयत में अनियमितता है। उदाहरण:

  • मानसिक स्थिति का प्रमाण

  • वसीयत बनाने के समय की परिस्थितियां

  • कोई साक्ष्य जिससे पता चले कि वसीयतकर्ता दबाव में था

3. गवाहों का बयान

वसीयत के गवाहों को कोर्ट में बुलाकर उनके बयान लिए जाते हैं। यदि वे कहते हैं कि उन्होंने वसीयत बनते समय कुछ असामान्य देखा, तो यह पक्ष को मजबूत करता है।

4. वकील की सहायता लें

यह एक तकनीकी और कानूनी प्रक्रिया है, इसलिए किसी अनुभवी सिविल वकील की मदद लेना आवश्यक है।

किन मामलों में वसीयत रद्द हो सकती है?

भारतीय न्यायालयों ने कई मामलों में वसीयत को रद्द किया है, जैसे:

  • अगर किसी बूढ़े व्यक्ति से जबरन वसीयत लिखवाई गई हो

  • अगर वसीयतकर्ता मानसिक रूप से अयोग्य था

  • अगर एक वारिस को जानबूझकर बाहर रखा गया हो

  • अगर गवाह नकली हों या मौजूद न हों

 मुस्लिम, हिंदू और अन्य धर्मों में वसीयत के निय

  • हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत, यदि कोई वसीयत नहीं है तो संपत्ति सभी कानूनी उत्तराधिकारियों में समान रूप से बंटती है। लेकिन वसीयत होने पर विवाद की स्थिति में उसे चुनौती दी जा सकती है।

  • मुस्लिम लॉ के अनुसार, केवल 1/3 संपत्ति की वसीयत की जा सकती है, बाकी शरिया के अनुसार बंटती है। अगर इससे ज्यादा की वसीयत होती है, तो उसे चैलेंज किया जा सकता है।

वसीयत को चुनौती देने की समय-सीमा

वसीयत को चुनौती देने की कोई निश्चित समयसीमा नहीं है, लेकिन आमतौर पर इसे प्रोबेट (Probate) के समय ही चुनौती देना बेहतर होता है। प्रोबेट वह प्रक्रिया है जिसमें कोर्ट वसीयत की वैधता को प्रमाणित करता है।

क्या कोर्ट वसीयत को पूरी तरह रद्द कर सकता है?

हां, अगर कोर्ट को लगता है कि वसीयत में गंभीर त्रुटियां हैं या यह किसी के हक को दबाने के लिए बनाई गई है, तो वह उसे रद्द कर सकता है और संपत्ति को उत्तराधिकार कानून के अनुसार बांटने का आदेश दे सकता है।

निष्कर्ष

अगर आपको पारिवारिक संपत्ति में बराबर का हक नहीं मिला है, और आपको लगता है कि वसीयत आपके खिलाफ मनमाने तरीके से तैयार की गई है, तो आप घबराएं नहीं। भारतीय कानून आपको पूरा अधिकार देता है कि आप कोर्ट में जाकर वसीयत को चुनौती दें और अपना हक हासिल करें

इस प्रक्रिया में धैर्य और सही कानूनी सलाह जरूरी है। इसलिए समय रहते अपने अधिकारों को जानिए और न्याय के लिए कदम उठाइए।

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