दादा की विरासत पर किसका हक? पोता या बेटा, जानें सुप्रीम कोर्ट का नियम

भारत में संपत्ति विवादों में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि दादा की पुश्तैनी जमीन या संपत्ति पर असली हकदार कौन है — बेटा या पोता?
आए दिन ऐसे मामले कोर्ट-कचहरी में देखने को मिलते हैं, जिनमें परिवार के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ दावा ठोकते हैं।
ऐसे में इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) के अनुसार किसका हक बनता है और कौन कर सकता है दावा।

पुश्तैनी संपत्ति क्या होती है?

सबसे पहले समझिए कि पुश्तैनी संपत्ति (Ancestral Property) किसे कहते हैं।
अगर कोई जमीन, मकान या खेत दादा के पास उनके पिता-दादा से आया है और 4 पीढ़ियों तक बंटा नहीं है तो वह पुश्तैनी संपत्ति कहलाती है।
पुश्तैनी संपत्ति में दादा, बेटा और पोता — तीनों का अधिकार होता है।

पोते का हक — कब और कितना?

कानून कहता है कि जैसे ही बच्चा जन्म लेता है, पुश्तैनी संपत्ति में उसका हक अपने आप बन जाता है।
मतलब, अगर आपके दादा के पास पुश्तैनी खेत-जमीन है तो आपका भी उतना ही हिस्सा होगा जितना आपके पिता का।

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उदाहरण:
अगर दादा की जमीन 12 बीघा है, उनके दो बेटे हैं और हर बेटे के एक बेटा है, तो बंटवारा इस तरह होगा:
दादा का हिस्सा
दोनों बेटों का हिस्सा
दोनों पोतों का हिस्सा
मतलब चार हिस्सों में बंटेगी।

दादा की खुद की खरीदी (Self Acquired) संपत्ति पर हक

यहां लोग सबसे ज्यादा भ्रमित रहते हैं।
अगर दादा ने कोई संपत्ति अपनी मेहनत की कमाई से खरीदी है, तो वह पुश्तैनी नहीं कहलाती।
उस पर दादा का पूरा अधिकार होता है और वह चाहें तो उसे किसी को भी दे सकते हैं — बेटा, पोता या कोई बाहरी व्यक्ति।
इसमें पोता या पिता जबरन हक नहीं जता सकते।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या कहता है?

सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में साफ कहा है:
पुश्तैनी संपत्ति पर पोते का जन्म से अधिकार है।
दादा बिना परिवार की सहमति के पुश्तैनी संपत्ति बेच नहीं सकते।
अगर दादा ने जबरन बेची तो पोता कोर्ट में केस कर सकता है और सौदा रद्द करवा सकता है।

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वसीयत का क्या रोल है?

अगर दादा ने पुश्तैनी संपत्ति के लिए वसीयत बनाई है तो वह पूरी संपत्ति पर लागू नहीं होगी।
वह सिर्फ अपने हिस्से पर वसीयत बना सकते हैं।
लेकिन खुद अर्जित संपत्ति में दादा वसीयत से पूरा बंटवारा तय कर सकते हैं।

क्या पोता सीधे कोर्ट जा सकता है?

हाँ। अगर पिता या चाचा जबरन हिस्सा रोकते हैं तो पोता सिविल कोर्ट में Partition Suit या Declaration Suit डाल सकता है।
इसमें उसे पुरानी Registry, खतियान, पैतृक रिकॉर्ड पेश करने होंगे।

पुश्तैनी संपत्ति को लेकर झगड़ा हो तो क्या करें?

सबसे पहले रेवेन्यू रिकॉर्ड, खतौनी निकालें — देखें संपत्ति पुश्तैनी है या नहीं।
परिवार में बातचीत से हल निकालें।
जरूरत पड़े तो वकील की सलाह लेकर केस दर्ज करें।

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दस्तावेज क्या-क्या लगेंगे?

पुरानी Registry Copy
दादा के नाम के रिकॉर्ड
पैतृक नक्शा या खतियान
Family Tree या वंशावली

दादा की संपत्ति — हकदारी से जुड़ी 5 अहम बातें

  1. पुश्तैनी संपत्ति में जन्म से अधिकार बनता है।
  2. खुद अर्जित संपत्ति में हक नहीं बनता।
  3. दादा पुश्तैनी संपत्ति बेचने से पहले परिवार की रजामंदी लें।
  4. जरूरत पड़े तो Partition Suit डालें।
  5. वसीयत से पुश्तैनी हिस्सा छीनना आसान नहीं।

निष्कर्ष

दादा की संपत्ति पर पोते का हक तभी बनता है जब वो पुश्तैनी हो।
अगर दादा ने खुद खरीदी है तो उनकी मर्जी चलेगी।
कोई जबरदस्ती करे तो कोर्ट का दरवाजा खुला है।
कानून आपके साथ है — बस दस्तावेज पक्के रखें और सही सलाह लें।

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