भारत में जब भी आप कोई नोट उठाते हैं, चाहे वो 10 रुपये का हो या 500 का — उस पर एक ही चेहरा छपा होता है — महात्मा गांधी। कभी आपने सोचा है कि आखिर क्यों सिर्फ गांधी जी की ही तस्वीर नोटों पर छपती है? क्या ये कानून में लिखा है या RBI अपनी मर्जी से ऐसा करता है? हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस सवाल पर बड़ा खुलासा किया है।
नोटों पर गांधी जी की तस्वीर कब से छप रही है?
भारत में आजादी के बाद शुरू में अलग-अलग तरह के नोट छपते थे। लेकिन 1996 में जब RBI ने महात्मा गांधी सीरीज लॉन्च की तो पहली बार सभी नोटों पर गांधी जी की तस्वीर छापने की परंपरा शुरू हुई। तब से लेकर आज तक जितने भी नोट छपे हैं, उन पर गांधी जी का चित्र एक कॉमन पहचान बन गया है।
नोटों पर महात्मा गांधी ही क्यों?
महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं। आजादी की लड़ाई में उनका योगदान सबसे बड़ा माना जाता है। गांधी जी का चेहरा शांति और अहिंसा का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि सरकार और RBI ने तय किया कि नोटों पर गांधी जी का चेहरा ही सबसे सही रहेगा, क्योंकि वो पूरे देश को एकजुट करने वाले नेता थे।
RBI ने क्या कहा?
हाल ही में RBI ने RTI (सूचना का अधिकार) के तहत आए सवाल पर बताया कि नोटों पर गांधी जी की तस्वीर छापने का फैसला भारतीय सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर लेते हैं। नोटों का डिजाइन, चित्र और सुरक्षा फीचर तय करने का अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के तहत RBI को मिला है।
और नेताओं की तस्वीर क्यों नहीं?
कई बार यह सवाल भी उठता है कि नोटों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ. भीमराव आंबेडकर, भगत सिंह या अन्य महान नेताओं की तस्वीर क्यों नहीं छपती? इस पर RBI ने साफ कहा कि किसी और नेता की फोटो छापने का कोई प्रस्ताव फिलहाल नहीं है। गांधी जी की फोटो ही सबसे उपयुक्त मानी गई है, क्योंकि वह आजादी और राष्ट्रीय एकता का सबसे बड़ा प्रतीक हैं।
क्या नोटों पर गांधी जी की तस्वीर बदल सकती है?
पिछले साल ये चर्चा भी हुई थी कि क्या भविष्य में नोटों पर किसी और महापुरुष की तस्वीर छप सकती है? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि RBI ने कुछ नए डिजाइन तैयार किए हैं, जिनमें रवींद्रनाथ टैगोर और एपीजे अब्दुल कलाम की फोटो का सुझाव भी था। लेकिन RBI ने इस पर साफ कर दिया कि अभी ऐसा कोई बदलाव नहीं होने वाला। फिलहाल गांधी जी की तस्वीर ही छपती रहेगी।
नोटों का डिजाइन कौन तय करता है?
भारतीय नोटों का डिजाइन, रंग, साइज और फीचर्स तय करने की जिम्मेदारी RBI की होती है। लेकिन अंतिम मंजूरी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय से मिलती है। नोटों पर छपी तस्वीरें और चिन्ह भारतीय इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं। पीछे की तरफ अक्सर कोई खास स्मारक या विरासत छपी होती है — जैसे सांची स्तूप, सूर्य मंदिर, मंगलयान आदि।
महात्मा गांधी सीरीज क्या है?
महात्मा गांधी सीरीज 1996 में शुरू हुई थी। इसके बाद 2005 में इसे अपग्रेड किया गया और नए सुरक्षा फीचर्स जोड़े गए। 2016 के नोटबंदी के बाद RBI ने महात्मा गांधी न्यू सीरीज शुरू की, जिसमें 500 और 2000 रुपये के नए नोट आए। इसके बाद नए डिजाइन के 50, 100, 200 और 20 रुपये के नोट भी जारी किए गए। इन सब पर गांधी जी की तस्वीर कॉमन है।
क्या पुराने नोटों पर भी गांधी जी थे?
आजादी के शुरुआती सालों में छपे नोटों पर गांधी जी की तस्वीर नहीं हुआ करती थी। ब्रिटिश राज में तो नोटों पर अंग्रेजी राजा या रानी की तस्वीर होती थी। आजादी के बाद अशोक स्तंभ और अन्य प्रतीक चिन्ह नोटों पर छपने लगे। लेकिन गांधी जी की तस्वीर 1996 से हर नोट पर अनिवार्य हो गई।
नोटों पर गांधी जी की तस्वीर कहां से ली गई?
यह भी दिलचस्प है कि नोटों पर जो गांधी जी की तस्वीर छपी होती है, वो असल में एक ऐतिहासिक फोटो है। 1946 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ गांधी जी की बैठक के दौरान खींची गई एक असली तस्वीर से इसे लिया गया है। बाद में इसे ग्राफिक्स के जरिए डिजाइन किया गया।
नोटों पर गांधी जी की तस्वीर से क्या संदेश जाता है?
RBI और सरकार के मुताबिक गांधी जी की तस्वीर से एक सकारात्मक संदेश जाता है — शांति, अहिंसा और एकता का। नोट एक ऐसा माध्यम है जो हर आदमी के हाथ में आता है — चाहे अमीर हो या गरीब। ऐसे में गांधी जी की तस्वीर देश के कोने-कोने तक उनका संदेश पहुंचाती है।
क्या कभी गांधी जी की फोटो हट सकती है?
कानूनन ऐसा संभव है कि सरकार चाहे तो नोटों का डिजाइन बदल सकती है। लेकिन फिलहाल RBI ने साफ कर दिया है कि कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं है। गांधी जी की जगह किसी और नेता की तस्वीर छपने की अभी कोई योजना नहीं है।
निष्कर्ष
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि आखिर क्यों 10, 20, 50, 100 और 500 के नोट पर सिर्फ महात्मा गांधी जी की तस्वीर छपती है। यह सिर्फ एक फोटो नहीं बल्कि भारतीय इतिहास, आजादी की लड़ाई और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। RBI ने भी साफ कर दिया है कि नोटों पर गांधी जी ही रहेंगे — फिलहाल इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।