अगर आप भी सुरक्षित निवेश (Safe Investment) के बारे में सोच रहे हैं तो फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD आज भी सबसे पसंदीदा विकल्पों में से एक है। लेकिन FD सिर्फ बैंक में ही नहीं बल्कि कॉर्पोरेट कंपनियों में भी की जा सकती है। ऐसे में निवेशक अकसर इस उलझन में रहते हैं कि बैंक FD और कॉर्पोरेट FD में कौन सी बेहतर है? आइए विस्तार से जानते हैं कि दोनों में क्या फर्क है, कहां ज्यादा ब्याज मिलता है और किसमें जोखिम कम है।
क्या है बैंक FD?
बैंक FD यानी Fixed Deposit बैंक द्वारा दी जाने वाली वह योजना है जिसमें आप एक तय अवधि के लिए अपनी राशि जमा करते हैं और उस पर एक निश्चित ब्याज दर मिलती है। यह निवेश का सबसे पारंपरिक और सुरक्षित साधन माना जाता है। सरकारी बैंक, निजी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक – सभी जगह FD की सुविधा उपलब्ध होती है।
बैंक FD की खासियतें:
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जमा राशि पर निश्चित ब्याज दर
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सरकारी बीमा सुरक्षा (DICGC द्वारा ₹5 लाख तक की गारंटी)
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ब्याज दरें 3% से 7.5% तक (बैंक के अनुसार)
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छोटी अवधि से लेकर लंबी अवधि तक विकल्प
क्या है कॉर्पोरेट FD?
कॉर्पोरेट FD कंपनियों द्वारा जारी की जाती हैं। ये कंपनियां फंड जुटाने के लिए निवेशकों से पैसे लेती हैं और एक निश्चित ब्याज दर पर वापसी का वादा करती हैं। कॉर्पोरेट FD को कंपनी डिपॉजिट भी कहा जाता है। ये NBFCs या मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भी जारी कर सकती हैं।
कॉर्पोरेट FD की खासियतें:
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बैंक FD से अधिक ब्याज दर (8% से 10% तक)
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अवधि आमतौर पर 1 से 5 साल
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जोखिम ज्यादा क्योंकि ये बाजार और कंपनी की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करती हैं
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सरकार की कोई बीमा सुरक्षा नहीं
बैंक FD और कॉर्पोरेट FD में क्या है फर्क?
बिंदु | बैंक FD | कॉर्पोरेट FD |
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ब्याज दर | कम (3%-7.5%) | ज्यादा (8%-10%) |
सुरक्षा | DICGC बीमा ₹5 लाख तक | कोई बीमा नहीं |
जोखिम | बेहद कम | कंपनी की रेटिंग और वित्तीय हालत पर निर्भर |
लिक्विडिटी | अधिकतर बैंकों में आसान प्रीमैच्योर विदड्रॉल | समय से पहले निकालना मुश्किल या पेनल्टी लग सकती है |
टैक्स लाभ | टैक्सेबल, कुछ स्कीमों में 80C में छूट | टैक्सेबल, कोई विशेष छूट नहीं |
कौन सी FD आपके लिए बेहतर है?
सुरक्षा चाहते हैं तो – बैंक FD
अगर आपकी प्राथमिकता पूंजी की सुरक्षा (Capital Protection) है तो बैंक FD सबसे सुरक्षित मानी जाती है। सरकारी बीमा होने से ₹5 लाख तक की राशि सुरक्षित रहती है। खासकर बुजुर्ग और जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए बैंक FD बेस्ट है।
ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो – कॉर्पोरेट FD
अगर आप थोड़ा रिस्क लेने को तैयार हैं और ज्यादा ब्याज चाहते हैं तो आप अच्छी रेटिंग वाली कंपनी की FD में निवेश कर सकते हैं। लेकिन निवेश से पहले कंपनी की क्रेडिट रेटिंग (CRISIL, ICRA जैसी एजेंसियों से) जरूर जांच लें। मजबूत और विश्वसनीय कंपनी ही चुनें।
कॉर्पोरेट FD में निवेश से पहले रखें इन बातों का ध्यान
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कंपनी की वित्तीय स्थिति और बाजार में साख जरूर देखें।
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क्रेडिट रेटिंग ‘AA’ या उससे ऊपर होनी चाहिए।
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ब्याज दर ज्यादा आकर्षक दिखे तो उसके पीछे का कारण समझें।
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निवेश अवधि और मैच्योरिटी शर्तें ध्यान से पढ़ें।
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किसी एजेंट के कहने पर बिना रिसर्च निवेश न करें।
FD में टैक्सेशन कैसे होता है?
बैंक FD और कॉर्पोरेट FD – दोनों से मिलने वाला ब्याज आपकी कुल आय में जुड़ता है और टैक्सेबल होता है। अगर सालाना ब्याज ₹40,000 (सीनियर सिटीजन के लिए ₹50,000) से ज्यादा होता है तो बैंक TDS भी काटता है। निवेशक फॉर्म 15G/15H देकर TDS से बच सकते हैं, बशर्ते उनकी टैक्सेबल इनकम बेसिक स्लैब से कम हो।
FD में निवेश के लिए जरूरी टिप्स
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FD करवाने से पहले अलग-अलग बैंक या कंपनियों की ब्याज दरें जरूर तुलना करें।
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ऑनलाइन FD करवाने पर कई बैंक अतिरिक्त ब्याज भी देते हैं।
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FD को छोटी-छोटी किश्तों में तोड़कर करना अच्छा रहता है, ताकि जरूरत पड़ने पर कुछ रकम निकाल सकें।
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अगर सीनियर सिटीजन हैं तो विशेष FD स्कीम का फायदा उठाएं, जिसमें अतिरिक्त ब्याज मिलता है।
निष्कर्ष
FD में निवेश करना सुरक्षित भी है और सुविधाजनक भी, लेकिन कहां करना है – यह फैसला आपकी जोखिम लेने की क्षमता और रिटर्न की उम्मीद पर निर्भर करता है। अगर आप चाहते हैं कि पूंजी बिलकुल सुरक्षित रहे तो बैंक FD बेस्ट है। वहीं, अगर आप थोड़ी रिस्क लेकर ज्यादा ब्याज चाहते हैं तो आप अच्छी रेटिंग वाली कंपनी की FD चुन सकते हैं। निवेश से पहले जानकारी जुटाना और शर्तें पढ़ना हमेशा फायदेमंद रहता है।