प्रॉपर्टी रजिस्ट्री असली है या फर्जी? इस तरह मिनटों में करें पहचान

भारत में प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इस बढ़ती हुई रजिस्ट्री प्रक्रिया के साथ-साथ फर्जी रजिस्ट्री और जमीन विवाद भी बढ़ते जा रहे हैं। यह किसी के लिए भी एक बड़ी चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि फर्जी रजिस्ट्री से न केवल पैसे की बर्बादी होती है बल्कि कानूनी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री असली है या फर्जी, और इसको पहचानने के कुछ आसान तरीके क्या हैं।

इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आप किस प्रकार मिनटों में पहचान सकते हैं कि आपकी रजिस्ट्री असली है या फर्जी, और आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

रजिस्ट्री क्या है?

रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया है, जो किसी संपत्ति की स्वामित्व की मान्यता प्राप्त करने के लिए की जाती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि किसी संपत्ति का मालिक कौन है और वह संपत्ति कानूनी रूप से किसके नाम पर है। यह प्रक्रिया जमीन, मकान, या अन्य संपत्ति के लेन-देन में होती है और रजिस्ट्री ऑफिस में पूरी की जाती है।

रजिस्ट्री असली है या फर्जी? जानने के लिए क्या करें?

कई बार प्रॉपर्टी का लेन-देन करने पर यह संदेह हो सकता है कि रजिस्ट्री फर्जी तो नहीं। यहां हम आपको बताएंगे कुछ आसान तरीके, जिनसे आप रजिस्ट्री की असलियत मिनटों में जान सकते हैं।

1. रजिस्ट्री का रिकॉर्ड ऑनलाइन चेक करें

आजकल अधिकांश राज्य सरकारों ने रजिस्ट्री के रिकॉर्ड को ऑनलाइन उपलब्ध करवा दिया है। आप रजिस्ट्री ऑफिस की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्री के बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको रजिस्ट्री पीएनआर (PNR) नंबर या रजिस्ट्रेशन नंबर की जरूरत होगी।

स्टेप-बाय-स्टेप:

  • अपने राज्य की रजिस्ट्री वेबसाइट पर जाएं।

  • रजिस्ट्री का रजिस्ट्रेशन नंबर या पीएनआर नंबर डालें।

  • आपको संपत्ति का पूरा विवरण और वर्तमान स्थिति (जैसे नामांतरण) मिलेगा।

अगर आपके पास रजिस्ट्री से जुड़ा कोई रिकॉर्ड नहीं है, तो यह एक चेतावनी का संकेत हो सकता है।

2. रजिस्ट्री में बायोमेट्रिक और डिजिटल वेरिफिकेशन

फर्जी रजिस्ट्री को पहचानने का एक और तरीका है बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन। जब भी आप रजिस्ट्री करवाते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट और फोटोग्राफी की प्रक्रिया पूरी हो रही हो। अगर इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है, तो वह रजिस्ट्री फर्जी हो सकती है।

आजकल डिजिटल रजिस्ट्री प्रक्रिया लागू हो रही है, जो स्मार्ट कार्ड, फिंगरप्रिंट और एड्रेस वेरिफिकेशन के द्वारा की जाती है। इस सिस्टम से आपको प्रॉपर्टी के असली स्वामी की पहचान होती है।

3. रजिस्ट्री की तारीख और साक्षात्कार पत्र

रजिस्ट्री के दस्तावेज में साक्षात्कार पत्र (Witness Letter) और रजिस्ट्री की तारीख की जांच करना बेहद जरूरी है। असली रजिस्ट्री में दस्तावेज पर साक्षी के हस्ताक्षर और दिनांक होते हैं। अगर तारीख या साक्षियों के हस्ताक्षर में कोई गड़बड़ी दिखे, तो यह एक फर्जी रजिस्ट्री का संकेत हो सकता है।

4. सरकारी रिकॉर्ड की जांच

किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री को असली मानने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वह सर्वे रिकॉर्ड में दर्ज है। खसरा नंबर, म्यूटेशन रिकॉर्ड और जमीन के सर्वेक्षण नंबर जांचें। अगर इन रिकॉर्ड्स में कोई भी अनियमितता हो, तो रजिस्ट्री की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं।

इसके लिए जिला आपूर्ति विभाग या राजस्व विभाग में जाकर जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यह आपको असली स्वामित्व की पुष्टि करने में मदद करेगा।

रजिस्ट्री की पहचान करने के और तरीके

1. रजिस्ट्री पंजीकरण ऑफिस की प्रमाणित सील

रजिस्ट्री के दस्तावेज पर पंजीकरण ऑफिस की प्रमाणित सील का होना अनिवार्य है। असली रजिस्ट्री में यह सील होती है, जो रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मचारियों द्वारा लगी होती है। अगर सील में कोई गड़बड़ी हो या वह गायब हो, तो रजिस्ट्री की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं।

2. रजिस्ट्री की भाषा और दस्तावेज़ की गुणवत्ता

असली रजिस्ट्री में दस्तावेज़ की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण होती है। फर्जी दस्तावेज़ की गुणवत्ता और लेखन में गड़बड़ी हो सकती है। रजिस्ट्री दस्तावेज़ के लेआउट, टाइपिंग, और उसकी सामग्री को ध्यान से पढ़ें। अगर आपको कहीं भी कोई गड़बड़ी दिखाई दे, तो यह एक चेतावनी संकेत हो सकता है।

3. रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी की जांच

प्रत्येक रजिस्ट्री के साथ स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री फीस का भुगतान किया जाता है। अगर रजिस्ट्री दस्तावेज़ में स्टांप ड्यूटी की रकम बहुत कम दिखे या भुगतान की जानकारी गायब हो, तो यह फर्जी रजिस्ट्री हो सकती है। स्टांप ड्यूटी की रकम प्रॉपर्टी की कीमत पर निर्भर होती है, और इसे राज्य के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

फर्जी रजिस्ट्री के मामले में क्या करें?

अगर आप पाते हैं कि आपकी संपत्ति की रजिस्ट्री फर्जी है या उसमें कोई गड़बड़ी है, तो तुरंत कानूनी सलाह लें। आप सिविल कोर्ट में रजिस्ट्री को रद्द कराने के लिए केस कर सकते हैं और संपत्ति पर अपना अधिकार स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा, पुलिस में भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है, खासकर जब धोखाधड़ी का मामला हो।

निष्कर्ष

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की असलियत को पहचानने के कई आसान तरीके हैं। ऑनलाइन चेकिंग, बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन, सरकारी रिकॉर्ड की जांच और सील की पुष्टि से आप आसानी से यह पता कर सकते हैं कि रजिस्ट्री असली है या फर्जी। हमेशा यह सुनिश्चित करें कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी तरह से वैध हो और सभी दस्तावेज़ सही तरीके से भरे गए हों।

जमीन या मकान की रजिस्ट्री के साथ किसी भी प्रकार का धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्कता बहुत जरूरी है। यदि आप कोई संपत्ति खरीदने जा रहे हैं, तो इन पहलुओं का ध्यान रखें ताकि भविष्य में आपको कोई परेशानी न हो।

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