भारत में प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने के दौरान सबसे अहम प्रक्रिया होती है रजिस्ट्री। जमीन, मकान या फ्लैट खरीदने पर खरीदार को तय शुल्क के साथ रजिस्ट्रेशन फीस देनी पड़ती है। अभी तक कई राज्यों में कुछ शर्तों के तहत रजिस्ट्री फीस वापस पाने का प्रावधान था। लेकिन अब नया कानून लागू होने जा रहा है जिससे रजिस्ट्री के पैसे वापस मिलना मुश्किल हो सकता है।
आज हम आपको बताएंगे:
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नया नियम क्या है?
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रजिस्ट्री फीस रिफंड क्यों बंद किया गया?
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किन हालात में अब भी पैसा वापस मिल सकता है?
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नई व्यवस्था से किसे फायदा और किसे नुकसान होगा?
रजिस्ट्री फीस क्या होती है?
जब कोई व्यक्ति जमीन, मकान या फ्लैट खरीदता है, तो उसे सरकार के नाम स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है।
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स्टांप ड्यूटी: प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का कुछ प्रतिशत, राज्य सरकार तय करती है।
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रजिस्ट्रेशन फीस: दस्तावेजों को रजिस्ट्री ऑफिस में दर्ज कराने की फीस, आमतौर पर 1% के आसपास।
कई बार डील कैंसल होने या कोर्ट केस जीतने पर पुरानी व्यवस्था में लोग रजिस्ट्री फीस वापस मांग सकते थे।
नए नियम के बाद क्या बदला?
हाल ही में कई राज्यों ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन एक्ट में बदलाव किए हैं। इसमें सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब यदि किसी वजह से रजिस्ट्री कैंसल हो जाती है या ट्रांजैक्शन फेल हो जाता है तो रजिस्ट्री फीस वापस नहीं मिलेगी।
मुख्य वजह क्या है?
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सरकार को हर साल करोड़ों रुपये रिफंड में देने पड़ते थे।
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कुछ लोग फर्जीवाड़ा करके रजिस्ट्री के नाम पर रिफंड क्लेम करते थे।
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इससे सरकार को राजस्व नुकसान होता था।
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नया नियम सरकार की ई-गवर्नेंस पॉलिसी के तहत लागू हो रहा है जिससे फर्जीवाड़ा रुकेगा।
किसे होगा नुकसान?
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प्रॉपर्टी खरीदने वालों को सबसे बड़ा झटका लगेगा।
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कई बार डील किसी विवाद या धोखाधड़ी की वजह से रद्द करनी पड़ती थी, तब रजिस्ट्री फीस वापस मिल जाती थी।
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अब ये पैसा वापस नहीं मिलेगा यानी लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ेगा।
कब मिलेगा रिफंड?
हालांकि कुछ मामलों में अब भी रजिस्ट्री फीस रिफंड का प्रावधान रहेगा। जैसे:
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यदि कोई प्रशासनिक गलती हो गई हो।
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कोर्ट का आदेश हो कि रजिस्ट्री अमान्य है।
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सरकार खुद किसी रजिस्ट्री को रद्द करे।
इन मामलों में प्रक्रिया लंबी होगी और केवल आधिकारिक आदेश पर ही पैसा वापस मिलेगा।
किन राज्यों में लागू होगा नया नियम?
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उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों ने पहले ही रजिस्ट्री एक्ट में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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कई राज्यों में यह नया कानून 1 जुलाई 2025 से लागू होने की संभावना है।
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कुछ राज्य पहले से ही No Refund Policy पर काम कर रहे हैं।
खरीदार क्या सावधानी रखें?
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प्रॉपर्टी की Legal Verification पहले ही कराएं।
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जमीन के दस्तावेज, Mutation, Encumbrance Certificate, NOC जरूर जांचें।
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Registry कराने से पहले ही Sale Agreement को अच्छे से पढ़ें और वकील से सलाह लें।
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किसी बिचौलिए या एजेंट पर आंख बंद कर भरोसा न करें।
फर्जीवाड़ा कैसे रोकेगा नया कानून?
अब तक कई बार लोग फर्जी दस्तावेज दिखाकर रजिस्ट्री करवा देते थे और फिर Court में जाकर कैंसल कराकर रजिस्ट्री फीस वापस ले लेते थे। इससे सरकारी खजाने को नुकसान होता था।
नया नियम लागू होने से ऐसे मामलों पर लगाम लगेगी। सरकार को रेवेन्यू का नुकसान नहीं होगा और सिस्टम पारदर्शी होगा।
डील कैंसल तो रजिस्ट्री फीस गई! क्या करें?
अगर डील किसी कारण से टूट जाए तो स्टांप ड्यूटी तो कुछ राज्यों में वापस ली जा सकती है, लेकिन रजिस्ट्री फीस Refund नहीं होगी।
इसलिए:
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Advance Agreement पक्का करें।
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Payment से पहले Seller की पूरी Background जांचें।
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Land Records ऑनलाइन चेक करें।
नया नियम किसे फायदा देगा?
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राज्य सरकारों को रेवेन्यू का नुकसान नहीं होगा।
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Registry Office में फर्जी Refund के केस घटेंगे।
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बिचौलियों का खेल रुकेगा।
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Genuine Buyer थोड़ी सावधानी रखेंगे तो फंसने से बचेंगे।
क्या इस नियम को चुनौती दी जा सकती है?
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कुछ लोग इस नियम को Court में चुनौती दे सकते हैं।
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अगर High Court या Supreme Court को लगे कि यह Buyers के हितों के खिलाफ है तो इसे बदला जा सकता है।
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अभी तक इस पर कोई बड़ी याचिका नहीं लगी है, लेकिन कानूनी लड़ाई की संभावना बनी रहेगी।
निष्कर्ष
अब प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने से पहले ही सभी दस्तावेज जांच लें, Seller का बैकग्राउंड चेक करें और किसी Fraud Deal से बचें।
क्योंकि नया नियम साफ है — रजिस्ट्री फीस एक बार दी तो वापस नहीं!
जागरूक बनें, नुकसान से बचें!