भारत में परिवारों में संपत्ति को लेकर विवाद सबसे ज्यादा होते हैं। खासतौर पर जब बात पैतृक संपत्ति यानी पुश्तैनी जमीन-जायदाद की हो तो अक्सर भाइयों-बहनों, बेटों-बेटियों में झगड़े देखने को मिलते हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि कौन सारी संपत्ति बेच सकता है और किसे किसकी इजाजत लेनी होगी।
हाल ही में Supreme Court ने सिर्फ दो लाइन में साफ कर दिया कि कौन बिना किसी की मंजूरी के पूरी संपत्ति बेच सकता है और कौन नहीं।
पैतृक संपत्ति और स्व अर्जित संपत्ति में फर्क
सबसे पहले समझें – संपत्ति दो तरह की होती है:
Self-Acquired Property (स्व अर्जित संपत्ति)
Ancestral Property (पैतृक संपत्ति)
Self-Acquired Property वो होती है जिसे किसी व्यक्ति ने अपनी कमाई या मेहनत से खरीदा है।
Ancestral Property वो होती है जो 4 पीढ़ियों से बिना बंटवारे के परिवार में चली आ रही हो।
Supreme Court का बड़ा फैसला
Supreme Court ने साफ कहा:
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अगर कोई संपत्ति स्व अर्जित है, तो मालिक को पूरा हक है कि वो उसे किसी को भी बेच सकता है – बिना बच्चों, पत्नी या किसी वारिस की इजाजत के।
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लेकिन अगर संपत्ति पैतृक है, तो उसे अकेला मालिक नहीं बेच सकता। इसके लिए सभी कानूनी वारिसों की सहमति जरूरी होगी।
बस इतनी सी 2 लाइन में कोर्ट ने बड़ा संदेश दे दिया – झगड़े से बचने के लिए यही सबसे बड़ा नियम है!
Self-Acquired Property पर मालिक के अधिकार
यदि कोई पिता अपने वेतन या कारोबार से कोई मकान, प्लॉट या जमीन खरीदता है, तो:
वह उसके नाम से होती है
वह उसे बेचने, दान देने या किसी के नाम ट्रांसफर करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र होता है
बच्चों, पत्नी या परिवार से उसे कोई पूछने की जरूरत नहीं होती
पैतृक संपत्ति में सबका बराबर अधिकार
अगर संपत्ति पुश्तैनी है तो:
उसमें सभी कानूनी वारिसों का हिस्सा तय है
कोई अकेला सदस्य उसे नहीं बेच सकता
सभी वारिसों की सहमति या कोर्ट का आदेश जरूरी है
बिना सहमति अगर बेच दी तो वह डील कोर्ट में रद्द हो सकती है
कौन होते हैं कानूनी वारिस?
भारतीय कानून के मुताबिक:
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बेटे-बेटियां
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पत्नी
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माता-पिता (कुछ मामलों में)
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नाती-पोते (अगर बेटा जीवित न हो)
ये सभी कानूनी वारिस होते हैं और पैतृक संपत्ति पर बराबर का हक रखते हैं।
क्या दान में दी जा सकती है पुश्तैनी संपत्ति?
Supreme Court ने इस पर भी फैसला दिया है:
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पैतृक संपत्ति को मालिक अकेले दान नहीं कर सकता।
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दान के लिए सभी हिस्सेदारों की अनुमति जरूरी होगी।
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स्व अर्जित संपत्ति को कोई भी बिना इजाजत दान कर सकता है।
Supreme Court के फैसले से क्या फर्क पड़ेगा?
इस फैसले से:
संपत्ति विवाद में कमी आएगी
गलत तरीके से पुश्तैनी संपत्ति बेचने वालों पर रोक लगेगी
कानूनी अधिकार साफ होंगे
फर्जी रजिस्ट्री और धोखाधड़ी के मामले घटेंगे
क्या करें अगर कोई संपत्ति बिना पूछे बेच दे?
अगर किसी ने पुश्तैनी संपत्ति आपकी सहमति के बिना बेच दी तो आप तुरंत:
सिविल कोर्ट में केस फाइल कर सकते हैं
रजिस्ट्री को चुनौती दे सकते हैं
फर्जी सेल डीड को रद्द करवा सकते हैं
पुलिस में धोखाधड़ी का केस कर सकते हैं
जरूरी कागज जरूर संभालें
अगर आप संपत्ति में हिस्सेदार हैं तो:
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पुरानी खतौनी, खसरा, पैतृक दस्तावेज संभालें
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Family Tree (वंशावली) अपडेट रखें
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सेल डीड की कॉपी लें
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कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी रखें
Self-Acquired Property बेचते वक्त क्या सावधानी रखें
अगर आप अपनी अर्जित संपत्ति बेच रहे हैं तो:
रजिस्ट्री पूरी तरह कानूनी कराएं
संपत्ति पर कोई विवाद तो नहीं, ये जांच लें
किसी को फर्जी दावा न करने दें
सेल डीड और Mutation कराना न भूलें
संपत्ति विवाद में क्या न करें
झूठे कागजों पर भरोसा न करें
बिना Proper Agreement पैसे न दें
Family Settlement की Proper Registry कराएं
कानूनी सलाह लिए बिना Sign न करें
Supreme Court के इस फैसले से क्या सीखें
Supreme Court ने यह फैसला देकर साफ कर दिया कि स्व अर्जित संपत्ति पर मालिक का हक Supreme होता है।
वहीं पैतृक संपत्ति में सभी हिस्सेदारों का बराबर हक होता है – कोई भी अकेले मालिक नहीं बन सकता।
निष्कर्ष
अगर आप अपनी या परिवार की संपत्ति को लेकर उलझन में हैं तो सबसे पहले यही समझ लें:
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स्व अर्जित संपत्ति: बेच सकते हैं, दान कर सकते हैं – किसी की इजाजत जरूरी नहीं।
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पैतृक संपत्ति: सबकी मंजूरी जरूरी, अकेले फैसला नहीं चलेगा।
इसलिए किसी भी सौदे से पहले कानूनी सलाह जरूर लें, दस्तावेज जांचें और अपने हक को नज़रअंदाज़ न करें।