भारत में शादी और संपत्ति को लेकर अक्सर बड़े विवाद खड़े होते हैं, खासकर तब जब बात दूसरी पत्नी के अधिकार की हो। कई बार लोग यह सवाल पूछते हैं कि क्या दूसरी पत्नी भी पति की प्रॉपर्टी में हिस्सा मांग सकती है? क्या उसे कानूनी अधिकार है? और अगर है तो किन शर्तों के साथ? हाल ही में कोर्ट ने इस पर कई अहम फैसले सुनाए हैं, जिन्हें जानना हर किसी के लिए जरूरी है। आइए जानते हैं दूसरी पत्नी के प्रॉपर्टी अधिकार से जुड़े कानून और नियम।
भारत में शादी का कानून और दूसरी पत्नी का हक
भारत में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत दूसरी शादी तभी मान्य होती है जब पहली पत्नी जीवित न हो या दोनों के बीच तलाक हो चुका हो। अगर पहली पत्नी जीवित है और तलाक नहीं हुआ है तो दूसरी शादी अवैध (Bigamy) मानी जाएगी।
अवैध शादी का मतलब – ऐसी शादी को कानून मान्यता नहीं देता और इससे जुड़े अधिकार भी नहीं मिलते। यानी अगर किसी ने बिना पहली पत्नी से तलाक लिए दूसरी शादी की है तो दूसरी पत्नी को पति की संपत्ति में कानूनी अधिकार नहीं मिलेगा।
दूसरी पत्नी के अधिकार की स्थिति
1 पहली शादी के रहते दूसरी शादी की गई:
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यह शादी अवैध होगी।
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दूसरी पत्नी को वैधानिक पत्नी का दर्जा नहीं मिलेगा।
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वह पति की संपत्ति में उत्तराधिकारी नहीं बन सकती।
2 पहली पत्नी से तलाक या पहली पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी:
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यह शादी वैध मानी जाएगी।
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दूसरी पत्नी को कानूनी पत्नी के सारे अधिकार मिलेंगे।
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उसे पति की संपत्ति में बराबरी का हक मिलेगा।
दूसरी पत्नी के बच्चे का हक
भले ही दूसरी शादी अवैध हो, लेकिन उस शादी से पैदा हुए बच्चे को उत्तराधिकारी माना जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार, दूसरी पत्नी से जन्मे बच्चों को पिता की संपत्ति में बराबरी का हक मिलेगा।
बच्चे को अवैध नहीं माना जाएगा, भले ही शादी अवैध हो।
कोर्ट के अहम फैसले
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश:
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर शादी अवैध है तो पत्नी को संपत्ति में हक नहीं मिलेगा, लेकिन बच्चे को पूरा हक मिलेगा।
हाईकोर्ट के कई फैसलों में भी यही बात दोहराई गई है – पति की संपत्ति पर दूसरी पत्नी तभी दावा कर सकती है जब शादी वैध हो।
अगर वसीयत बनाई गई है तो?
अगर पति ने अपनी संपत्ति पर वसीयत बनाई है और उसमें दूसरी पत्नी को हिस्सा दिया है तो उसे हिस्सा मिलेगा, चाहे शादी वैध हो या अवैध।
ध्यान रखें: संपत्ति में अधिकार दो तरीकों से मिलते हैं –
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उत्तराधिकार (कानूनी वारिस)
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वसीयत के जरिए
दूसरी पत्नी के अधिकार से जुड़े जरूरी पॉइंट
शादी की वैधता सबसे जरूरी है।
अगर शादी अवैध है तो पत्नी को कानूनी तौर पर हिस्सा नहीं मिलेगा।
अवैध शादी से जन्मे बच्चों का हक सुरक्षित रहेगा।
पति अगर चाहे तो वसीयत से दूसरी पत्नी को संपत्ति दे सकता है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुपत्नी विवाह मान्य है, वहां नियम अलग हैं।
दूसरी पत्नी को क्या करना चाहिए?
अगर आप दूसरी पत्नी हैं और आपके अधिकार को लेकर भ्रम है तो:
शादी की वैधता के कागजात संभालकर रखें।
शादी रजिस्टर्ड है या नहीं, इसका रिकॉर्ड रखें।
पति की संपत्ति के दस्तावेज चेक करें – खरीदी गई या पुश्तैनी संपत्ति।
जरूरत पड़े तो फैमिली लॉयर की सलाह लें।
अगर पति ने वसीयत बनाई है तो उसकी कॉपी रखें।
संपत्ति विवाद से बचने के लिए क्या करें?
शादी से जुड़े दस्तावेज सही रखें।
वसीयत (Will) तैयार कराएं ताकि विवाद न हो।
बच्चों का नाम संपत्ति रिकॉर्ड में जुड़वाएं।
परिवार में पारदर्शिता रखें ताकि कोर्ट-कचहरी के चक्कर न लगें।
दूसरी पत्नी को प्रॉपर्टी में हिस्सा – कानून क्या कहता है
हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 के अनुसार पत्नी को पति की संपत्ति में बराबर का हक होता है लेकिन वही पत्नी वैध होनी चाहिए। अगर शादी अवैध है तो पत्नी के अधिकार खत्म हो जाते हैं। हालांकि बच्चे का अधिकार बरकरार रहता है।
निष्कर्ष
तो अब साफ है कि दूसरी पत्नी को पति की प्रॉपर्टी में हिस्सा तभी मिलेगा जब शादी पूरी तरह से वैध हो। अगर शादी अवैध है तो कोर्ट में दावा करने पर भी कुछ नहीं मिलेगा। हालांकि, पति चाहे तो वसीयत के जरिए दूसरी पत्नी को संपत्ति दे सकता है। दूसरी शादी से जन्मे बच्चे को पूरा हक मिलेगा। इसलिए शादी के कानूनी दस्तावेजों को सही रखना और कानून की जानकारी रखना बेहद जरूरी है।