नाना-नानी की संपत्ति पर नाती-नातिन का हक कितना, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

भारत में संपत्ति अधिकार हमेशा से चर्चा और विवाद का विषय रहे हैं। खासतौर पर जब बात नाना-नानी की संपत्ति पर नाती-नातिन के अधिकार की आती है, तो बहुत से लोग भ्रम में रहते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे ही केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसने इस विषय को लेकर स्थिति साफ कर दी है। आज हम आपको बताएंगे कि नाना-नानी की संपत्ति पर नाती-नातिन का हक कितना होता है और सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में क्या कहा।

क्या कहता है हिंदू उत्तराधिकार कानून?

भारत में अधिकतर संपत्ति विवाद हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 के तहत निपटाए जाते हैं। इस कानून में यह साफ है कि पैतृक संपत्ति पर पोते-पोतियों का हक होता है। लेकिन नाना-नानी की संपत्ति के मामले में स्थिति थोड़ी अलग होती है।

  • पैतृक संपत्ति (Ancestral Property): यह वह संपत्ति है जो चार पीढ़ियों तक बिना बंटी रही हो। इसमें पोते-पोतियों का अधिकार जन्म से ही माना जाता है।

  • स्वअर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property): अगर नाना-नानी ने अपनी मेहनत से संपत्ति बनाई है तो वे अपनी इच्छा से किसी को भी दे सकते हैं।

यानि नाना-नानी की संपत्ति स्वअर्जित है या पैतृक, इस पर ही नाती-नातिन के अधिकार निर्भर करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में एक केस में फैसला आया जिसमें नाती-नातिन ने नाना की संपत्ति पर अधिकार जताया। कोर्ट ने साफ कहा कि—

  • अगर नाना-नानी की संपत्ति स्वअर्जित है तो उन्हें पूरा हक है कि वे उसे अपनी मर्जी से दान कर सकते हैं या वसीयत में किसी को भी नामित कर सकते हैं।

  • अगर नाना-नानी ने कोई वसीयत नहीं बनाई तो उनकी मृत्यु के बाद संपत्ति उनके कानूनी वारिसों में बंटेगी।

  • सामान्यत: नाना-नानी की संपत्ति उनके बच्चों (माता या पिता) को जाती है, और फिर माता-पिता के बाद नाती-नातिन को मिलती है।

इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि नाती-नातिन सीधे नाना-नानी की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकते, जब तक माता या पिता जीवित हैं।

कब बनता है नाती-नातिन का हक?

नाती-नातिन का हक तभी बनता है जब:

 माता या पिता जिनसे उनका संबंध है, जीवित न हों।
 नाना-नानी की संपत्ति पैतृक हो, और इसका बंटवारा चार पीढ़ियों तक बिना बंटे हो।
 नाना-नानी ने अपनी वसीयत में उनका नाम शामिल किया हो।

अगर इन शर्तों में से कोई भी पूरा नहीं होता तो नाती-नातिन को सीधा हक नहीं मिलता।

वसीयत क्यों है जरूरी?

कई बार नाना-नानी अपनी संपत्ति अपने नाती-नातिन को देना चाहते हैं लेकिन वसीयत नहीं बनाते। बिना वसीयत के उनके बच्चों को ही संपत्ति का अधिकार मिलेगा।

इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में कहा कि वसीयत बनाना बहुत जरूरी है, ताकि भविष्य में विवाद न हो और संपत्ति उसी को मिले जिसके लिए वह तय की गई थी।

कानूनी सलाह क्या कहती है?

कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक:

  • अगर आप नाना-नानी की संपत्ति के वारिस हैं तो जरूरी दस्तावेज संभालकर रखें।

  • संपत्ति का खतौनी रिकॉर्ड, वसीयत और रजिस्ट्री की कॉपी समय रहते अपडेट करवा लें।

  • अगर वसीयत नहीं है और विवाद हो गया तो कोर्ट के जरिए हक की लड़ाई लंबी और खर्चीली हो सकती है।

नाना-नानी की संपत्ति विवाद से कैसे बचें?

वसीयत बनवाएं: नाना-नानी को सलाह दें कि अपनी संपत्ति की वसीयत कानूनी रूप से बनवाएं।
सबकी सहमति लें: पारिवारिक सहमति से संपत्ति का बंटवारा भविष्य के विवाद को रोकता है।
कानूनी प्रक्रिया अपनाएं: किसी भी संपत्ति विवाद को हल करने के लिए कानून का सहारा लें।

इस फैसले से क्या सीख मिली?

  • परिवार में पारदर्शिता रखें।

  • संपत्ति को लेकर भावनात्मक फैसलों की जगह कानूनी प्रक्रिया अपनाएं।

  • बच्चों और नाती-नातिन को भविष्य में परेशानी न हो इसके लिए वसीयत जरूरी है।

निष्कर्ष

नाना-नानी की संपत्ति पर नाती-नातिन का हक कितना होता है? इस सवाल का जवाब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है — हक तभी बनता है जब संपत्ति पैतृक हो या नाना-नानी ने वसीयत में नाती-नातिन को वारिस बनाया हो। अगर संपत्ति स्वअर्जित है और वसीयत नहीं है तो वह पहले माता-पिता के हिस्से में जाती है।

इसलिए परिवार में पारदर्शिता और सही दस्तावेज़ीकरण ही भविष्य के झगड़ों को रोक सकता है। अगर आपके परिवार में भी ऐसा कोई मामला है तो वकील की सलाह जरूर लें और कागजात पूरे रखें।

Leave a Comment

Join Whatsapp Group