मध्य प्रदेश के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है। अब मकान और जमीन की रजिस्ट्री के बाद नामांतरण (Mutation) के लिए महीनों चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। एमपी सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्री और नामांतरण की प्रक्रिया को बिल्कुल तत्काल टिकट सिस्टम की तरह आसान और तेज बनाने का ऐलान किया है। नए नियमों के लागू होते ही मकान या जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही तुरंत नामांतरण भी हो जाएगा।
इस नई सुविधा से न सिर्फ लोगों का समय बचेगा, बल्कि बिचौलियों और भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी।
क्या है नया नियम?
अब तक मध्य प्रदेश समेत देश के ज्यादातर राज्यों में मकान या जमीन खरीदने के बाद रजिस्ट्री तो हो जाती थी, लेकिन नामांतरण के लिए नगर निगम या तहसील के चक्कर लगाने पड़ते थे। कई बार नामांतरण में महीनों लग जाते थे और इसके लिए दलालों को मोटी रकम देनी पड़ती थी।
लेकिन अब एमपी सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्री और नामांतरण को एक साथ जोड़ दिया है। मतलब जिस दिन रजिस्ट्री होगी, उसी दिन Mutation Process भी पूरी हो जाएगी।
क्यों जरूरी था नामांतरण में बदलाव?
नामांतरण यानी Mutation का मतलब है कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक पुराने मालिक से नए मालिक के नाम पर चढ़ाना।
नामांतरण के बिना नया मालिक वैध मालिक नहीं माना जाता।
पुराने दस्तावेजों में पुराने मालिक का नाम ही दर्ज रहता है।
नामांतरण में देरी से विवाद, कोर्ट केस और धोखाधड़ी के मामले बढ़ते हैं।
इसी वजह से एमपी सरकार ने Mutation सिस्टम को डिजिटल और ऑटोमैटिक बनाने का फैसला किया है।
नया सिस्टम कैसे काम करेगा?
नई व्यवस्था के तहत जैसे ही आपकी रजिस्ट्री सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में होती है, उसी वक्त आपकी डीड की डिजिटल कॉपी नगर निगम या ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में चली जाएगी।
फिर सॉफ्टवेयर ऑटोमैटिक Mutation Order जेनरेट करेगा और नया मालिकाना हक रजिस्ट्री के साथ ही दर्ज हो जाएगा।
कोई अलग आवेदन की जरूरत नहीं।
कोई एजेंट या दलाल की जरूरत नहीं।
कोई घूस या देरी का झंझट नहीं।
किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा?
यह नई सुविधा खासकर उन लोगों के लिए राहत लेकर आएगी जो:
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पहली बार मकान या जमीन खरीद रहे हैं।
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प्लॉट या घर बेचने-बेचवाने में झंझट झेल चुके हैं।
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दूर-दराज के गांवों में रहते हैं और बार-बार तहसील या नगर निगम नहीं जा सकते।
कब से लागू होगा नया नियम?
राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार नया सिस्टम 2025 के शुरुआत तक पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
फिलहाल इसे भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है।
क्या होगा रजिस्ट्री फीस पर असर?
नामांतरण को रजिस्ट्री से लिंक करने से सरकारी रजिस्ट्री फीस में कोई बड़ा इजाफा नहीं होगा।
नामांतरण शुल्क पहले भी देना होता था, अब वो रजिस्ट्री फीस में ही जोड़ दिया जाएगा।
मतलब अब अलग-अलग फीस देने के बजाय सिंगल विंडो सिस्टम से सब कुछ निपटेगा।
क्या डिजिटल होगा पूरा सिस्टम?
हां! नया सिस्टम पूरी तरह डिजिटल होगा। इसके लिए:
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सभी तहसील और नगर निगम कार्यालयों को ऑनलाइन कनेक्ट किया जा रहा है।
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रजिस्ट्री के वक्त ही डिजिटल सिग्नेचर और ऑनलाइन पेमेंट से प्रक्रिया पूरी होगी।
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Mutation Order ऑनलाइन मिलेगा और इसे कभी भी डाउनलोड कर सकते हैं।
इससे क्या खत्म होगा?
दलालों का खेल – नामांतरण के नाम पर कमीशनबाजी नहीं चलेगी।
घूसखोरी – सरकारी कर्मचारी अब नामांतरण की फाइल दबा नहीं पाएंगे।
फर्जीवाड़ा – एक ही जमीन पर फर्जी Mutation के केस कम होंगे।
कोर्ट केस – संपत्ति विवादों में कमी आएगी।
सरकार को क्या फायदा होगा?
एमपी सरकार को इससे राजस्व नुकसान नहीं होगा बल्कि नामांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता आने से रिकॉर्ड अपडेट रहेंगे और टैक्स वसूली बेहतर होगी।
साथ ही पुराने रिकॉर्ड में गड़बड़ी की शिकायतें भी कम होंगी।
क्या है लोगों की राय?
लोगों का कहना है कि यह कदम जमीन और मकान खरीदने वालों के लिए राहत लेकर आएगा।
भोपाल के एक प्रॉपर्टी डीलर ने बताया कि Mutation के लिए कई बार खरीदार को 5-10 हजार रुपये अलग से दलालों को देने पड़ते थे। अब यह झंझट खत्म होगा।
क्या दूसरे राज्यों में भी लागू होगा?
एमपी सरकार के इस मॉडल को देख कर कई अन्य राज्य भी इसे अपनाने की तैयारी में हैं।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में भी इसी तरह का डिजिटल म्यूटेशन सिस्टम लागू करने पर विचार चल रहा है।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में मकान-जमीन रजिस्ट्री को तत्काल टिकट जैसी स्पीड देना वाकई एक बड़ा बदलाव है। अब न तो फाइलों के धक्के खाने की जरूरत और न ही किसी दलाल के चक्कर में फंसने की। डिजिटल सिस्टम से रजिस्ट्री और नामांतरण एक साथ होंगे तो पारदर्शिता बढ़ेगी और समय की बचत भी होगी।
अगर आप भी एमपी में मकान या जमीन खरीदने की सोच रहे हैं तो निश्चिंत रहें – अब रजिस्ट्री के साथ नामांतरण तुरंत होगा और कोई झंझट नहीं रहेगा।