किराए के मकान से जुड़ा विवाद आज हर शहर में एक बड़ी समस्या है। कई बार मकान मालिक को किराएदार से घर खाली कराना मुश्किल हो जाता है। कई किराएदार सालों-साल मकान छोड़ने का नाम नहीं लेते और कब्जा कर लेते हैं। लेकिन अब मकान मालिकों के लिए एक अच्छी खबर है। हाल ही में हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाकर मकान मालिकों को राहत दी है। इस आदेश के बाद अब कोई भी किराएदार आसानी से मकान पर कब्जा नहीं कर सकेगा।
क्या कहता है हाईकोर्ट का नया आदेश?
देश की विभिन्न अदालतों में हर साल हजारों केस किराएदार और मकान मालिक के बीच कब्जा विवाद को लेकर दर्ज होते हैं। मकान मालिक बार-बार नोटिस देने के बाद भी किराएदार मकान खाली नहीं करते। ऐसे में हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि मकान मालिक को उसके घर से बेदखल नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किराया एग्रीमेंट खत्म हो गया है या मकान मालिक ने किराएदार को नोटिस देकर घर खाली करने को कहा है, तो किराएदार को तुरंत प्रॉपर्टी खाली करनी होगी। कब्जा बनाए रखना अब गैरकानूनी माना जाएगा।
क्यों जरूरी था यह आदेश?
कई किराएदार पुरानी पॉलिसी का फायदा उठाकर मकान मालिक को सालों परेशान करते थे। मकान मालिक की संपत्ति पर गैरकानूनी कब्जा कर लेते थे। कई बार ऐसे मामले कोर्ट-कचहरी में सालों तक चलते रहते थे। इससे मकान मालिक को आर्थिक और मानसिक नुकसान होता था।
अब हाईकोर्ट के नए आदेश से मकान मालिक को बड़ा सहारा मिलेगा। किराएदार को अब तय समय के बाद मकान खाली करना ही पड़ेगा, वरना उसके खिलाफ बेदखली की कार्रवाई तुरंत हो सकती है।
किराया एग्रीमेंट का क्या रोल है?
किराए पर मकान देते वक्त मकान मालिक और किराएदार के बीच जो सबसे जरूरी चीज है, वो है Rent Agreement। इसमें साफ लिखा होना चाहिए कि किराया कितने समय के लिए तय है और कब तक किराएदार को मकान खाली करना होगा।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी किराएदार मकान नहीं खाली करता तो उसे कब्जेदार माना जाएगा और मकान मालिक को बेदखली का पूरा हक होगा।
मकान मालिक क्या कर सकते हैं?
मकान मालिक को चाहिए कि वो किराएदार से रेंट एग्रीमेंट बनाते समय ही बेदखली की शर्तें साफ रखें।
एग्रीमेंट की कॉपी रजिस्टर्ड कराएं ताकि कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सके।
अगर किराएदार तय समय के बाद खाली नहीं करता तो तुरंत लीगल नोटिस दें।
जरूरत पड़े तो कोर्ट में बेदखली केस दाखिल करें। कोर्ट अब तेजी से ऐसे मामलों में फैसला करेगा।
किराएदार को क्या करना चाहिए?
किराएदारों को भी अब समझना होगा कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद गैरकानूनी कब्जा भारी पड़ सकता है। किराया एग्रीमेंट खत्म होने के बाद मकान मालिक से बात करें और मकान खाली कर दें या नया एग्रीमेंट करें।
अगर किराएदार समय पर मकान खाली नहीं करता तो उसे जबरन निकाला जा सकता है। ऐसे में अनावश्यक विवाद से बचना बेहतर है।
क्या कहता है रेंट कंट्रोल एक्ट?
भारत के कई राज्यों में Rent Control Act लागू है। यह एक्ट किराएदार को मनमानी बेदखली से बचाता है, लेकिन मकान मालिक के हितों को भी सुरक्षित करता है।
अगर किराएदार समय पर किराया नहीं देता, प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल करता है या एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी मकान खाली नहीं करता तो मकान मालिक Rent Controller के पास जाकर बेदखली का केस दर्ज करा सकता है।
गैरकानूनी कब्जा है अपराध
हाईकोर्ट ने साफ कहा कि बिना हक के किसी की प्रॉपर्टी पर कब्जा करना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में पुलिस कार्रवाई भी संभव है। अगर किराएदार खाली करने से मना करता है तो मकान मालिक FIR भी दर्ज करा सकता है।
मकान मालिकों के लिए जरूरी सुझाव
हमेशा रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड कराएं।
एग्रीमेंट में किराया बढ़ोतरी और बेदखली की शर्तें साफ लिखें।
किराया समय पर लेते रहें और उसकी रसीद जरूर दें।
किराया न मिलने पर तुरंत लीगल नोटिस दें।
कब्जा विवाद लंबा न खींचे, कोर्ट में केस दाखिल करें।
निष्कर्ष
हाईकोर्ट का यह फैसला मकान मालिकों के लिए बड़ी राहत है। अब कोई भी किराएदार आपकी प्रॉपर्टी पर कब्जा जमाकर नहीं बैठ सकता। अगर आपका एग्रीमेंट खत्म हो गया है तो आप लीगल तरीके से कब्जा छुड़ा सकते हैं। इसके लिए बस आपको Rent Agreement मजबूत रखना होगा और सही वक्त पर कानूनी कदम उठाना होगा। मकान मालिक और किराएदार दोनों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों की जानकारी रखना जरूरी है ताकि किसी भी तरह का विवाद लंबा न खिंचे।