लोन लेने वाले की मौत के बाद कौन चुकाएगा EMI, जानिए बैंक कैसे करता है रिकवरी

भारत में करोड़ों लोग होम लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन या कार लोन जैसी सेवाएं बैंकों से लेते हैं। लेकिन एक बड़ा सवाल तब उठता है जब लोन लेने वाले की अचानक मृत्यु हो जाती है। ऐसे में EMI (Equated Monthly Installment) की जिम्मेदारी किसकी होगी? क्या बैंक लोन माफ कर देता है? या फिर कानूनी कार्रवाई करता है? आइए विस्तार से जानते हैं कि बैंक इस स्थिति में क्या करता है और परिवार या गारंटर पर क्या असर पड़ता है।

लोन लेने वाले की मृत्यु के बाद EMI की जिम्मेदारी किसकी?

जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेता है, तो वह एक कानूनी समझौता करता है जिसमें EMI चुकाना उसकी जिम्मेदारी होती है। अगर लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाती है, तो उस लोन की जिम्मेदारी निम्नलिखित पर आ सकती है:

1. को-बॉरोअर (Co-Borrower)

अगर लोन दो या उससे अधिक लोगों के नाम पर है, तो को-बॉरोअर की जिम्मेदारी बनती है कि वह EMI का भुगतान जारी रखे। बैंक को-बॉरोअर से रिकवरी की पूरी कोशिश करता है।

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2. गारंटर (Guarantor)

अगर लोन लेते वक्त किसी तीसरे व्यक्ति ने गारंटी दी थी, तो उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह EMI चुकाए। बैंक गारंटर से कानूनी रूप से लोन की वसूली कर सकता है।

3. नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heirs)

हालांकि नॉमिनी पर सीधे EMI चुकाने की कानूनी बाध्यता नहीं होती, लेकिन अगर मृतक की संपत्ति नॉमिनी को मिलती है, तो बैंक उस संपत्ति से लोन की वसूली कर सकता है।

क्या बैंक लोन माफ कर देता है?

अधिकांश मामलों में बैंक लोन माफ नहीं करता। यदि कोई बीमा योजना (Loan Insurance) ली गई हो और वह मृत्यु को कवर करती हो, तभी लोन माफ किया जा सकता है। अन्यथा, बैंक को अपना पैसा वापस चाहिए और इसके लिए वह कानूनी रास्ता अपना सकता है।

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बैंक EMI वसूलने के लिए क्या करता है?

1. को-बॉरोअर या गारंटर से संपर्क

बैंक सबसे पहले को-बॉरोअर या गारंटर से संपर्क कर वसूली की प्रक्रिया शुरू करता है।

2. लीगल नोटिस जारी करना

अगर को-बॉरोअर या गारंटर EMI नहीं चुकाता, तो बैंक उन्हें लीगल नोटिस भेजता है।

3. संपत्ति जब्ती (Asset Attachment)

अगर लोन सिक्योर्ड (secured loan) था, जैसे होम लोन या कार लोन, तो बैंक उस संपत्ति को जब्त कर सकता है और नीलामी कर वसूली कर सकता है।

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4. उत्तराधिकारियों से दावा

अगर मृतक की संपत्ति उत्तराधिकारियों को जाती है, तो बैंक उस पर कानूनी दावा ठोक सकता है।

क्या लोन इंश्योरेंस है इसका समाधान?

हां, लोन इंश्योरेंस एक अच्छा विकल्प है। यदि लोन लेते समय व्यक्ति ने क्रेडिट लाइफ इंश्योरेंस या टर्म इंश्योरेंस लिया हो, तो मृत्यु की स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी लोन का बकाया चुकाती है।

फायदे:

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • लोन लेते समय इंश्योरेंस जरूर लें, खासकर अगर आप होम लोन या पर्सनल लोन ले रहे हैं।

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  • अगर आप को-बॉरोअर या गारंटर बन रहे हैं, तो लोन के सभी नियम अच्छी तरह पढ़ लें।

  • मृतक की संपत्ति का उत्तराधिकार लेने से पहले जांच लें कि उस पर कोई बकाया लोन तो नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट का नजरिया

भारतीय न्यायालयों के अनुसार, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके कानूनी वारिस उस व्यक्ति की संपत्ति के उत्तराधिकारी बनते हैं, लेकिन साथ ही वह उसकी देनदारियों (liabilities) के भी उत्तराधिकारी हो सकते हैं — बशर्ते वे संपत्ति का लाभ ले रहे हों। यानी अगर कोई वारिस मृतक की संपत्ति लेता है, तो उस संपत्ति से संबंधित कर्ज भी चुकाना पड़ सकता है।

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निष्कर्ष

लोन लेने वाले की मृत्यु के बाद EMI की जिम्मेदारी पूरी तरह से समाप्त नहीं होती। को-बॉरोअर, गारंटर और कभी-कभी कानूनी वारिसों को बैंक द्वारा जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। ऐसे में लोन लेते वक्त लोन इंश्योरेंस लेना समझदारी भरा कदम होता है। इसके अलावा परिवार को भी मृतक के सभी वित्तीय दस्तावेजों और लोन की जानकारी रखनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी से बचा जा सके।

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