अगर आप कभी रेलवे स्टेशन पर गए हैं, तो आपने ज़रूर प्लेटफॉर्म के किनारे बनी पीली रंग की पट्टी देखी होगी। यह पीली पट्टी हर प्लेटफॉर्म पर होती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका असली मतलब क्या है? अधिकांश लोग इसे केवल एक डिज़ाइन या रंगाई-पुताई समझते हैं, लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज़्यादा गहरी और ज़रूरी है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि रेलवे प्लेटफॉर्म की पीली पट्टी क्यों बनाई जाती है, इसका क्या उपयोग है, और यात्री होने के नाते आपको इससे क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
क्या है रेलवे प्लेटफॉर्म की पीली पट्टी?
रेलवे प्लेटफॉर्म पर जो पीली पट्टी बनी होती है, वह आमतौर पर प्लेटफॉर्म के किनारे से थोड़ी अंदर की तरफ खिंची गई एक लंबी रेखा होती है। यह पट्टी स्टेशन के एक छोर से दूसरे छोर तक लगातार रहती है और यह कोई सजावट नहीं, बल्कि एक चेतावनी संकेत (Warning Line) होती है।
असली मतलब क्या है इस पीली पट्टी का?
पीली पट्टी यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक संकेत रेखा है। इसका सीधा सा मतलब होता है – “इस रेखा से आगे न बढ़ें!” जब कोई ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है या जाती है, तो उसके हवा के दबाव और गति से लोगों को गिरने का खतरा होता है। इसलिए रेलवे विभाग ने यह नियम बनाया है कि:
पीली पट्टी के पार खड़ा होना खतरनाक और प्रतिबंधित है।
यह पट्टी यात्रियों को यह दर्शाती है कि वे कितनी दूरी पर सुरक्षित खड़े हो सकते हैं। यानी, यह एक सुरक्षा सीमा (safety boundary) होती है, जिससे आगे जाना आपकी जान के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
क्यों जरूरी है पीली पट्टी का पालन करना?
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तेज़ रफ्तार से गुजरती ट्रेनों का प्रेशर:
जब कोई एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेन प्लेटफॉर्म पर बिना रुके गुजरती है, तो उसके साथ एक तेज़ हवा का दबाव (air suction) बनता है, जो नजदीक खड़े लोगों को खींच सकता है। पीली पट्टी से दूरी बनाए रखना इस खतरे से बचाता है। -
बचाव के लिए पर्याप्त स्पेस:
पट्टी के पीछे खड़े होने से यात्री ट्रेन की गति, सिग्नल और प्लेटफॉर्म पर होने वाली गतिविधियों को सुरक्षित दूरी से देख सकते हैं। -
बच्चों और बुजुर्गों के लिए जरूरी चेतावनी:
अक्सर बच्चे या बुजुर्ग यात्री प्लेटफॉर्म के बहुत करीब खड़े हो जाते हैं। पीली पट्टी उन्हें एक विजुअल रिमाइंडर देती है कि कहां तक सुरक्षित है।
क्या कहते हैं रेलवे के नियम?
भारतीय रेलवे के मुताबिक, सभी प्लेटफॉर्म पर पीली चेतावनी रेखा का होना अनिवार्य है। ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर आते समय और रुकते समय:
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यात्रियों को पट्टी से पीछे रहने का निर्देश दिया जाता है।
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स्टेशन अनाउंसमेंट में भी “पीली पट्टी के पीछे खड़े रहें” जैसी चेतावनी दी जाती है।
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अगर कोई यात्री जानबूझकर इस सीमा का उल्लंघन करता है, तो रेलवे अधिनियम की धारा 147 या 145 के तहत उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
जानिए कैसे बचाता है यह एक पीली लाइन आपकी जान
अक्सर भीड़भाड़ वाले प्लेटफॉर्मों पर लोग ट्रेन के नजदीक जाने की जल्दी में पीली पट्टी को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यह लापरवाही हादसे की सबसे बड़ी वजह बनती है। रेलवे की रिपोर्टों के अनुसार, हर साल कई हादसे सिर्फ इस चेतावनी रेखा की अनदेखी के कारण होते हैं।
इसलिए:
ट्रेन का इंतजार करते समय हमेशा पीली पट्टी के पीछे खड़े रहें।
बच्चों को पट्टी पार न करने दें।
फोटो या वीडियो लेने के चक्कर में पट्टी पार करना जानलेवा हो सकता है।
क्या सभी रेलवे प्लेटफॉर्म पर यह पट्टी होती है?
जी हां, आज के समय में भारतीय रेलवे लगभग सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर पीली पट्टी को अनिवार्य कर चुका है।
हालांकि छोटे ग्रामीण स्टेशनों पर कहीं-कहीं ये faded या टेलीग्राफ पोल के रूप में बनी हो सकती है, लेकिन रेलवे इस दिशा में लगातार सुधार कर रहा है।
जानिए यात्रियों की बड़ी गलती – जिसे नहीं करना चाहिए
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ट्रेन के आने से पहले पट्टी के पास खड़े होकर वीडियो बनाना
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बच्चों को ट्रेन के बिल्कुल पास ले जाना
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चलते ट्रेन से उतरने या चढ़ने की कोशिश
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सेल्फी लेने के लिए प्लेटफॉर्म किनारे जाना
इन सब चीज़ों को सख्ती से टालना चाहिए, क्योंकि यह जानलेवा साबित हो सकती हैं।
निष्कर्ष: एक पट्टी जो आपकी जान बचाती है
रेलवे प्लेटफॉर्म की पीली पट्टी कोई साधारण रंग नहीं, बल्कि एक जिंदगी बचाने वाला संकेत है। यह हर यात्री को यह बताने के लिए है कि सुरक्षा की सीमा क्या है।
इसलिए अगली बार जब आप रेलवे स्टेशन पर हों, तो इस पट्टी को केवल रंगीन रेखा न समझें, बल्कि उसे सुरक्षा की रेखा मानें।