अगर आप भी घर या प्रॉपर्टी पत्नी के नाम पर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। हाल ही में उच्च न्यायालय (High Court) ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने लाखों लोगों को चौकन्ना कर दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति पर पति का कोई दावा नहीं रहेगा, अगर वह वैध दस्तावेज़ों में खुद को मालिक साबित नहीं कर सकता।
क्या कहा गया कोर्ट के फैसले में?
इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है और रजिस्ट्री में केवल पत्नी का नाम है, तो उस संपत्ति पर कानूनी रूप से केवल पत्नी का अधिकार होगा। भले ही पैसा पति ने दिया हो, लेकिन जब तक वह यह साबित नहीं करता कि वह सह-मालिक है या संपत्ति “बेनामी” नहीं है, तब तक उसका कोई हक नहीं माना जाएगा।
क्यों मच गया हड़कंप?
भारत में लाखों परिवार ऐसे हैं जहां लोग टैक्स बचाने या सामाजिक कारणों से पत्नी के नाम पर जमीन, फ्लैट या घर खरीदते हैं। इस कोर्ट के फैसले के बाद अब सवाल यह उठता है कि अगर भविष्य में पति-पत्नी के बीच विवाद हो या तलाक की नौबत आए, तो वह संपत्ति किसके अधिकार में रहेगी?
अब कोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं, उनके अनुसार:
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अगर संपत्ति सिर्फ पत्नी के नाम रजिस्टर्ड है,
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और उसमें पति का नाम कहीं नहीं है,
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तो वह संपत्ति पूरी तरह पत्नी की मानी जाएगी।
क्या है बेनामी संपत्ति कानून?
बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम, 1988 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य के नाम से संपत्ति खरीदता है लेकिन असली मालिक खुद होता है, तो उसे बेनामी संपत्ति माना जाता है। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि ऐसी संपत्ति को जब्त किया जा सकता है और इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
इस फैसले के साथ कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर पति यह साबित नहीं कर पाता कि संपत्ति में उसका योगदान था या उसने सह-स्वामित्व के लिए जरूरी दस्तावेज बनाए हैं, तो उसे संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं मिलेगा।
क्या करें ऐसी स्थिति से बचने के लिए?
अगर आप पत्नी के नाम पर घर या प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो निम्नलिखित बातों का जरूर ध्यान रखें:
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दोनों का नाम रजिस्ट्री में शामिल करें – यदि आप पति-पत्नी दोनों इस संपत्ति में बराबर के मालिक हैं, तो दस्तावेज़ में दोनों के नाम होना जरूरी है।
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सह-स्वामित्व का प्रमाण रखें – बैंक लोन, पेमेंट रसीद या कोई भी दस्तावेज जो यह साबित कर सके कि भुगतान आपने किया है।
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अग्रिम समझौता (MoU) – एक साधारण समझौता बनाएं जिसमें यह उल्लेख हो कि संपत्ति में दोनों का कितना हिस्सा है।
टैक्स और कानूनी प्रभाव
अक्सर लोग टैक्स में छूट पाने के लिए पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं। लेकिन अब यह तरीका कानूनी रूप से जोखिम भरा हो सकता है। अगर आप इस तरह की योजना बना रहे हैं, तो किसी अनुभवी वकील या टैक्स सलाहकार से सलाह जरूर लें।
क्या महिलाओं के लिए यह राहत की खबर है?
जी हां। यह फैसला महिलाओं के लिए सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि अगर पत्नी के नाम पर कोई संपत्ति रजिस्टर्ड है, तो उसका कानूनी अधिकार सुरक्षित रहेगा, चाहे हालात कैसे भी हों।
निष्कर्ष
पत्नी के नाम पर घर खरीदना एक आम चलन है, लेकिन अब इसे हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। कोर्ट के ताजा फैसले ने साफ कर दिया है कि जिसके नाम पर संपत्ति होगी, उसी का उस पर अधिकार होगा। ऐसे में भविष्य में किसी भी तरह के कानूनी विवाद से बचने के लिए संपत्ति खरीदने से पहले सभी दस्तावेज़ों को सही तरीके से तैयार करें और पारदर्शिता रखें।