आज के दौर में अपना खुद का घर होना हर व्यक्ति का सपना होता है। इस सपने को पूरा करने के लिए ज्यादातर लोग बैंक या वित्तीय संस्थानों से होम लोन लेते हैं। लेकिन सिर्फ ब्याज दर (Interest Rate) को देखकर होम लोन लेना समझदारी नहीं होती, क्योंकि इसके साथ कई छिपे चार्जेस भी होते हैं जो आपकी जेब पर भारी पड़ सकते हैं। अगर आपने पहले से जानकारी नहीं ली तो आपकी EMI के साथ-साथ कुल लोन राशि भी काफी बढ़ सकती है।
इस लेख में हम जानेंगे होम लोन से जुड़े 6 ऐसे बड़े चार्जेस जिनके बारे में आपको पहले से पता होना चाहिए।
1. प्रोसेसिंग फीस (Processing Fee)
प्रोसेसिंग फीस वह राशि होती है जो बैंक आपके होम लोन एप्लिकेशन को प्रोसेस करने के लिए लेता है। यह आमतौर पर लोन राशि का 0.25% से 1% तक हो सकता है। हालांकि कई बार बैंक इस पर छूट भी देते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह चार्ज लिया जाता है।
उदाहरण: अगर आपने ₹50 लाख का लोन लिया और बैंक प्रोसेसिंग फीस 0.5% लेता है, तो आपको ₹25,000 सिर्फ प्रोसेसिंग फीस के रूप में देना होगा।
2. लॉन अप्रूवल से पहले वैल्यूएशन चार्ज (Valuation & Legal Fees)
बैंक आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू और लीगल स्थिति जांचने के लिए वकील और वैल्यूएशन एक्सपर्ट भेजता है। इसके लिए जो शुल्क लिया जाता है उसे वैल्यूएशन और लीगल फीस कहते हैं। यह शुल्क आमतौर पर ₹3,000 से ₹10,000 के बीच होता है।
यह खर्च लोन राशि में शामिल नहीं होता, यानी आपको यह अतिरिक्त रूप से भुगतान करना होता है।
3. टेक्निकल इंस्पेक्शन चार्ज (Technical Inspection Fee)
कुछ बैंक प्रॉपर्टी की टेक्निकल स्थिति को भी जांचते हैं। खासकर निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स में यह आवश्यक होता है। इसके लिए बैंक एक टेक्निकल टीम भेजता है और इसके लिए चार्ज करता है।
यह चार्ज भी लगभग ₹2,000 से ₹7,000 तक हो सकता है।
4. MOD चार्ज (Memorandum of Deposit of Title Deed)
कई राज्यों में MOD चार्ज एक कानूनी आवश्यकता है, जिसके तहत लोन देने वाली संस्था को यह जानकारी जमा कराई जाती है कि संपत्ति गिरवी रखी गई है। यह चार्ज राज्य सरकारों के अनुसार अलग-अलग होता है, और लोन राशि का 0.1% से 0.3% तक हो सकता है।
नोट: यह चार्ज कई बार होम लोन लेने वाले लोगों को पहले से नहीं बताया जाता, जिससे बाद में परेशानी होती है।
5. EMI बाउंस चार्ज या लेट पेमेंट चार्ज
अगर आपने किसी महीने की EMI समय पर नहीं चुकाई तो बैंक आपसे लेट पेमेंट चार्ज वसूल सकता है। यह चार्ज ₹300 से ₹1,000 तक या EMI राशि का 2% तक भी हो सकता है।
बार-बार EMI लेट होने पर आपका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित होता है, जिससे भविष्य में लोन मिलना मुश्किल हो सकता है।
6. Foreclosure या Prepayment चार्ज
अगर आप लोन की पूरी राशि या कुछ हिस्सा पहले चुकाना चाहते हैं तो उस पर भी चार्ज लग सकता है। हालांकि, RBI के निर्देशों के अनुसार फ्लोटिंग रेट होम लोन पर प्रीपेमेंट चार्ज नहीं लिया जाना चाहिए, लेकिन कुछ मामलों में (जैसे फिक्स्ड रेट लोन या NBFCs) यह चार्ज 1% से 2% तक हो सकता है।
योजना के अनुसार यह चार्ज लाखों रुपये तक पहुंच सकता है अगर आपने बड़ी रकम समय से पहले चुकाई।
होम लोन लेते समय किन बातों का रखें ध्यान?
-
चार्जेस की पूरी लिस्ट मांगें: किसी भी बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से होम लोन लेने से पहले सभी चार्जेस की डिटेल लिखित में लें।
-
कम ब्याज दर के चक्कर में न पड़ें: सिर्फ ब्याज दर देखना सही नहीं है। अगर दूसरे चार्ज बहुत ज्यादा हैं तो सस्ता ब्याज भी महंगा साबित हो सकता है।
-
ऑफर की तुलना करें: अलग-अलग बैंकों और HFCs के ऑफर की तुलना करें और EMI कैलकुलेटर की मदद से कुल राशि का आकलन करें।
-
टैक्स लाभ का इस्तेमाल करें: होम लोन पर सेक्शन 80C और सेक्शन 24 के तहत टैक्स छूट भी मिलती है, जिसका उपयोग करें।
निष्कर्ष
होम लोन सिर्फ एक फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन नहीं, बल्कि एक लंबी अवधि की जिम्मेदारी होती है। इसलिए, इसके साथ जुड़े सभी खर्चों की पूरी जानकारी लेना जरूरी है। ऊपर बताए गए 6 चार्जेस को नजरअंदाज करने पर आपकी EMI बोझिल हो सकती है और लोन सस्ता नहीं, महंगा पड़ सकता है।
इसलिए, होम लोन लेने से पहले जागरूक बनें, हर शुल्क के बारे में पूछें और समझदारी से निर्णय लें।