अगर आप भी टैक्स बचाने के लिए प्रॉपर्टी पत्नी के नाम पर खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो संभल जाइए! हाल ही में हाईकोर्ट ने इस पर एक बड़ा और कड़ा फैसला सुनाया है। यह फैसला उन लोगों के लिए झटका है जो बेनामी तरीके से अपनी ब्लैक मनी को पत्नी के नाम पर ज़मीन या फ्लैट में लगाकर टैक्स से बचने की कोशिश करते हैं।
क्यों खरीदते हैं लोग पत्नी के नाम प्रॉपर्टी?
भारत में टैक्स बचाने के लिए लोग अक्सर पत्नी, बच्चों या रिश्तेदारों के नाम प्रॉपर्टी रजिस्टर करवा देते हैं। इसे बेनामी संपत्ति कहा जाता है। ऐसा करने से लोग सोचते हैं कि वो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजरों से बच जाएंगे। लेकिन अब कोर्ट के इस फैसले के बाद ऐसा करना भारी पड़ सकता है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने हाल ही में एक केस की सुनवाई करते हुए साफ कहा कि अगर पति पत्नी के नाम प्रॉपर्टी खरीदता है और उस संपत्ति के लिए असली पैसा पति ने ही दिया है, तो यह बेनामी संपत्ति के दायरे में आता है। ऐसी प्रॉपर्टी को सरकार जब्त भी कर सकती है और जुर्माना या जेल तक की नौबत आ सकती है।
बेनामी संपत्ति क्या होती है?
बेनामी संपत्ति का मतलब है – ऐसी संपत्ति जिसे किसी और के नाम पर खरीदा गया हो लेकिन असली मालिक कोई और हो। जैसे – आपने पैसे दिए लेकिन प्रॉपर्टी पत्नी के नाम रजिस्टर्ड करवा दी। बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन (Prohibition) एक्ट 1988 के मुताबिक यह गैरकानूनी है।
बेनामी संपत्ति कानून क्या कहता है?
2016 में सरकार ने बेनामी संपत्ति कानून को और सख्त बनाया। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति बेनामी संपत्ति के लिए दोषी पाया जाता है तो उसकी प्रॉपर्टी जब्त हो सकती है और दोषी को 7 साल तक की जेल और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
पति-पत्नी के नाम प्रॉपर्टी ट्रांसफर में कब दिक्कत आती है?
अगर आप वाकई अपनी पत्नी को गिफ्ट के तौर पर प्रॉपर्टी देते हैं और उसके पैसे का सही हिसाब आपकी इनकम टैक्स फाइलिंग में दिखता है तो कोई दिक्कत नहीं। लेकिन अगर आप काली कमाई छुपाकर या टैक्स चोरी के लिए पत्नी के नाम से प्लॉट या फ्लैट लेते हैं और उसका सोर्स नहीं दिखाते तो यह सीधे बेनामी संपत्ति माना जाएगा।
कोर्ट के फैसले का असर क्या होगा?
हाईकोर्ट के इस फैसले से उन हजारों लोगों को बड़ा झटका लगेगा जो अब तक बेखौफ होकर पत्नी के नाम पर ज़मीन-जायदाद खरीद रहे थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर यह साबित हो जाए कि संपत्ति के पैसे पति ने दिए हैं तो उस प्रॉपर्टी को सरकार जब्त कर सकती है।
क्या गिफ्ट डीड से बच सकते हैं?
कई लोग पत्नी को गिफ्ट डीड के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर देते हैं। लेकिन गिफ्ट डीड भी तभी वैध मानी जाएगी जब आपके पास पैसे का सही सोर्स हो और इनकम टैक्स रिटर्न में उसकी एंट्री हो। वरना जांच के दौरान यह भी बेनामी माना जाएगा।
बेनामी संपत्ति में कौन-कौन फंस सकता है?
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जिसने प्रॉपर्टी खरीदी है
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जिसके नाम प्रॉपर्टी खरीदी गई है (अगर उसे जानकारी है कि बेनामी है)
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बिचौलिया या एजेंट जिसने डील करवाई है
सभी पर कार्रवाई संभव है।
टैक्स से बचने के कानूनी तरीके क्या हैं?
अगर आप टैक्स सेविंग करना चाहते हैं तो इसके लिए लीगल तरीके अपनाएं जैसे:
हाउसिंग लोन की ब्याज पर टैक्स छूट
सेक्शन 80C के तहत इन्वेस्टमेंट
ज्वाइंट प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन (अगर दोनों की इनकम है)
गिफ्ट में ट्रांसफर – सही डिक्लेरेशन के साथ
कैसे बचें बेनामी कानून से?
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प्रॉपर्टी में पेमेंट का सोर्स साफ रखें
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पेमेंट बैंक से करें, कैश न दें
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पत्नी को अगर आप वाकई संपत्ति देना चाहते हैं तो सही डॉक्यूमेंट तैयार कराएं
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गिफ्ट डीड या विल रजिस्टर्ड कराएं
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इनकम टैक्स रिटर्न में सब दिखाएं
अगर बेनामी प्रॉपर्टी पकड़ी गई तो क्या होगा?
अगर आयकर विभाग या बेनामी ट्रांजेक्शन यूनिट को शक होता है तो वो प्रॉपर्टी को अटैच कर सकते हैं। उसके बाद यह साबित करना पड़ेगा कि यह बेनामी नहीं है। अगर आप साबित नहीं कर पाए तो प्रॉपर्टी जब्त होगी और आपको जुर्माना और जेल भी हो सकती है।
निष्कर्ष
कोर्ट के इस सख्त फैसले के बाद पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदकर टैक्स चोरी करने वालों को अलर्ट हो जाना चाहिए। टैक्स से बचने के लिए गैरकानूनी रास्तों से दूर रहें। सही डॉक्यूमेंटेशन और सही सोर्स दिखाकर ही प्रॉपर्टी खरीदें। वरना छोटी सी गलती भी जेल की वजह बन सकती है।