उत्तर प्रदेश में अब किसानों के लिए खुशखबरी है। राज्य सरकार ने मोटे अनाज (Millets) की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई नई योजनाएं लागू कर दी हैं। इसका सीधा फायदा राज्य के लाखों किसानों को मिलेगा। सरकार की इस पहल से न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनका स्वास्थ्य और ज़मीन की उपजाऊ क्षमता भी बेहतर होगी।
मोटे अनाज क्या हैं और क्यों हैं जरूरी?
सबसे पहले जान लेते हैं कि मोटे अनाज क्या होते हैं। बाजरा, ज्वार, कोदो, मडुआ, सांवा, कांगनी जैसे अनाज मोटे अनाज की श्रेणी में आते हैं। ये अनाज कम पानी में भी आसानी से उग जाते हैं और पोषण में भी बेहद समृद्ध होते हैं।
पिछले कुछ सालों में देशभर में मोटे अनाज की डिमांड तेजी से बढ़ी है। मोटे अनाज को ‘सुपरफूड’ माना जाने लगा है क्योंकि इनमें फाइबर, प्रोटीन और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकारें अब मोटे अनाज की खेती को नई ऊंचाई पर ले जाने में जुटी हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की नई योजना क्या कहती है?
यूपी सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि राज्य के किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए सब्सिडी, बीज वितरण और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। इस योजना का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा किसान पारंपरिक खेती से हटकर मोटे अनाज की तरफ बढ़ें।
राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में अभी लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि पर मोटे अनाज की खेती होती है, जिसे अगले 2 साल में दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
किसानों को कैसे होगा फायदा?
मोटे अनाज की खेती किसानों के लिए फायदेमंद इसलिए भी है क्योंकि:
यह कम पानी में भी अच्छी उपज देती है।
खेती की लागत अन्य फसलों के मुकाबले कम है।
बाजार में मोटे अनाज की कीमत अच्छी मिल रही है।
सरकार की तरफ से MSP (Minimum Support Price) तय किया गया है।
एक्सपोर्ट के लिए भी मोटे अनाज की डिमांड बढ़ रही है।
कुल मिलाकर किसान मोटे अनाज की खेती कर अपनी कमाई को बेहतर बना सकते हैं।
खेती के लिए सरकार की मदद
सरकार ने किसानों को तकनीकी सहायता देने के लिए कृषि विभाग में एक विशेष सेल तैयार किया है। इसके तहत किसानों को निम्नलिखित सुविधाएं दी जाएंगी:
गुणवत्तापूर्ण बीज मुफ्त या रियायती दरों पर उपलब्ध कराना।
कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से प्रशिक्षण देना।
जैविक खेती को बढ़ावा देना।
फसल कटाई के बाद प्रोसेसिंग की व्यवस्था करना।
बाजार तक फसल पहुंचाने में मदद करना।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही डिमांड
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और FAO जैसी संस्थाओं ने मोटे अनाज को बेहतर पोषण का स्रोत माना है। दुनिया के कई देशों में अब मोटे अनाज की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। भारत सरकार ने भी हाल ही में 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (International Year of Millets)’ घोषित कर दिया था।
बाजार की संभावनाएं
देशभर में मोटे अनाज की डिमांड बढ़ने के साथ ही प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री में भी इनका इस्तेमाल बढ़ा है। मोटे अनाज से अब बिस्किट, कुकीज, नूडल्स और हेल्दी स्नैक्स बनाए जा रहे हैं। बड़े शहरों में हेल्थ कॉन्शियस लोग इन्हें पसंद कर रहे हैं।
इसलिए अब मोटे अनाज के किसान सीधे प्रोसेसिंग यूनिट्स और बड़े FMCG ब्रांड्स को फसल बेच सकते हैं, जिससे उन्हें बेहतर दाम मिलते हैं।
कौन से जिले होंगे शामिल?
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड, पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी के कई जिलों को मोटे अनाज की खेती के लिए चिन्हित किया गया है। जिन इलाकों में सिंचाई की सुविधा कम है, वहां मोटे अनाज सबसे बेहतर विकल्प बन सकते हैं।
किसान क्या करें?
अगर आप यूपी में किसान हैं और मोटे अनाज की खेती करना चाहते हैं तो नजदीकी कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें। वहां से आपको बीज, तकनीकी जानकारी और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
खेती में नयापन और मुनाफा
मोटे अनाज की खेती से किसान न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपनी ज़मीन की उर्वरता भी बरकरार रख सकते हैं। इसके अलावा ये फसलें कीट और बीमारियों से भी कम प्रभावित होती हैं। इसलिए यह खेती सुरक्षित और टिकाऊ है।
निष्कर्ष
यूपी सरकार की इस पहल से साफ है कि अब राज्य में मोटे अनाज की खेती को नई पहचान मिलने वाली है। किसान अगर इस मौके का सही इस्तेमाल करें तो उन्हें अच्छी कमाई, सरकारी मदद और बेहतर बाजार सब कुछ मिलेगा।
अगर आप किसान हैं तो इस योजना का लाभ जरूर उठाएं और मोटे अनाज की खेती से अपनी आमदनी में इजाफा करें।