भारत में पारिवारिक संपत्ति विवाद कोई नई बात नहीं है। लेकिन जब बात गोद लिए गए बच्चे की आती है तो लोग अक्सर उलझन में पड़ जाते हैं कि क्या गोद लिए बेटे या बेटी को भी पैतृक संपत्ति में उतना ही हक मिलेगा जितना सगे बच्चों को मिलता है? हाल ही में हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर बड़ा फैसला सुनाया है जिससे लाखों परिवारों की उलझन खत्म हो सकती है। आइए जानते हैं गोद लिए बच्चे के अधिकार, कानून क्या कहता है, और कोर्ट के फैसले से क्या बदलेगा।
गोद लेना क्या है और इसका कानूनी मतलब
भारत में गोद लेना यानी किसी बच्चे को विधिवत तौर पर अपनी संतान के रूप में स्वीकार करना। इसके लिए हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 सबसे बड़ा कानून है। इसके तहत कोई भी हिंदू माता-पिता अगर बच्चे को गोद लेते हैं तो वह उसी पल से उसी अधिकार के साथ उनका संतान माना जाता है, जैसे जैविक बच्चा होता है।
गोद लेने के बाद बच्चा जैविक बच्चों के बराबर वारिस बन जाता है।
उसे परिवार का नाम, पहचान और संपत्ति में अधिकार मिल जाता है।
माता-पिता को उसे अपनी संतान की तरह ही पालन-पोषण करना होता है।
गोद लिए बच्चे का पैतृक संपत्ति में हक
कई लोगों को लगता है कि गोद लिया बच्चा सिर्फ उस संपत्ति में हकदार होगा जो माता-पिता ने खुद अर्जित की है। लेकिन सच यह है कि गोद लिए बच्चे को भी पैतृक संपत्ति में वही अधिकार मिलता है जो सगे बेटे या बेटी को मिलता है।
भारत के सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट कई बार यह साफ कर चुके हैं कि गोद लिया गया बेटा या बेटी, जैविक बच्चे के समान ही पैतृक संपत्ति का वारिस है।
कानूनी भाषा में: गोद लिए बच्चे को भी हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत को-पार्सनर माना जाता है। इसका मतलब उसे भी दादा-दादी की संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा।
हालिया हाईकोर्ट का फैसला क्या कहता है?
हाल ही में एक केस में हाईकोर्ट के सामने यह सवाल आया कि क्या गोद लिए बच्चे को दादा की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा?
मामले में परिवार के कुछ सदस्यों ने दावा किया कि गोद लिया बेटा सिर्फ गोद लेने वाले पिता की स्व अर्जित संपत्ति में हकदार है, पैतृक संपत्ति में नहीं। लेकिन हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि गोद लेने के बाद बेटा वही अधिकार पाता है जो जैविक बेटा पाता है।
कोर्ट ने कहा कि जैसे ही गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होती है, बच्चा गोद लेने वाले माता-पिता की वंशावली में शामिल हो जाता है।
इसके बाद उसे पैतृक संपत्ति में भी उतना ही अधिकार होगा जितना किसी सगे बेटे को मिलता।
कोई परिवार गोद लिए बच्चे को पैतृक संपत्ति से वंचित नहीं कर सकता।
गोद लेने के कानूनी दस्तावेज जरूरी
यहां एक जरूरी बात यह है कि गोद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी होनी चाहिए।
गोद लेने के लिए रजिस्टर्ड डॉक्युमेंट होना चाहिए।
कोर्ट या सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी जरूरी होती है।
माता-पिता और बच्चे के बीच गोद लेने का प्रमाण होना जरूरी है।
अगर गोद लेने के कागजात पूरे नहीं हैं तो भविष्य में संपत्ति विवाद में गोद लिए बच्चे का हक साबित करना मुश्किल हो सकता है।
क्या गोद लिया बच्चा अपनी जैविक संपत्ति में दावा कर सकता है?
एक और महत्वपूर्ण सवाल – क्या गोद लिया गया बच्चा अपने असली माता-पिता की संपत्ति में भी दावा कर सकता है?
जवाब है नहीं। गोद लेने के बाद बच्चा अपने जैविक माता-पिता से कानूनी रूप से अलग हो जाता है।
गोद लेने के बाद जैविक माता-पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रहता।
अब वह सिर्फ गोद लेने वाले माता-पिता की ही संतान माना जाएगा।
गोद लिए बच्चे का स्व अर्जित संपत्ति में हक
अगर कोई पिता गोद लिए बच्चे के अलावा अपनी संपत्ति को किसी और को देना चाहता है तो वो ऐसा कर सकता है। स्व अर्जित संपत्ति यानी जो माता-पिता ने खुद कमाई हो, उस पर उनका पूरा अधिकार होता है। वो इसे वसीयत से किसी को भी दे सकते हैं।
लेकिन अगर कोई वसीयत नहीं बनती है तो गोद लिए बच्चे को भी उतना ही हिस्सा मिलेगा जितना जैविक बच्चों को।
क्या गोद लिया बेटा बेदखल किया जा सकता है?
पैतृक संपत्ति से कोई भी पिता या परिवार गोद लिए बेटे को बेदखल नहीं कर सकता।
स्व अर्जित संपत्ति के मामले में वसीयत बनाकर माता-पिता चाहें तो किसी को बेदखल कर सकते हैं।
लेकिन अगर वसीयत नहीं बनी तो कानून के हिसाब से सभी बच्चों का बराबर हिस्सा होगा।
अगर गोद लेने पर विवाद हो जाए तो?
अगर परिवार में कोई सदस्य गोद लेने पर सवाल उठाता है तो गोद लिए बच्चे को ये काम करने चाहिए:
गोद लेने के दस्तावेज दिखाएं।
कोर्ट से कन्फर्मेशन सर्टिफिकेट पेश करें।
अगर विवाद बढ़ जाए तो सिविल कोर्ट में केस दाखिल करें।
निष्कर्ष
हाईकोर्ट का हालिया फैसला एक बार फिर साफ करता है कि गोद लिया बेटा या बेटी भी पिता की पैतृक संपत्ति में उतना ही हकदार है जितना सगा बेटा या बेटी।
इसलिए अगर कोई परिवार गोद लिए बच्चे को हक से वंचित करना चाहता है तो यह गैरकानूनी होगा।
ऐसे में अगर आप भी गोद लेने से जुड़े किसी विवाद में फंसे हैं तो सही दस्तावेज और लीगल सलाह लेकर अपना हक जरूर पाएं।