आजकल संपत्ति विवाद हर घर की कहानी बन चुकी है। खासकर गांव या संयुक्त परिवारों में चाचा-ताऊ द्वारा पूरी जमीन या मकान पर कब्जा कर लेना आम बात हो गई है। कई बार परिवार के छोटे सदस्य या बहन-बेटियां अपना हक मांगते हैं, तो उन्हें दबा दिया जाता है। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। अगर आपके चाचा-ताऊ ने प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया है और हिस्सा नहीं दे रहे, तो आप कानून के सहारे अपना पूरा हक ले सकते हैं।
इस लेख में हम बताएंगे कि कैसे आप अपना हक वापस पा सकते हैं, कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी होते हैं, कौन से कानूनी कदम उठाने चाहिए और किससे मदद लेनी चाहिए।
परिवार में संपत्ति विवाद क्यों होता है?
भारत में ज्यादातर लोग अपनी संपत्ति की सही रजिस्ट्री या बंटवारा नहीं करवाते। कई बार पुश्तैनी जमीन या मकान के कागज पुराने होते हैं। ऐसे में परिवार में कोई भी मजबूत या चालाक सदस्य — जैसे चाचा या ताऊ — पूरे घर या जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। वे बाकी वारिसों को हिस्सा देने से मना कर देते हैं।
कानून क्या कहता है?
भारतीय कानून के अनुसार, किसी भी पुश्तैनी संपत्ति में हर कानूनी वारिस को बराबर का हिस्सा मिलता है। अगर संपत्ति पिता या दादा से मिली है, तो सभी बच्चों, चाहे बेटा हो या बेटी, को समान हक मिलता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में साफ लिखा है कि संपत्ति को जबरदस्ती कब्जा नहीं किया जा सकता।
अगर चाचा-ताऊ हिस्सा नहीं दें तो क्या करें?
अगर आप भी इस स्थिति में हैं तो नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:
संपत्ति के कागज इकट्ठा करें
सबसे पहले प्रॉपर्टी के सारे दस्तावेज जुटाएं। जैसे
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खसरा नंबर, खतौनी,
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जमाबंदी नकल,
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रजिस्ट्री कॉपी,
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पुराना बंटवारा (अगर हुआ हो),
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टैक्स रसीद,
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बिजली-पानी के बिल (अगर मकान है)।
ये दस्तावेज साबित करते हैं कि आप भी संपत्ति के कानूनी हकदार हैं।
परिवार में बातचीत से हल निकालें
कई बार विवाद कोर्ट में जाने से पहले ही सुलझ जाता है। आप अपने चाचा-ताऊ से बैठकर बातचीत करें। परिवार के बुजुर्गों या गांव के पंच को बीच में डालें। अगर सभी लोग मान जाएं तो आपसी समझौते से बंटवारा हो सकता है। इसे लिखित में करें और रजिस्ट्री ऑफिस में रजिस्टर्ड करवाएं।
नोटिस भेजें
अगर बातचीत से हल नहीं निकले तो आप अपने चाचा-ताऊ को कानूनी नोटिस भेज सकते हैं। इसके लिए वकील की मदद लें। नोटिस में साफ लिखा होगा कि आपको हिस्सा देना ही होगा वरना आप कोर्ट जाएंगे।
सिविल कोर्ट में केस दर्ज करें
अगर नोटिस के बाद भी वे हिस्सा नहीं देते तो आप सिविल कोर्ट में partition suit (विभाजन वाद) फाइल कर सकते हैं। कोर्ट में आपको यह साबित करना होगा कि आप संपत्ति के वारिस हैं और दूसरा पक्ष कब्जा कर रहा है। कोर्ट आपके सारे दस्तावेज देखेगा और अगर सब सही हैं तो बंटवारे का आदेश देगा।
राजस्व विभाग में शिकायत करें
अगर मामला खेती की जमीन से जुड़ा है तो आप राजस्व विभाग या तहसील ऑफिस में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। वहां से भी पटवारी और तहसीलदार जांच कर सकते हैं और नामांतरण या बंटवारा कर सकते हैं।
पुलिस से मदद लें
अगर चाचा-ताऊ ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा है और आपको डराया-धमकाया जा रहा है तो आप स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। पुलिस प्रॉपर्टी विवाद में सीधे दखल नहीं देती, लेकिन मारपीट, धमकी या फर्जी दस्तावेज बनाने पर केस जरूर दर्ज होता है।
कोर्ट में केस करने से पहले क्या सावधानी रखें?
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सभी दस्तावेज सही और पूरे होने चाहिए।
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नकली दस्तावेज या झूठे गवाह न पेश करें।
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अच्छे सिविल वकील से सलाह लें।
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केस दाखिल करने से पहले परिवार को एक आखिरी मौका बातचीत का जरूर दें।
कितना समय लगता है?
भारत में संपत्ति के केस आम तौर पर लंबे चलते हैं। लेकिन अगर कागज पूरे हों और मामला साफ हो तो 2-5 साल में फैसला मिल सकता है। कोशिश करें कि बंटवारा आपसी सहमति से ही हो, तभी समय और पैसे दोनों बचेंगे।
महिलाओं को भी बराबर का हक
बहुत से मामलों में बेटियों या बहनों को हिस्सा नहीं दिया जाता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बेटियों को भी पुश्तैनी संपत्ति में बेटों के बराबर हक है। शादी के बाद भी बहन को प्रॉपर्टी में हिस्सा लेने का पूरा अधिकार है।
निष्कर्ष
अगर आपके चाचा-ताऊ ने प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया है और हिस्सा नहीं दे रहे तो डरें नहीं। भारत का कानून आपके साथ है। बस दस्तावेज पूरे रखें, सही सलाह लें और जरूरत पड़े तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं। सही तरीके से कदम उठाएंगे तो आपका हक कोई नहीं छीन सकता।