चेक बाउंस हुआ तो कितनी मिलेगी सजा, पेमेंट के लिए कितना मिलेगा वक्त, जानें पूरा नियम

आज के दौर में चेक भुगतान (Cheque Payment) एक भरोसेमंद तरीका माना जाता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बैंक खाते में पर्याप्त बैलेंस न होने पर चेक बाउंस हो जाता है। ऐसे में कानूनी पेंच में फंसने से लेकर जेल तक की नौबत आ सकती है।

अगर आपके साथ भी ऐसा हो सकता है, या आप जानना चाहते हैं कि चेक बाउंस (Cheque Bounce) पर कितनी सजा और जुर्माना लग सकता है, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।

चेक बाउंस क्या होता है?

जब कोई व्यक्ति किसी को चेक देता है और उसके बैंक अकाउंट में उतनी राशि उपलब्ध नहीं होती, तो बैंक वह चेक रिटर्न कर देता है। इसे ही आम भाषा में चेक बाउंस होना कहा जाता है।

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इसके लिए भारतीय दंड संहिता और नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 (NI Act) के तहत सख्त प्रावधान बनाए गए हैं।

चेक बाउंस होने पर क्या होती है कार्रवाई?

यदि आपका चेक बाउंस होता है तो पहले बैंक चेक बाउंस का मेमो जारी करता है। इसके बाद:

 चेक लेने वाला व्यक्ति आपको लीगल नोटिस भेजता है।
 नोटिस मिलने के 15 दिनों के अंदर पेमेंट करना जरूरी होता है।
 अगर आप 15 दिन में पैसा नहीं देते तो केस फाइल हो सकता है।

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चेक बाउंस पर कितने साल की सजा का प्रावधान है?

सेक्शन 138 NI एक्ट के मुताबिक, अगर चेक बाउंस होता है और तय समय में पेमेंट नहीं किया जाता तो:

 2 साल तक की सजा हो सकती है।
 या फिर जुर्माना लगाया जा सकता है, जो चेक की रकम का दोगुना तक हो सकता है।
 कई मामलों में कोर्ट जेल और जुर्माना, दोनों की सजा दे सकती है।

पेमेंट चुकाने के लिए कितना मिलता है समय?

अगर आपका चेक बाउंस होता है तो:

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 पहली बार में बैंक चेक रिटर्न का मेमो देता है।
 फिर शिकायतकर्ता आपको लीगल नोटिस भेजेगा।
 नोटिस मिलने के बाद 15 दिन में पेमेंट करना होगा।
 अगर आप 15 दिन में रकम चुका देते हैं तो केस नहीं बनेगा।
 अगर पेमेंट नहीं हुआ तो 30 दिन के अंदर कोर्ट में केस दाखिल किया जा सकता है।

इसलिए अगर चेक बाउंस हो जाए तो कोशिश करें कि तुरंत भुगतान कर दें।

चेक बाउंस क्यों होता है?

चेक बाउंस होने के पीछे कई कारण होते हैं:

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 खाते में बैलेंस की कमी।
 चेक पर सिग्नेचर मैच न होना।
 ओवरराइटिंग या गलती से गलत नाम लिख देना।
 अकाउंट बंद या फ्रीज हो जाना।

इन वजहों से चेक रिटर्न होता है और बैंक ₹150 से ₹750 तक चार्ज भी काटता है।

चेक बाउंस से कैसे बचें?

 खाते में बैलेंस चेक करें: चेक देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि खाते में उतनी राशि है।

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 सही विवरण भरें: चेक पर सही नाम, तारीख और अमाउंट लिखें।

 ओवरराइटिंग न करें: चेक पर काटछांट या ओवरराइटिंग न हो।

 अकाउंट एक्टिव रखें: खाते को एक्टिव रखें ताकि चेक पास हो सके।

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क्या चेक बाउंस का केस खत्म हो सकता है?

अगर आपने नोटिस के 15 दिन के अंदर रकम चुका दी तो केस फाइल नहीं होगा। लेकिन अगर मामला कोर्ट में चला गया है तो आरोपी और शिकायतकर्ता आपसी सहमति से समझौता कर सकते हैं। कोर्ट समझौते को मान्यता देकर केस खत्म कर सकती है।

कोर्ट में सुनवाई कैसे होती है?

 शिकायतकर्ता सेक्शन 138 NI एक्ट के तहत मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस दर्ज कर सकता है।
 आरोपी को कोर्ट में पेश होना होता है।
 आरोपी को सजा या जुर्माना सुनाया जा सकता है।
 अगर दोषी कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो ऊपरी अदालत में अपील कर सकता है।

क्या चेक बाउंस सिविल मामला है या क्रिमिनल?

चेक बाउंस को क्रिमिनल अपराध माना जाता है। इसलिए दोषी को जेल भी हो सकती है। यह सिर्फ आर्थिक लेन-देन का मामला नहीं होता बल्कि इसके पीछे धोखाधड़ी का एंगल भी माना जाता है।

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कैसे करें शिकायत?

 बैंक से चेक बाउंस मेमो लें।
 30 दिन में आरोपी को लीगल नोटिस भेजें।
 नोटिस के बाद भी पेमेंट नहीं मिले तो मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस फाइल करें।
 सबूत के तौर पर चेक की फोटो कॉपी, मेमो और नोटिस रखें।

चेक बाउंस केस में वकील की मदद जरूरी

चेक बाउंस केस में सही कागजात, समय पर नोटिस और कोर्ट प्रक्रिया को पूरा करना जरूरी होता है। इसलिए किसी अच्छे वकील की मदद लें ताकि आपका केस मजबूत हो सके।

निष्कर्ष

अगर आप चेक से पेमेंट करते हैं तो हमेशा ध्यान रखें कि खाते में पैसे पूरे हों। चेक बाउंस की स्थिति में जल्द से जल्द भुगतान कर दें ताकि लीगल पेंच से बचा जा सके।

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याद रखें, चेक बाउंस होने पर 2 साल की जेल या दोगुना जुर्माना लग सकता है। साथ ही लीगल नोटिस के बाद केवल 15 दिन का समय ही दिया जाता है पेमेंट करने के लिए।

इसलिए सावधानी ही सबसे बड़ा समाधान है!

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