अब बच्चों के साथ गुरुजी भी पहनेंगे यूनिफॉर्म! सरकार ने जारी किया आदेश

भारत में शिक्षा व्यवस्था को और अनुशासित और पारदर्शी बनाने के लिए राज्य सरकारों ने समय-समय पर कई बदलाव किए हैं। अब एक और बड़ा फैसला लिया गया है। इस फैसले के तहत अब सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि गुरुजी यानी शिक्षक भी यूनिफॉर्म पहनेंगे। सरकार का मानना है कि इससे स्कूलों में अनुशासन बढ़ेगा और शिक्षकों और छात्रों में एक समानता का भाव पैदा होगा।

किस राज्य में लागू हुआ नया आदेश?

फिलहाल यह आदेश कई राज्यों में लागू किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में सरकारी स्कूलों में यह नियम लागू करने पर विचार चल रहा है। कुछ जगह तो पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले ही शुरू कर दिया गया है।

क्यों जरूरी समझा गया टीचर्स का ड्रेस कोड?

अब तक स्कूलों में सिर्फ बच्चों के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य था। टीचर्स अपने अनुसार कपड़े पहनकर आते थे। लेकिन कई बार शिकायतें मिलती थीं कि शिक्षक स्कूल में बहुत कैजुअल कपड़े पहनकर आते हैं जिससे स्कूल का माहौल प्रभावित होता है।

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सरकार का कहना है कि जब बच्चों को यूनिफॉर्म में देखकर अनुशासन का संदेश मिलता है तो वही बात शिक्षकों पर भी लागू होनी चाहिए। इसलिए अब टीचर्स के लिए भी एक निर्धारित ड्रेस कोड लागू होगा।

गुरुजी के लिए कौन सी ड्रेस तय होगी?

सरकारी आदेश के मुताबिक शिक्षकों के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग यूनिफॉर्म तय की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर —
 पुरुष शिक्षकों के लिए – साधारण पैंट-शर्ट या कुर्ता-पायजामा।
 महिला शिक्षकों के लिए – साड़ी या सूट-सलवार जिसमें एक जैसे रंग या पैटर्न का कपड़ा होगा।

रंग और पैटर्न स्कूल प्रशासन तय करेगा ताकि सभी स्कूलों में एक समानता बनी रहे।

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कब से लागू होगा नया नियम?

राज्य सरकारों ने इसे लागू करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को निर्देश दे दिए हैं। कुछ जगह यह आदेश नए शैक्षणिक सत्र से ही लागू होगा यानी अगस्त 2025 से सरकारी स्कूलों में गुरुजी भी यूनिफॉर्म में नजर आएंगे।

ड्रेस कोड लागू करने का मकसद

अनुशासन: जब बच्चे और गुरुजी एक जैसे नियमों में रहेंगे तो स्कूल का अनुशासन और मजबूत होगा।
समानता: यूनिफॉर्म पहनने से शिक्षक और छात्र में एक भावनात्मक जुड़ाव होगा।
पेशेवर छवि: शिक्षक की छवि और सम्मान बढ़ेगा।
शिकायतों पर लगाम: कई बार शिकायत रहती थी कि शिक्षक फैशनेबल या गैरजरूरी कपड़े पहनकर आते हैं, अब ये बंद होगा।

क्या ड्रेस कोड का खर्च सरकार उठाएगी?

यह सबसे बड़ा सवाल है – तो जवाब है कुछ राज्यों में सरकार इसकी व्यवस्था करेगी। कुछ राज्यों में शिक्षकों को यूनिफॉर्म खरीदने के लिए वार्षिक भत्ता दिया जाएगा। कुछ जगहों पर स्कूल कमेटी भी सहयोग करेगी।

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प्राइवेट स्कूलों में भी लागू होगा नियम?

फिलहाल यह नियम सिर्फ सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में लागू किया जाएगा। हालांकि कुछ प्राइवेट स्कूल पहले से ही अपने टीचर्स के लिए ड्रेस कोड फॉलो करते हैं।

क्या होगा अगर टीचर यूनिफॉर्म नहीं पहनेंगे?

सरकार ने आदेश में साफ कहा है कि अगर कोई शिक्षक यूनिफॉर्म नहीं पहनता तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। स्कूल प्रिंसिपल को इसका पालन सुनिश्चित करना होगा।

सजा में नोटिस, वेतन कटौती या मेमो जारी करना शामिल है। लगातार उल्लंघन होने पर सस्पेंशन तक की कार्रवाई हो सकती है।

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शिक्षकों ने क्या कहा?

कुछ शिक्षकों का मानना है कि यह कदम सही है क्योंकि इससे प्रोफेशनलिज्म बढ़ेगा और बच्चों के बीच एक अच्छा संदेश जाएगा। हालांकि कुछ शिक्षकों ने इस पर सवाल भी उठाए हैं कि ड्रेस कोड अनिवार्य करने से उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा।

माता-पिता और बच्चों की प्रतिक्रिया

माता-पिता ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि जब बच्चे और टीचर एक जैसे नियमों में रहेंगे तो बच्चों पर सकारात्मक असर पड़ेगा। कई बच्चों ने भी कहा कि अब गुरुजी को भी ड्रेस में देखना नया अनुभव होगा।

क्या पहले भी कहीं लागू हुआ था?

केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों के कुछ स्कूलों में पहले से ही ड्रेस कोड टीचर्स के लिए लागू है। वहां शिक्षकों के लिए रंग-बिरंगे कपड़े पहनने की जगह सादी साड़ी या पैंट-शर्ट पहनने का नियम है। इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।

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निष्कर्ष

अब बच्चों के साथ गुरुजी भी यूनिफॉर्म में नजर आएंगे – यह फैसला भारत के शिक्षा सिस्टम में एक नया बदलाव लाने वाला है। इससे स्कूलों में अनुशासन और समानता का माहौल बनेगा। हालांकि इसमें सही क्रियान्वयन और शिक्षकों के हितों का ध्यान रखना भी जरूरी होगा।

अगर आप सरकारी स्कूल के शिक्षक हैं तो अभी से तैयारी कर लीजिए – क्योंकि नया सत्र आपके लिए भी नया बदलाव लेकर आने वाला है!

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