भारत में खेती वाली जमीन यानी एग्रीकल्चर लैंड न सिर्फ किसानों के जीवन का आधार है बल्कि उनकी सबसे बड़ी संपत्ति भी है। अक्सर किसान अपनी जमीन किसी जरूरत के चलते या अच्छे दाम मिलने पर बेचते हैं। लेकिन कई किसान यह नहीं जानते कि खेती की जमीन बेचने पर भी इन्कम टैक्स नियम लागू होते हैं।
सरकार ने खेती वाली जमीन बेचने के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं, जिन्हें जानना हर किसान और जमीन मालिक के लिए बेहद जरूरी है। अगर आप भी खेती की जमीन बेचने का सोच रहे हैं तो पहले ये नया नियम जरूर जान लें वरना बाद में भारी टैक्स देना पड़ सकता है।
खेती वाली जमीन बेचने पर टैक्स क्यों लगता है?
भारत में किसी भी प्रॉपर्टी की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। खेती की जमीन अगर ग्रामीण क्षेत्र में आती है तो उस पर टैक्स नहीं लगता। लेकिन अगर वह शहरी सीमा या नगर पालिका क्षेत्र के अंदर आती है तो उसे बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
कई किसान यह समझते हैं कि खेती की जमीन बेचने पर कोई टैक्स नहीं देना होता, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता। नियम यह तय करता है कि आपकी जमीन शहरी क्षेत्र में आती है या ग्रामीण क्षेत्र में।
कौन सी जमीन पर टैक्स लगेगा?
आइए पहले समझते हैं कि खेती की कौन सी जमीन पर टैक्स लगेगा और किस पर नहीं।
ग्रामीण कृषि भूमि (Rural Agricultural Land): अगर आपकी जमीन नगर पालिका की सीमा से 8 किलोमीटर से ज्यादा दूर है और वहां की आबादी 10,000 से कम है तो वह ग्रामीण कृषि भूमि मानी जाएगी। ऐसी जमीन बेचने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
शहरी कृषि भूमि (Urban Agricultural Land): अगर आपकी जमीन नगर निगम या नगरपालिका सीमा के अंदर आती है या उसके 8 किलोमीटर के दायरे में है, तो वह शहरी कृषि भूमि कहलाती है। ऐसी जमीन बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
कैपिटल गेन टैक्स क्या है?
कैपिटल गेन टैक्स वह टैक्स है जो किसी संपत्ति को बेचने से होने वाले लाभ पर लगता है। अगर आपने कोई प्रॉपर्टी बेचकर मुनाफा कमाया है तो वह टैक्स के दायरे में आएगा। खेती वाली जमीन के मामले में भी यही नियम लागू होता है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन
खेती की जमीन बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स दो तरह का हो सकता है:
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG)
अगर जमीन को 24 महीने से कम समय तक रखा गया है तो उसे बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यह मुनाफा आपकी बाकी आय में जुड़ जाएगा और उस पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG)
अगर आपने जमीन को 24 महीने से ज्यादा समय तक रखा है तो उसे बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। वर्तमान में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर 20% है। इसमें इंडेक्सेशन बेनिफिट भी दिया जाता है जिससे टैक्स की राशि कुछ कम हो जाती है।
टैक्स कैसे कैलकुलेट होगा?
मान लीजिए आपने 10 साल पहले एक खेत 5 लाख रुपये में खरीदा था और अब उसे 30 लाख रुपये में बेच रहे हैं। इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।
कैपिटल गेन = बिक्री मूल्य – इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन – ट्रांसफर खर्चे – इंप्रूवमेंट खर्चे
इस फार्मूले से टैक्स की राशि तय होगी।
टैक्स से कैसे बचा जा सकता है?
अगर आप टैक्स बचाना चाहते हैं तो सेक्शन 54B का फायदा उठा सकते हैं। इसके तहत आप खेती की जमीन बेचने से मिले पैसे से दूसरी खेती की जमीन खरीदें तो टैक्स नहीं देना होगा। इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं:
बेची गई जमीन पर पिछले 2 सालों में आप या आपके माता-पिता ने खेती की हो।
2 साल के अंदर नई खेती की जमीन खरीदनी होगी।
नया खेत भारत में ही होना चाहिए।
अगर आप शर्तों को पूरा नहीं करते हैं तो टैक्स देना पड़ेगा।
अगर टैक्स नहीं देंगे तो क्या होगा?
कई लोग जमीन बेचने के बाद टैक्स की जानकारी नहीं देते। लेकिन अब आयकर विभाग के पास ऑनलाइन रजिस्ट्री, बैंक स्टेटमेंट, और PAN लिंकिंग के जरिए सारी जानकारी पहुंच जाती है। अगर आप सही टैक्स नहीं देते तो पेनल्टी, फाइन और ब्याज लग सकता है। साथ ही भविष्य में नोटिस भी आ सकता है।
खेती की जमीन बेचने से पहले रखें ये बातें ध्यान
जमीन की लोकेशन जांच लें — वह शहरी सीमा में है या ग्रामीण क्षेत्र में।
बिक्री से पहले पुराने दस्तावेज और रजिस्ट्री तैयार रखें।
सही रजिस्ट्री कराएं, ब्लैक मनी से बचें।
अगर टैक्स बचाना चाहते हैं तो समय पर दूसरी खेती की जमीन खरीद लें।
टैक्स फाइलिंग में इसे जरूर दिखाएं।
नया नियम क्या कहता है?
अब सरकार ने जमीन की बिक्री और रजिस्ट्री को और पारदर्शी बनाने के लिए नया सिस्टम लागू किया है। रजिस्ट्रेशन ऑफिसर अब हर बिक्री की जानकारी सीधे आयकर विभाग को देगा। ऐसे में कोई भी सौदा छुपाना अब आसान नहीं रहेगा। इसलिए टैक्स की प्लानिंग पहले से ही करें।
निष्कर्ष
खेती की जमीन बेचने से पहले नए टैक्स नियम जरूर जान लें। अगर आपकी जमीन शहरी सीमा में आती है तो कैपिटल गेन टैक्स देना ही होगा। सेक्शन 54B के तहत टैक्स से बचने के उपाय भी अपनाएं। कोई भी दस्तावेज या रजिस्ट्री गलत न कराएं, वरना भविष्य में दिक्कत हो सकती है।