भारत में हर शहर, कस्बे और गांव में लाखों लोग किराए के मकान में रहते हैं। अक्सर किरायेदार और मकान मालिक के बीच सबसे बड़ा विवाद किराए को लेकर ही होता है। कई बार मकान मालिक मनमर्जी से हर साल किराया बढ़ा देते हैं, जिससे किरायेदार परेशान हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हर किरायेदार को पता हो कि किराया बढ़ाने के नियम क्या हैं, मकान मालिक साल में कितना किराया बढ़ा सकता है और इससे ज्यादा बढ़ाने पर आपको क्या करना चाहिए।
किराया बढ़ाने के नियम क्या कहते हैं?
भारत में किराया बढ़ाने से जुड़े नियम हर राज्य में थोड़े अलग हो सकते हैं लेकिन अधिकतर जगह Rent Control Act लागू होता है। इसके तहत मकान मालिक बिना वजह हर साल मनमाने तरीके से किराया नहीं बढ़ा सकता।
Rent Control Act के मुताबिक
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मकान मालिक को किराया बढ़ाने से पहले किरायेदार को लिखित नोटिस देना जरूरी है।
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कई राज्यों में यह तय है कि मकान मालिक एक साल में 10% से ज्यादा किराया नहीं बढ़ा सकता।
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कुछ शहरों में यह सीमा 5% से 8% भी होती है, यह स्थानीय कानून पर निर्भर करता है।
एक साल में कितना बढ़ा सकता है किराया?
अगर आपके शहर में Rent Control Act लागू है तो मकान मालिक एक साल में अधिकतम 10% तक ही किराया बढ़ा सकता है। उदाहरण के तौर पर:
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अगर आप 10,000 रुपये महीना किराया दे रहे हैं तो साल बाद मकान मालिक इसे ज्यादा से ज्यादा 11,000 रुपये कर सकता है।
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इससे ज्यादा बढ़ाना कानूनन गलत है।
मनमानी बढ़ोतरी पर क्या करें?
कई बार मकान मालिक किरायेदार को धमकी देकर या बिना लिखित नोटिस दिए 20% से 50% तक किराया बढ़ा देते हैं, जो पूरी तरह अवैध है। अगर आपके साथ ऐसा होता है तो आप:
मकान मालिक से लिखित एग्रीमेंट की कॉपी दिखाने को कहें।
Rent Control Act की कॉपी पढ़ें, जो आपके शहर की नगर पालिका या नगर निगम कार्यालय में मिल जाएगी।
किराया नियंत्रण अधिकारी (Rent Control Officer) के पास शिकायत दर्ज कराएं।
जरूरत पड़े तो कंज्यूमर कोर्ट या स्थानीय कोर्ट में केस कर सकते हैं।
किराया समझौता क्यों जरूरी है?
कई बार किरायेदार और मकान मालिक बिना लिखित एग्रीमेंट के ही लेन-देन करते हैं। इससे विवाद की स्थिति में किरायेदार को नुकसान होता है। इसलिए:
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हर किराया समझौता लिखित होना चाहिए।
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उसमें किराया, सुरक्षा राशि (Security Deposit), बढ़ोतरी की शर्तें और समय सीमा साफ लिखी होनी चाहिए।
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मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
क्या बिना एग्रीमेंट मकान मालिक किराया बढ़ा सकता है?
कानूनन बिना एग्रीमेंट के भी किराया बढ़ाना मुमकिन है, लेकिन इसके लिए भी लिखित नोटिस देना जरूरी होता है। बिना नोटिस के बढ़ाया गया किराया मान्य नहीं होगा।
क्या किराया बढ़ने पर किरायेदार मना कर सकता है?
हाँ! अगर किराया न्यायसंगत सीमा से ज्यादा बढ़ाया गया है, तो आप मना कर सकते हैं। अगर मकान मालिक जबरदस्ती कर रहा है तो आप Rent Control Officer के पास शिकायत कर सकते हैं।
क्या मकान मालिक जबरन खाली करा सकता है?
कई बार मकान मालिक किराया बढ़ाकर किरायेदार को परेशान कर खाली करवाना चाहता है। लेकिन Rent Control Act के तहत बिना ठोस कारण के मकान खाली कराने का अधिकार मकान मालिक को नहीं होता।
क्या किराए पर जीएसटी लगता है?
अगर आप किसी कमर्शियल प्रॉपर्टी को किराए पर लेते हैं तो उस पर 18% तक GST लागू हो सकता है। हालांकि रिहायशी मकान के किराए पर GST नहीं लगता। लेकिन अगर मकान मालिक रजिस्टर्ड है और सेवाएं देता है तो कुछ मामलों में GST लागू हो सकता है।
क्या पुराने मकानों पर भी यही नियम लागू होंगे?
हाँ! चाहे मकान पुराना हो या नया, अगर वो Rent Control Act के दायरे में आता है तो मकान मालिक को उसी के अनुसार किराया बढ़ाना होगा।
किराए पर विवाद होने पर कहां शिकायत करें?
Rent Control Office:
आप अपने जिले के Rent Control Officer से लिखित शिकायत कर सकते हैं।
कंज्यूमर कोर्ट:
अगर मकान मालिक ने धोखाधड़ी की है या जबरदस्ती ज्यादा पैसा वसूला है तो आप कंज्यूमर कोर्ट जा सकते हैं।
स्थानीय थाना:
अगर मकान मालिक धमकी देता है या जबरन खाली कराने की कोशिश करता है तो पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कर सकते हैं।
क्या कोई पेनाल्टी भी लग सकती है?
अगर मकान मालिक नियमों को तोड़कर जबरदस्ती किराया बढ़ाता है, तो उस पर पेनाल्टी लग सकती है। कई राज्यों में ऐसे मामलों में जुर्माना और सजा का भी प्रावधान है।
निष्कर्ष
एक साल में मकान मालिक किराया कितना बढ़ा सकता है, यह जानना हर किरायेदार के लिए बेहद जरूरी है। याद रखें, बिना नियमों के ज्यादा किराया बढ़ाना गैरकानूनी है। इसलिए अगर मकान मालिक अपनी मनमानी करता है तो डरें नहीं — नियम और कानून आपके साथ हैं। लिखित एग्रीमेंट, Rent Control Act और समय रहते उठाए गए कानूनी कदम आपके अधिकारों की रक्षा करेंगे।